Class 12th, hindi पाठ- 4 अर्द्धनारीश्वर ( रामधारी सिंह दिनकर) सब्जेक्ट प्रश्न उत्तर, inter hindi subjective- question answer

Class 12th, hindi पाठ- 4 अर्द्धनारीश्वर ( रामधारी सिंह दिनकर) सब्जेक्ट प्रश्न उत्तर, inter hindi subjective- question answer

आज के इस पोस्ट में आप जानने वाले हैं कक्षा 12 हिंदी पाठ 4 अर्धनारीश्वर जिसका लेखक है ।  रामधारी सिंह दिनकर जिनका जन्म बिहार  के बेगूसराय जिला के सिमरिया में हुआ था। यह पोस्ट उन सभी छात्र छात्राओं के लिए काफी महत्वपूर्ण है। जो इंटर में पढ़ रहे हैं।

हिंदी में अगर वह 100-100 लाना चाहते है ।  तो इस पोस्ट को पूरा जरूर पढ़ें। इस पोस्ट में हिंदी अर्धनारीश्वर पाठ का वह सभी प्रश्न उत्तर दिया गया है ।  आसान भाषा में जिसे आप पढ़ कर अभी के अभी याद कर सकते हैं । प्रश्न आपके परीक्षा में इसी में से पूछा जाएगा। 

 

Class 12th, hindi पाठ- 4 अर्द्धनारीश्वर ( रामधारी सिंह दिनकर) सब्जेक्ट प्रश्न उत्तर, inter hindi subjective- question answer

 

04. अर्द्धनारीश्वर | रामधारी सिंह दिनकर | निबंध

पाठ के सारांश

राष्ट्रकवि दिनकर अर्द्धनारीश्वर निबंध के माध्यम से यह बताते हैं कि नर-नारी पूर्ण रूप से समान है। एवं उनमें एक के गुण दूसरे के दोष नहीं हो सकते। अर्थात नरों में नारियों के गुण आए तो इससे उनकी मर्यादा हीन नहीं होती बल्कि उसकी पूर्णता में वृद्धि होती है। दिनकर को यह रूप कहीं देखने को नहीं मिलता है। इसलिए वे क्षुब्ध हैं। उनका मानना है कि संसार में सर्वत्र पुरुष और स्त्री हैं वह कहते हैं कि नारी समझती है कि पुरुष के गुण सीखने से उसके नेतृत्व में बट्टा लगेगा। इसी प्रकार पुरुष समझता है कि स्त्रियोचित गुण अपनाकर वह स्त्रैण हो जाएगा। इस विभाजन से दिनकर दुखी है यही नहीं भारतीय समाज को जानने वाले तीन बड़े चिंतकों रवींद्रनाथ प्रेमचंद प्रसाद के चिंतन से भी दुखी हैं। दिनकर मानते हैं कि यदि ईश्वर ने आपस में धूप और चांदनी का बंटवारा नहीं किया तो हम कौन होते हैं आपसी गुणों को बांटने वाले वे नारी के पराधीनता का संक्षिप्त इतिहास बताने के संदर्भ में कहते हैं कि पुरुष वर्चस्ववादी तरीके अपनाकर नारी को गुलाम बना लिया है। जब कृषि व्यवस्था का आविष्कार किया जिसके चलते नारी घर में और पुरुष बाहर रहने लगा। यहां से जिंदगी दो टुकड़ों में बट गई नारी पराधीन होकर अपने समस्त मूल्य भूल गई। अपने अस्तित्व की अधिकारी भी नहीं रही। उसे यह लगने लगा कि मेरा अस्तित्व पुरुष को होने से है समाज ने भी नारी को भोग्या समझकर उसका उपभोग खूब किया। वसुंधरा भोगियों ने नारी को आनंद की खान मानकर उसका जी भर उपभोग किया। दिनकर मानते हैं कि नर और नारी एक ही द्रव की दली दो प्रतिभाएं हैं। जिसे भी पुरुष अपना कर्मक्षेत्र मानता है वह नारी का भी कर्मक्षेत्र हैं। अतः अर्द्धनारीश्वर केवल इसी बात का प्रतीक नहीं है कि नारी और नर जब तक अलग है तब तक दोनों अधूरे हैं बल्कि इस बात का भी कि जिस पुरुष में नारीत्व की ज्योति जगे । बल्कि यह कि प्रत्येक नारी में भी पौरुष का स्पष्ट आभास हो ।

 

सब्जेक्टिव –

1. प्रवृतिमार्ग और निवृत्तिमार्ग क्या है ?

उत्तर- पुरुषों की मान्यता है कि नारी आनंद की खान है। जो पुरुष जीवन से आनंद चाहते थे। उन्होंने नारी को गले लगाया। वे प्रवृत्ति मार्ग है अर्थात् जिस मार्ग के प्रचार से नारी की पद- मर्यादा उठती है उसे प्रवृत्ति मार्ग कहा गया निवृत्तिमार्ग वे है जिन्होंने अपने जीवन के साथ नारी

को भी ढकेल दिया क्योंकि नारी उनके किसी काम की चीज नहीं थी। इसके लिए उन्होंने सन्यास ग्रहण किया और वैयक्तिक मुक्ति की खोज को जीवन का सबसे बड़ा साधन माना सन्यासी मार्ग ही निवृत्ति मार्ग है।

2. बुद्ध ने आनंद से क्या कहा?

उत्तर- आनंद’ मैंने जो धर्म चलाया था वह पाँच सहस्त्र वर्ष तक चलने वाला चलने वाला, किंतु अब वह पाँच सौ वर्ष चलेगा, क्योंकि नारियों को मैंने भिक्षुणी होने का अधिकार दे दिया है।

3. यदि संधि की वार्ता कुंती और गांधारी के बीच हुई होती तो बहुत संभव था कि महाभारत मचता लेखक के इस कथन से क्या आप सहमत हैं अपना पक्ष में रखें?

उत्तर- रामधारी सिंह दिनकर लेखक नारी के गुण की चर्चा करते हुए कहते हैं कि दया, माया सहिष्णुता और भीरुता नारी के गुण हैं। इस गुण के कारण नारी विनम्र और दयावान होती है इस गुण का अच्छा पक्ष यह है कि यदि पुरुष इन गुणों को अंगीकार कर ले तो अनावश्यक विनाश से बचा जा सकता है पुरुष सदियों से अपने आप को शक्तिशाली मानता आया है उसने नारियों को घर की चारदीवारी में सीमित किया घर का जीवन सीमित और बाहर की जीवन और असीमिता पुरुष इतना कर्कश और कठोर हो उठा कि अपना रक्त बहाते समय कुछ नहीं सोच कि क्या होने वाला हैं स्त्रियों के गुण दया माया सहिष्णु और भीरुता पुरुषों के गुण पौरुष इत्यादि उनके विपरीत है और लेखक कहता है कि यह वार्ता यदि कुंती और गांधारी के बीच हुई होती तो यह महाभारत न हुआ होता पुरुष में क्रोधादि गुण होते हैं। जिसमें समर्पण के बदले अहम का भाव अधिक होता है । दुर्योधन के अहम के कारण यह महाभारत हुआ।

4 .रविंद्रनाथ, प्रसाद और प्रेमचंद के चिंतन से दिनकर क्यों असंतुष्ट है ? 

उत्तर- रविंद्र नाथ प्रसाद और प्रेमचंद्र के चिंतन में दिनकर और असंतुष्ट इसलिए है कि वे अर्द्धनारीश्वर रूप उनके चिंतन में कहीं प्रकट नहीं हुआ बल्कि नारी को नीचा दिखाने उसे • अधीन करने की ही बात कही गई है दिनकर मानते हैं कि अर्द्धनारीश्वर की कल्पना से इस बात के संकेत है कि नर नारी पूर्ण रूप से समान है एवं उनमें से एक के गुण दूसरे के दोष नहीं हो सकते दिनकर पाते हैं कि यह दृष्टि रविंद्र नाथ के पास नहीं है वे नारी के गुण यदि पुरुष में आ जाए तो उसको दोष मानते हैं नारियों को कोमलता ही शोभा देती हैं वह कहते हैं कि नारी की सार्थकता उसकी भंगिमा के मोहक और आकर्षक होने में है केवल पृथ्वी की शोभा केवल आलोक केवल प्रेम की प्रतिमा बनने में है कर्मकृति वीर्यबल और शिक्षा दीक्षा लेकर वह क्या करेगी प्रेमचंद्र ने कहा है कि पुरुष जब नारी के गुण लेता है तब वह देवता बन जाता है किंतु नारी जब नर के गुण सिखती है तब वह राक्षसी हो जाती है इसी प्रकार प्रसाद जी इड़ा के विषय में यदि कहा जाए कि इड़ा वह नारी है जिसने पुरुषों के गुण सीखे हैं तो निष्कर्ष निकलेगा • प्रसाद जी भी नारी की पुरुषों के क्षेत्र से अलग रखना चाहते हैं नारियों के प्रति इस तरह के भाव तीन बड़े चिंतकों को शोभा नहीं देता है इसलिए दिनकर इनके चिंतन से दुखी है नारी संसार में सर्वत्र नारी नारी है और पुरुष पुरुषा

5. नारी की पराधीनता कब से आरंभ हुई ?

उत्तर- नारी की पराधीनता तब आरंभ हुई जब मानव जाति ने कृषि का आविष्कार किया जिसके चलते नारी घर में और पुरुष बाहर रहने लगा यहां से जिंदगी दो टुकड़ों में बट गई घर का जीवन सीमित और बाहर का जीवन विस्तृत होता गया। जिससे छोटी जिंदगी बड़ी जिंदगी के अधिकाधिक अधीन हो गई नारी की पराधीनता का यह संक्षिप्त इतिहास हैं।

6. सप्रसंग व्याख्या करें ?

1. प्रत्येक पत्नी अपने पति को बहुत कुछ उसी दृष्टि से देखती हैं जिस दृष्टि से लता अपने वृक्ष को देखती हैं ?

उत्तर- प्रस्तुत पंक्ति रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित निबंध अर्द्धनारीश्वर से ली गई है। प्रस्तुत पंक्तियों में कवि यह कहना चाहता है कि जिस तरह वृक्ष के अधीन उसकी लताएं फलती फूलती है उसी तरह पत्नी भी पुरुषों के अधीन है वह पुरुष के पराधीन है इस कारण नारी का अस्तित्व ही संकट में पड़ गया उसके सुख और दुख प्रतिष्ठा और अप्रतिष्ठा यहां तक कि जीवन और मरण भी पुरुष की मर्जी पर हो गए उसका सारा मूल्य इस बात पर जा ठहरा है कि पुरुषों की इच्छा पर वह है वृक्ष की लताएं वृक्ष के चाहने पर ही अपना पर फैलाती है उसी प्रकार स्त्री ने भी अपने को आर्थिक पंगु मानकर पुरुष को अधीनता स्वीकार कर ली और यह कहानी को विवश हो गई कि पुरुष के अस्तित्व के कारण ही मेरा अस्तित्व है इस पर अवस्था के कारण उसकी सहज दृष्टि भी छीन गई जिससे यह समझती कि वह नारी है उसका अस्तित्व हैं एक सोची समझी साजिश के तहत पुरुषों द्वारा वह पंगु बना दी गई इसलिए वह सोचती है कि मेरा पति मेरा कर्णधार है मेरी नया वही पार करा सकता है मेरा अस्तित्व उसके होने के कारण को लेकर है वृक्ष लता को अपनी जड़ों से सींच कर उसे सहारा देकर बढ़ने का मौका देता है और कभी दमन भी करता है इसी तरह एक पत्नी भी इसी दृष्टि से अपने पति को देखती है।

2. जिस पुरुष में नारीत्व नहीं, अपूर्ण है ।

उत्तर- प्रस्तुत पंक्ति रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित निबंध अर्द्धनारीश्वर से ली गई हैं निबंधकार दिनकर कहते हैं कि नारी में दया, मया, सहिष्णुता और भीरुता जैसे स्त्रियोचित गुण • होते हैं इन गुणों के कारण नारी विनाश से बची रहती है यदि इन गुणों को पुरुष अंगीकार कर ले तो पुरुष के पौरूष मैं कोई दोष नहीं आता और पुरुष नारीत्व से पूर्ण हो जाता है इसलिए निबंधकार अर्द्धनारीश्वर की कल्पना करता है जिससे पुरुष स्त्री का गुण और स्त्री पुरुष क गुण लेकर महान बन सके प्रकृति ने नर नारी को सामान बनाया है पर गुणों में अंतर है अतः निबंधकार नारीत्व के लिए एक महान पुरुष गांधीजी का हवाला देता है कि गांधी जी ने अंतिम दिनों में नारीत्व की ही साधना की थी।

 

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12 Hindi 100 marks Test important objective Question

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दिनकरजी किसलिए प्रसिद्ध है ?

 

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The Earth🌎 has beenwritten by

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किसे ‘लोकनायकू’ के नाम से जाना जाता है ?

 

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संर्पूण क्रांति का नारा किसने दिया था ?

 

6 / 17

कामायनी’ के रचयिता कौन है ?

 

7 / 17

Ideas that have helped mankind

8 / 17

उर्वशी’ किसकी रचना है ?

 

9 / 17

Indian through a travellers eye has been written by

10 / 17

‘मैं उषा की ज्योति’ में कौन-सा अलंकार है ?

 

11 / 17

ध्रुवस्वामिनी’ कैसी कृति है ?

 

12 / 17

जयशंकर प्रसाद की सफलतम नाट्यकृति है

 

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तुमुल कोलाहल कलह में’ शीर्षक कविता के रचयिता कौन है ?

 

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जब किसी वस्तु को आवेशित किया जाता है, तो उसका द्रव्यमान –

 

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How Free Is The Press has been Written By

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जयप्रकाश नारायण ने ‘संपूर्ण क्रांति’ वाला ऐतिहासिक भाषण कहाँ और कब दिया था ?

 

17 / 17

मनुष्य का शरीर क्यों थक जाता है ?

 

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