Class 10th sanskrit Question 2023 । Biharboard sanskrit original paper 21 फरवरी यही पूछेगा

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5. (क) गुरु गोविन्द सिंह ने पटना सिटी जन्म लिया था। पटना सिटी में सभी सिख धर्म गुरु पधारे हैं। दसवें गुरु गोविन्द सिंह का गुरुद्वारा भी यही है । इसीलिए इस पवित्र स्थल का सिख सम्प्रदाय में बड़ा महत्त्व है ।

(ख) अलसकथा का संदेश है कि आलस्य एक महान् रोग है । आलसी का सहायक प्रायः कोई भी नहीं होता। जीवन में विकास के लिए व्यक्ति का कर्मठ होना अत्यावश्यक है। आलस्य शरीर में रहनेवाला महान् शत्रु है जिससे अपना, परिवार का और समाज का विनाश अवश्य ही होता है । यदि जीवन में विकास की इच्छा रखते हैं तब आलस्य त्यागकर उद्यम को प्रेरित हों ।

(ग) समाजरूपी गाड़ी पुरुषों एवं स्त्रियों के द्वारा चलती है। संस्कृत साहित्य में प्राचीन काल से ही साहित्य समृद्धि में स्त्रियों की भूमिका सराहनीय है। वैदिक युग में मन्त्रों के वाचक न केवल ऋषि अपितु ऋषिकाएँ भी हैं यमी, अपाला, इन्द्राणी, उर्वशी एवं मैत्रेयी स्त्रियों के मंत्रदर्शन आज के जाज्वल्यमान नक्षत्र की भाँति दीप्तिमान हैं । याज्ञवल्क्य की पत्नी ने स्वयं अपने पति से आत्म तत्त्व की शिक्षा ली है । जनक की सभा को बढ़ाने वाली गार्गी का नाम बड़े आदर से लिया जाता है। लौकिक साहित्य में भी विदुषी क्षमाराव अत्यन्त प्रसिद्ध हैं ।

(घ) संस्कार सोलह प्रकार के है। इन सोलह संस्कारों को मुख्य पाँच प्रकारों में बाँटा गया है— तीन जन्म से पूर्व वाले संस्कार, छह शैशव संस्कार, पाँच शिक्षा-संबंधी संस्कार, एक विवाह के रूप में गृहस्थ संस्कार तथा एक मृत्यु के बाद अन्त्येष्टि संस्कार ।

(ङ) रामप्रवेश का जन्म बिहार राज्य अन्तर्गत ‘भीखनटोला’ नामक गाँव में हुआ था। वे पुस्तकालयों में अनेक विषयों की पुस्तकों का अध्ययन किया करते थे । वे अध्ययन को छात्रों की पूजा मानते थे। अपने परिश्रम के परिणामस्वरूप केंद्रीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षा में सर्वोच्च स्थान प्राप्त करने में वे सफल रहे

(च) उन्नीसवीं शताब्दी ईस्वी में आविर्भूत समाजसुधारकों में स्वामी दयानन्द अतीव प्रसिद्ध हैं इन्होंने रूढ़िग्रस्त समाज और विकृत व्यवस्था पर कठोर प्रहार करके आर्य समाज की स्थापना की, जिसकी शाखाएँ देश-विदेश में शिक्षासुधार के लिए भी प्रयत्नशील रही हैं। शिक्षाव्यवस्था में गुरुकुल पद्धति का पुनरुद्धार करते हुए इन्होंने आधुनिक शिक्षा के लिए डी०ए०वी० विद्यालय जैसी संस्थाओं की स्थापना को प्रेरित किया था। इनका जीवन चरित्र प्रस्तुत पाठ में संक्षिप्त रूप से दिया गया है ।

 

 

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