Class 10th संस्कृत पाठ-2 पाटलिपुत्र सभी महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

Class 10th संस्कृत पाठ-2 पाटलिपुत्र सभी महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

 

सभी विषय का ऑब्जेक्टिव सब्जेक्ट यहां से देखें-;Click Here

 

 

Class 10th संस्कृत पाठ-2 पाटलिपुत्र सभी महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

 

पाटलिपुत्र पाठ 2

1 . दामोदर गुप्त ने पटना के सम्बन्ध में क्या लिखा है?

 उत्तर – दामोदर गुप्त नामक कवि ने ‘स्वलिखित कुट्टनीमतरणी’ क में पटना के सम्बन्ध में लिखा है कि प्राचीन भारतीय नगरों में अग्रणी प गंगा के किनारे बसी विचित्र महानगर है। पृथ्वी का तिलक विद्वानों की निवास-स्थली पटना नाम का महानगर स्वर्ग से भी सुन्दर स्थान है।

2. प्राचीन ग्रन्थों में पटना के कौन-कौन से नाम मिलते हैं? 

उत्तर—पटना में गुप्तवंश के शासन काल में कौमुदी महोत्सव मन जाता था। यह उत्सव शरत् काल में मनाया जाता था। कौमुदी महोत्सव में र लोग उत्साहपूर्वक भाग लेते थे एवं आनंदमय होते थे।

3. पटना में कौमुदी महोत्सव कब मनाया जाता था

उत्तर— पटना में गुप्तवंश के शासन काल में कौमुदी महोत्सव धुम-धाम से मनाया जाता था । अवसर पर सभी लोग आनन्दमग्न थे। आजकल दुर्गा-पूजा के अवसर पर वैसा ही समारोह देखा जाता है।

 

4. राजशेखर ने पटना के सम्बन्ध में क्या लिखा है? उत्तर—कवि राजशेखर ने काव्यमीमांसा नामक कवि शिक्षा प्रमुख अपने ग्रन्थ में सादर स्मरण करते हुए लिखा है कि यहाँ वर्षोंपवर्ष, पाणिनि, पिङ्गल, व्याङ, वररुचि तथा पतञ्जली आदि ने महान योगदान देकर ख्याति को प्राप्त किया।

5. पटना के मुख्य दर्शनीय स्थलों का नामोल्लेख करें।’

उत्तर – पटना में ‘गाँधी सेतु’ नामक पुल (जो एशिया का सबसे लम्बी पुल), संग्रहालय, उच्च न्यायालय, सचिवालय, गोलघर, तारामण्डल, जैविक उद्यान, मौर्यकालिक अवशेष, महावीर मंदिर तथा गुरूगोविन्द सिंह का जन्म स्थान गुरूद्वारा आदि दर्शनीय स्थल हैं; जिसे देखने के ख्याल से विदेशी सदैव आते हैं।

6. कौन-कौन से विदेशी यात्री पटना आये थे?

उत्तर—विदेशी यात्री मेगास्थनीज, ह्वेनसांग, तथा फाह्यान अपने यात्रा के क्रम में पटना आये तथा अपने संस्मरण में पटना का विस्तृत वर्णन किये

हैं।

7. भगवान बुद्ध ने पटना के सम्बन्ध में क्या कहा था?

उत्तर- भगवान बुद्ध ने पटना के सम्बन्ध में कहा था कि यह गाँव (पाटलिग्राम) भविष्य में महानगर होगा, किन्तु आपसी झगड़ा, आगलगी और बाढ़ के भय से सदैव पीड़ित रहेगा।

8. प्राचीन ग्रन्थों में पटना के कौन-कौन से नाम मिलते हैं?

उत्तर—प्राचीन संस्कृत ग्रन्थों एवं पुराणों में पटना का नाम पुष्पपुर या कुसुमपुर पाया जाता है।

9. पाटलिपुत्र नगर के वैभव का वर्णन करें । अथवा, ‘पाटलिपुत्र वैभवम्’ पाठ के आधार पर पटना के वैभव का वर्णन पाँच वाक्यों में करें। चन्द्रगुप्त मौर्य के काल में पाटलिपुत्र की रक्षा व्यवस्था कैसी थी?

उत्तर – पाटलिपुत्र प्राचीनकाल से ही अपनी वैभव परम्परा के लिए विख्यात रही है। विदेशी यात्री ने संस्मरणों में यहाँ की अनेक उत्कृष्ट सम्पदाओं का वर्णन किया है। मेगास्थनीज ने लिखा है कि चन्द्रगुप्तमौर्य काल में यहाँ की शोभा और रक्षा व्यवस्था अति उत्कृष्ट थी। अशोक काल में यहाँ निरन्तर समृद्धि रही। कवि राजशेखर ने अपनी रचना काव्यमीमांसा में ऐसी ही बात लिखी है। यहाँ बड़े-बड़े कवि – वैयाकरण भाष्यकार (परीक्षित) हुए।

‘आज पाटलिपुत्र नगर ‘पटना’ के नाम से जाना जाता है। जहाँ संग्रहालय, गोलघर, जैविक उद्यान इत्यादि दर्शनीय स्थल हैं। इस प्रकार पाटलिपुत्र प्राचीनकाल से आज तक विभिन्न क्षेत्रों में वैभव धारण करता है। इसका संकलित रूप संग्रहालय में देखने योग्य है।

10. चन्द्रगुप्त मौर्य के काल में पाटलिपुत्र की रक्षा व्यवस्था कैसी थी ?

उत्तर- पाटलिपुत्र प्राचीनकाल से ही अपनी वैभव परम्परा के लिए विख्यात रही है। विदेशी यात्रियों ने अपने संस्मरणों में यहाँ की अनेक उत्कृष्ट सम्पदाओं का वर्णन किया है। मेगास्थनीज ने लिखा कि चन्द्रगुप्त मौर्य काल में यहाँ की शोभा और रक्षा व्यवस्था अति उत्कृष्ट थी। अशोक काल में यहाँ निरन्तर समृद्धि रही।

11. सिख सम्प्रदाय के लोगों के लिए पटना क्यों महत्वपूर्ण है?

उत्तर- गुरु अर्जुन देव पटना सिटी में जन्म लिए। पटना सिटी में सभी सिख धर्म गुरु पधारे हैं। दसवें गुरु गोविन्द सिंह का गुरुद्वारा भी यहीं है। इसीलिए इस पवित्र स्थल का सिख सम्प्रदाय में बड़ा महत्व है।

 

द्वितीयः पाठः

 

पाटलिपुत्रवैभवम्

 

[ बिहारराज्यस्य राजधानीनगर पाटलिपुत्रं सर्वेषु कालेषु महत्वमधारयत्। अस्येतिहास सार्धसहस्रद्वयवर्षपरिमितः वर्तते। अत्र धार्मिकक्षेत्रं राजनीतिक्षेत्रम् उद्योगक्षेत्रं च विशेषेण ध्यानाकर्षकम्। वैदेशिका: यात्रिणः मेगास्थनीज-फाह्यान-हृयेनसांग इत्सिंगप्रभूतय पाटलिपुत्रस्य वर्णनं स्व-स्व संस्मरणग्रन्चेषु चक्रुः। पाठेऽस्मिन् पाटलिपुत्रवैभवस्य सामान्य परिचयो वर्तते। ]

 

पाठ परिचय- यह पाठ बिहार राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र का है पाटलिपुत्र नगर को सभी कार्यों में महत्वपूर्ण स्थान धारित है इसके इतिहास 2000 वर्ष के आसपास गिना जाता है यहां धार्मिक उद्योग क्षेत्र और राजनीतिक क्षेत्र में विशेष रुप से ध्यान आकर्षित किए हुए थे विदेशी यात्री वाहन पॉइंट सहित इत्यादि ने के द्वारा पाटलिपुत्र का वर्णन अपने अपने आचरण ग्रंथों में किया गया है इस पाठ में पाटलिपुत्र वैभव का सामान्य परिचय है

 

सारांश

प्राचीनेषु भारतीयेषु नगरेष्वन्यतमं पाटलिपुत्रमनुगङ्गं वसद्विचित्रं महानगरं बभू

दामोदरगुप्तो नाम कविः कुट्टनीमताख्ये काव्ये कथयति

 

श्लोक

अस्ति महीतलतिलकं सरस्वतीकुलगृहं महानगरम्।

” नाम्ना पाटलिपुत्रं

परिभूतपुरन्दरस्थानम् ॥ 

 

इतिहासे श्रूयते यत् गङ्गायास्तीरे बुद्धकाले पाटलिग्रामः स्थितः आसीत् । यत्र च भगवान् बुद्धः बहुकृत्वः समागतः । तेन कथितमासीत् यद् ग्रामोऽयं महानगरं भविष्यति किन्तु कलहस्य अग्निदाहस्य जलपूरस्य च भयात् सर्वदाक्रान्तं भविष्यति । कालान्तरेण पाटलिग्रामः एव पाटलिपुत्रमिति कथितः । चन्द्रगुप्त मौर्यस्य काले अस्य नगरस्य शोभा रक्षाव्यवस्था च अत्युत्कृष्टासीदिति यूनानराजदूतः मेगास्थनीज: स्वसंस्मरणेषु निरूपयति अस्य नगरस्य वैभव प्रियदर्शिनः अशोकस्य समये सुतरां समृद्धम् ।

 

बहुकालं पाटलिपुत्रस्य प्राचीना सरस्वतीपरम्परा प्रावर्तत इति राजशेखरः स्वकाव्यमीमांसा – नामके कविशिक्षाप्रमुखे ग्रन्थे सादरं स्मरति यहाँव तक पाणिनि औलि ने सिंहगर्जन की। परनधि एवं

 

९ अत्रोपवर्धवर्षाविह पाणिनिपिङ्गलाबिह ब्याडिः । पंतजलि यहाँ परीक्षित होकर ) वररुचिपतञ्जली इह परीक्षिताः ख्यातिमुपजग्मुः ॥ रत्नाति पुरत है। कतिपयेषु प्राचीनसंस्कृतग्रन्थेषु पुराणादिषु पाटलिपुत्रस्य नामान्तरं पुष्पपुरं कुसुमपुरं वा प्राप्यते । अनेन ज्ञायते यत् नगरस्यास्य समीपे पुष्याणां बहुलमुत्पादनं भवति स्म। पाटलिपुत्रमिति

 

शब्दोऽपि पाटलपुष्याणां पुतलिकारचनामाश्रित्य प्रचलितः शरत्काले नगरेऽस्मिन् कौमुदीमहोत्सवः

 

इति महान् समारोहः गुप्तवंशशासनकाले अतीव प्रचलितः । तत्र सर्वे जनाः आनन्दमग्नाः अभवन् ।

 

सम्प्रति दुर्गापूजावसरे तादृशः एव समारोह दृश्यते ।

 

कालचक्रवशाद् यद्यपि मध्यकाले पाटलिपुत्रं वर्षसहस्रपरिमितं जीर्णतामन्वभूत् । तस्य सङ्केतः अनेकेषु साहित्यग्नन्थेषु मुद्राराक्षसादिषु लभ्यते । मुगलवंशकाले अस्य नगरस्य समुद्धारो जातः । आंग्लशासनकाले च पाटलिपुत्रस्य सुतरां विकासो जातः । नगरमिदं मध्यकाले एव घटनेति नाम्ना प्रसिद्धिमगात् । अयं च शब्दः पत्तनमिति शब्दात् निर्गतः । नगरस्य पालिका देवी पटनदेवीति अद्यापि पूज्यते ।

 

सम्प्रति पाटलिपुत्रम् (पटना नाम नगरम्) अति विशालं वर्तते बिहारस्य राजधानी चास्ति । अनुदिनं नगरस्य विस्तारः भवति । अस्योत्तरस्यां दिशि गङ्गा नदी प्रवहति । तया उपरि गाँधी सेतुर्नाम एशियामहादेशस्य दीर्घतमः सेतुः किञ्च रेलयानसेतुरपि निर्मीयमानो वर्तते । नगरेऽस्मिन् उत्कृष्टः संग्रहालय, उच्चन्यायालयः, सचिवालयः, गोलगृहम्, तारामण्डलम्, जैविकांद्यानम्, गौर्यकालिकः अवशेषः, महावीरमन्दिरम-इत्येते दर्शनीयाः सन्ति । प्राचीनपटनानगरे सिखसम्प्रदायस्य पूजनीय स्थल दशमगुरोः गोविन्दसिंहस्य जन्मस्थानं गुरुद्वारेति नाम्ना प्रसिद्धं वर्तते । तत्र देशस्यास्य तीर्थयात्रिणः दर्शनार्थमायान्ति ।

 

हिंदी अनुवाद में सारांश

प्राचीन भारत में गंगा नदी पर बसा विचित्र पटना नगर है इसका वर्णन दामोदर गुप्त नामक कभी कूटनीतिक के काव्य में करते हैं इतिहास में सुना जाता है कि गंगा तट पर बसा यह पटना बहुत समय पहले गांव था जहां भगवान बुध बहुत बार आए थे वह कहे कहे थे कि भविष्य में यह गांव कभी महानगर होगा लेकिन लड़ाई झगड़ा आग लगी और बाढ़ की समस्या बनी रहेगी चंद्रगुप्त मौर्य की काल में इस नगर का शोभा रक्षा व्यवस्था और अति आकृष्ट था यूनानी राजदूत मेगास्थनीज स्मरण ग्रंथों में लिखा है कि इस नगर का वैभव प्रियदर्शनी अशोक के समय समृद्ध था बहुत समय तक पाटलिपुत्र प्राची सरस्वती परंपरा थी यहां राजशेखर स्वयं अपने काव्य मीमांसा नामक कवि का ग्रंथ सदा पढ़ते थे

यहां वर्षों तक पानी और पिघलने सिंह गर्जना की वार्ड रुचि एवं पतंजलि यहां परिचित होकर ख्याति प्राप्त की कुछ प्राचीन संस्कृत ग्रंथों में और पुराणों में पाटलिपुत्र का नाम बाद में पुष्प पुरिया कुसुमपुर प्राप्त होता है इससे यह पता चलता है कि इस नगर के समीप पुष्पों का बहुत बड़ा उत्पादन होता था पाटलिपुत्र यह शब्द भी पाटल पुष्प के पुतलीका का रचना के सहारे प्रचारित है

किस नगर में ठंड के मौसम में कौमुदी महोत्सव ऐसी महान समारोह है जो गुप्त वंश के शासन काल में अत्यंत प्रचलित था उसमें सभी लोग आनंद मगन होते थे इसमें दुर्गा पूजा के अवसर में वैसा ही समारोह दिखाई पड़ता है कालचक्र के अनुसार मध्य काल में पाटलिपुत्र को हजार वर्ष की जीर्णता प्राप्त हुई जिसका संकेत अनेक साहित्य ग्रंथों में और मुद्राराक्षस आदि में प्राप्त होता है मुगल वंश काल में इस नगर का  उद्धार  हुआ

अंग्रेजों के शासन काल में पाटलिपुत्र का बहुत विकास हुआ यह शब्द पतन ऐसा शब्द से निर्गत हुआ जिसका पालन करने वाली देवी पाटन देवी ऐसा आज भी पूजी जाती है उन्हीं के नाम पर  पाटलिपुत्र का नाम पटना परा

आजकल पटना नगर अत्यंत विशाल है और बिहार की राजधानी है दिन प्रतिदिन इस नगर का विकास हो रहा है इसके उत्तर दिशा में गंगा नदी बहती है उसके ऊपर गांधी सेतु नाम एशिया का सबसे बड़ा पुल है जिस पर रेल लाइन इत्यादि का काम चल रहा है इस नगर में महावीर मंदिर संग्रहालय उच्च न्यायालय सचिवालय गोलघर तारामंडल जैविक उद्यान मौर्य कालीन अवशेष इत्यादि दर्शनीय स्थल है। प्राचीन पर में पटना नगर में सिख संप्रदाय के पूजनीय स्थल दशम गुरु गुरु गोविंद सिंह का जन्म स्थल भी पटना ही है जिनके नाम पर गुरुद्वार भी है इस नाम से प्रसिद्ध है वहां इस  देश के तीर्थ यात्री दर्शन के लिए आते हैं। इस प्रकार प्राचीन काल से आज कल विभिन्न क्षेत्रों में वैभव को धारण करता हुआ सभी के संकलित रूप के द्वारा संग्रहालय में देखने योग्य है  । 

 

 

 

 

 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top