Class 10th संस्कृत पाठ-3 अलसकथा के सभी महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

Class 10th संस्कृत पाठ-3 अलसकथा के सभी महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

यह पाठ मैट्रिक बोर्ड परीक्षा देने वाले सभी छात्र-छात्राओं के लिए जरूरी है जो भी संस्कृत विषय पढ़ते हैं या इस में रुचि रखते हैं उन सभी को कक्षा 10 के लिए संस्कृत 3 पाठ आलस कथा जरूर पढ़ना चाहिए बहुत ही मजेदार पाठ है नीचे इसका सारांश किया गया है जो कहानी के तौर पर है जिसे पढ़ने के बाद आपको पूरी तरह समझ में आ जाएगा। 

 

 

Class 10th संस्कृत पाठ-3 अलसकथा के सभी महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

 

1. चारों आलसियों के वार्तालाप को अपने शब्दों में लिखें। अथवा, वास्तविक आलसियों की पहचान कैसे हुई ?

उत्तर— अलसशाला में आग लगने पर भी चार आलसी लोग भागने के बजाए आपस में बातचीत कर रहे थे। एक ने कपड़े से मुख ढँककर कहा- अरे हल्ला कैसा ? दूसरे ने कहा लगता है कि इस घर में आग लग गयी है। तीसरे ने कहा- कोई भी ऐसा धार्मिक नहीं है जो इस समय पानी से भींगे वस्त्रों से या चटाई से हमलोगों को ढँक दे। चौथे ने कहा- अरे ! वाचाल कितनी बातें करोगे?

2. “अलसकथा” में किसका वर्णन है ?

अथवा, अलस- कथा’ पाठ के लेखक कौन हैं तथा उस कथा से क्या शिक्षा मिलती है?

उत्तर—मैथिली कवि विद्यापति रचित ” अलसकथा” में आलसियों के माध्यम से शिक्षा दी गयी है कि उनका भरण-पोषण करुणाशीलों के बिना सम्भव नहीं है। आलसी काम नहीं करते, ऐसी स्थिति में कोई दयावान् हीं उनकी व्यवस्था कर सकता है। अतएव आत्मनिर्भर न होकर दूसरे पर वे निर्भर हो जाते हैं।

3. “अलसकथा” का क्या संदेश है या क्या शिक्षा मिलती है?

उत्तर—अलसकथा का संदेश है कि आलस्य एक महान् रोग है। आलसी का सहायक प्रायः कोई भी नहीं होता। जीवन में विकास के लिए व्यक्ति का कर्मठ होना अत्यावश्यक है। आलस्य शरीर में रहनेवाला महान् शत्रु है जिससे अपना, परिवार का और समाज का विनाश अवश्य ही होता है। यदि जीवन में विकास की इच्छा रखते हैं तब आलस्य त्यागकर उद्यम को प्रेरित हों ।

4. अलसकथा पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें।

अथवा, विद्यापति कौन थे? उन्होंने किस ग्रन्थ की रचना की तथा ‘अलस कथा’ में किसकी कहानी है? छः वाक्यों में लिखें

उत्तर—विद्यापति मैथिली के कवि थे। इस ग्रन्थ में चार आलसी पुरुषां की कहानी है। यह पाठ विद्यापति द्वारा रचित पुरुषपरीक्षा नामक कथाग्रन्थ से संकलित एक उपदेशात्मक लघु कथा है। विद्यापति ने मैथिली, अवहट्ट तथा संस्कृत तीनों भाषाओं में ग्रन्थ रचना की थी । पुरुषपरीक्षा में धर्म, अर्थ, काम इत्यादि विषयों से सम्बद्ध अनेक मनोरञ्जक कथाएँ दी गयी हैं। अलसकथा में आलस्य के निवारण की प्रेरणा दी गयी है। इस पाठ से संसार की विचित्र गतिविधि का भी परिचय मिलता है।

5. अलसशाला में आग लगने पर क्या हुआ?

अलसशाला में आग लगने पर लगे आग को बढ़ते देखकर सभी उत्तर— धूर्त लोग भाग गये। इसके बाद कुछ आलसी लोग भी भाग गये।

 

उत्तर—आलसी चार पुरुष जब आग से घिर गए तो एक ने कहा- यह कैसा कोलाहल है। दूसरे ने कहा— शायद घर में आग लगी है। तीसरे कहा—कोई धार्मिक व्यक्ति नहीं है क्या जो हमारे ऊपर गीला कपड़ा डाल दे। चौथे ने कहा—अरे वा चाल कितनी बातें बोल सकते हो, चुप तो हो जा ऐसा सुनकर नियुक्त पुरुषों ने मानलिया कि ये चारों वास्तविक आलसी हैं। उनके बाल पकड़कर आग के बीच से बाहर खिच लिया।

7. आलसशाला के कर्मचारियों ने आलसियों की परीक्षा क्यों और कैसे ली ? अथवा, अलसशाला में आग क्यों लगाई गई?

उत्तर—आलसशाला के कर्मचारियों ने देखा कि नकली आलसा भी भोजन ग्रहण कर रहे हैं। अतः उन्होंने विचार किया कि सही आलसियों की परीक्षा ली जाए। अतः उन्होंने शाला में आग लगवा दिया। आग लगते ही सभी नकली आलसी तो भाग गए परन्तु चार आलसी नहीं भागे। उनको राजा के कर्मचारियों ने बाल पकड़कर बाहर खिंच लिया।

Boy Sanjay Kumar 

पाठ-,  3 अलसकथा

 

[ अयं पाठः विद्यापतिकृतस्य कथाग्रन्थस्य पुरुषपरीक्षेतिनामकस्य अंशविशेषो वर्तते । पुरुषपरीक्षा सरलसंस्कृतभाषायां कथारूपेण विभिन्नानां मानवगुणानां महत्त्वं वर्णयति, दोषाणां च निराकरणाप शिक्षां ददाति विद्यापतिः लोकप्रियः मैथिलीकविः आसीत्। अपि च बहूनां संस्कृतग्रन्थानां निर्मातापि विद्यापतिरासीत् इति तस्य विशिष्टता संस्कृतविषयेऽपि प्रभूता अस्ति। प्रस्तुते पाठे आलस्वनामकस्य दोषस्य निरूपणे व्यंग्यात्मिका कथा प्रस्तुता विद्यते। नीतिकारा: आलस्यां रिपुरूपं मन्यन्ते । ] 

 

पाठ परिचय हिंदी अनुवाद– यह पाठ्य विद्यापति द्वारा रचित पुरुष परीक्षा नामक कथा ग्रंथ का अंत विशेष है पुरुष परीक्षा सरल संस्कृत भाषा में मानव गुण का विभिन्न महत्व का वर्णन करता है और दोषों को दूर करने के लिए शिक्षा देता है विद्यापति लोकप्रिय मैथिली कवि थे और बहुत से संस्कृत ग्रंथ का निर्माता भी विद्यापति जी हैं या उसकी विशेष संस्कृत विषय में है ।प्रस्तुत पाठ आलस नामक दोषों को दूर करने के लिए व्यंगात्मक कथा प्रस्तुत करते हैं नीतिकार लोग  आलस को शत्रु मानते हैं

 

आसीत् मिथिलायां वीरेश्वरो नाम मन्त्री स च स्वभावाद् दानशील कारुणिकश्च सर्वेभ्यो

दुर्गंतेभ्योऽनाथेभ्यश्च प्रत्यहमिच्छाभोजन दापयति। तन्मध्ये ऽलसेभ्योऽप्यन्नवस्त्रे दापयति । यतः

निर्गतीनां च सर्वेषामलसः प्रथमो मतः ।

किञ्चिन्न क्षमते कर्तुं जाठरेणाऽपि वह्निना ॥

 

ततोऽलसपुरुषाणां तत्रेष्टलाभं श्रुत्वा बहवस्तुन्दपरिमृजास्तत्र वर्तुलीबभूवुः यतः –

 

स्थितिः सौकर्यमूला हि सर्वेषामपि संहते ।

सजातीनां सुखं दृष्ट्वा के न धावन्ति जन्तवः ॥

पश्चादलसानां सुखं दृष्ट्वा धूर्ता अपि कृत्रिमंमालस्यं दर्शयित्वा भोज्यं गृह्णन्ति । तदनन्तरमलसशालायां बहुद्रव्यव्ययं दृष्ट्वा तन्नियोगिपुरुषैः परामृष्टम् यदक्षमबुद्ध्या करुणया केवलमलसेभ्यः स्वामी वस्तूनि दापयति, कपटेनाऽनलसा अपि गृहह्णन्ति इत्यस्माकं प्रमादः। यदि भवति तदालसपुरुषाणां परीक्षां कुर्मः इति परामृश्य प्रसुप्तेषु अलसशालायां तन्नियोगिपुरुषाः वहिनं दापयित्वा निरूपयामासुः।

ततो गृहलग्नं प्रवृद्धमग्निं दृष्ट्वा धूर्ताः सर्वे पलायिताः। पश्चादीषदलसा अपि पलायिताः। चत्वारः पुरुषास्तत्रैव सुप्ताः परस्परमालपन्ति। एकेन वस्त्रावृतमुखेनोक्तम् अहो कथमयं कोलाहल ? द्वितीयेनोक्तम् – तर्ज्यते यदस्मिन् गृहे अग्निर्लग्नांऽस्ति तृतीयेनोक्तम् कोऽपि तथा धार्मिको नास्ति

 

सारांश हिंदी अनुवाद- मिथिला में वीरेश्वर नाम का एक मंत्री थे जो स्वभाव से दान शील एवं दयावान लगते थे वे सभी गरीब और अनाथ हो को प्रतिदिन इच्छा अनुसार भोजन दिलवा के थे और उसी बीच संध्या को आलसी को भी आना और वस्त्र दिलवाते थे । बाद में अलसी पुरुष की सुबह को देखकर कुछ तो दम रहने वाले लोग अर्थात कब कि लोग भी उसमें शामिल हो गए और भोजन ग्रहण करने लगे वह बस बनावटी आलसी दिखा करके और भोजन ग्रहण कर रहे थे आल्सो के घर में अधिक खर्च को देख कर के राज्य पुरुषों ने विचार किया कि कम बुद्धि से और दया से भी केवल आलसी को स्वामी वस्तु दिलवा देते हैं कपट से बिना आलसी भी भोजन ग्रहण करते हैं यह हम लोग की आलसी हैं यही विचार कर राज पुरुषों ने आलसियों  की परीक्षा लेने का निर्णय किया । और आलसियों के घर में आग लगा दिया और वही छिप गया फिर आपको देखकर सभी ध्रुत यानी कपटी लोग वहां से भागने लगे और कम आलसी लोग भी भागने लगे किंतु चार आलसी सोए आपस में बात करते रहे तभी एक ने मुंह  ढके हुए बोला    यह कैसी हल्ला है फिर दूसरा ने बोला लगता है इस घर में आग लग गया है फिर तीसरा ने बोला कोई ऐसा धार्मिक पुरुष नहीं है जो हमें भींगी हुई चटाई से ढाक दे फिर चौथे आलसी ने गुस्से में बोलते हैं अरे वाचाल तुम लोग कितना बोलते हो हमें सोने भी नहीं देते। यह कह कर वह सब सो गए। जब राज पुरुषों ने देखा कि आग जलकर गिरने लगा तभी चारों आरोपियों को राज्य पुरुषों ने किस पकड़ कर बाहर निकाला और बाद में चारों आलसी को पहले से भी अधिक वस्तु धन इत्यादि दिया गया

 

इस पाठ से yah शिक्षा मिलता है कि कभी भी झूठे आलसी करना पाप है अर्थात आलस नहीं करनी चाहिए

 

इस पाठ में 3 श्लोक है जिसका हिंदी नीचे दिया गया है

 

  1. सभी नीच लोगों में अलसी का प्रथम स्थान है क्योंकि भूख से व्याकुल होने पर भी कोई काम नहीं करता है। 

 

2 सुविधाजनक स्थिति कौन प्राणी नहीं चाहता है क्योंकि अपनी जातियों की सुख सुविधा देकर कौन नहीं दौड़ता है अर्थात सभी दौड़ते हैं। 

 

3 स्त्रियों में गति पति के कारण होते हैं। बच्चों में गति मां के कारण होती हैं । लेकिन अलसी में गति दयावान के सिवा नहीं होता। 

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Boy Sanjay sir

 

 

 

 

 

 

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