Class 10,hindi subjective chapter 2 ढहते विश्वास
- ■ ढहते विश्वास
Shorts Question |
1. सातकोड़ी होता के कथा साहित्य की विशेषता क्या है?
उत्तर ;- सातकोड़ी होता के कथा – साहित्य में उड़ीसा का जन-जीवन पूरी आन्तरिकता के साथ प्रकट हुआ है।
2. ‘ढहते विश्वास’ कहानी का वर्ण्य विषय क्या है?
उत्तर—ढहते विश्वास’ कहानी का वर्ण्य विषय उड़ीसा है- सूखा – बाढ़ का तांडव और इन दोनों से जूझते लोगों का अदम्य साहस ।
3. लक्ष्मी कौन थी?
उत्तर- लक्ष्मी उड़ीसा की एक स्त्री थी, जिसका घर देवी बाँध के नीचे था।
4. लक्ष्मी ने अपने पुत्र को किस कार्य के लिए भेज दिया था?
उत्तर- लक्ष्मी ने अपने कर्मठ बेटे अच्युत को बाढ़ की विभिषिका से बचाव कार्य हेतु भेज दिया।
5. हीराकुंद बाँध कहाँ है और किस नदी पर बाँधा गया है?
उत्तर- हीराकुंद बाँध उड़ीसा में है और महानदी पर बाँधा गया है।
6. अच्युत कौन था?
उत्तर- अच्युत लक्ष्मण- लक्ष्मी का बड़ा बेटा था। कर्मठ और साहसी ।
7. बाढ़ से घर छोड़ने की आशंका से लक्ष्मी ने क्या तैयारी की?
उत्तर- बाढ़ से घर छोड़ने की आशंका से लक्ष्मी ने एक बोरे में थोड़ा-सा चिवड़ा, कुछ कपड़े और दो-चार बर्तन बाँध कर रख लिए। गाय-बछड़े का पगहा और बकरियों को खोल दिया ।
8. बाढ़ का प्रभाव लोगों पर क्या पड़ा?
उत्तर- लोगों को किसी का भरोसा नहीं रहा । देवी-देवताओं पर से भी लोगों का विश्वास उठने लगा ।
9. लक्ष्मण कौन था और क्या करता था ?
उत्तर- लक्ष्मण लक्ष्मी का पति था और कोलकाता में काम करता था ।
10. नदी की बाढ़ का विकराल रूप देखने के बावजूद मनुष्य वहाँ से क्यों नहीं खिसका?
उत्तर ;- नदी की बाढ़ का विकराल रूप देखने के बावजूद मनुष्य वहाँ से नहीं खिसका क्योंकि परिस्थतियों को अपने अनुकूल करने की ताकत रखता है। बाढ़ के बाद उसमें इतनी क्षमता है कि पुनः उत्थान कर लेगा।
Long type question |
→ ढहते विश्वास
1. ‘ढहते विश्वास’ कहानी का सारांश प्रस्तुत करें। उत्तर- ‘दहरो विश्वास कहानी की लक्ष्मी को गाँववाले की तरह ही शिव और माँ मुंडेश्वरी पर अखंड विश्वास है बाढ़ और सुखाड़ से वे सबको रक्षा करेंगे। लेकिन जब सुखाड़ पड़ा तो उसकी धान की फसल गई और आई तो अनेक जाने गई। मंदिर भी दूब गया। सब सत्यानाश हो गया। अतः बाढ़ लक्ष्मी का विश्वास शिव और माँ मुंडेश्वरी पर से दह गया।
2. बिहार का जन-जीवन भी बाढ़ और सूखा से प्रभावित होता रहा है। इस संबंध में आप क्या सोचते हैं? लिखें।
उत्तर- शायद ही कोई साल होता है, जब बिहार के किसी हिस्से में बाया सूखा का प्रकोप नहीं होता। कभी यहाँ तो कभी वहाँ हाँ, यह बात दूसरी है कि पिछली सदी के सातवें दशक में सूखे की जैसी काली छाया संपूर्ण बिहार पर पड़ी वैसा पहले नहीं हुआ। उन दिनों पूरे सूबे में हाहाकार मच गया थ सूरज की आग से धरती दरक गई, बादलों ने मुँह मोड़ लिया था। अब भा ख तो पड़ता ही है, कभी इस जिले में, कभी उस जिले में। वहाँ किसान कराहने लगते हैं। सूखा भले हर साल खास-खास जिलों में नहीं पड़ता, किन्तु कुछ जिल में बाढ़ हर साल अपनी लीला दिखाती है। गंडक, गंगा, सोन आदि बहु अधिक तबाही नहीं मचाती। किन्तु कोशी, नारायणी आदि हर साल उछलती कृती आतीं और गाँव, शहर ही नहीं, जिला का जिला तबाह कर देती हैं। घर खेत-खलिहान, सड़क को ही नहीं लीलतीं, रेल की पटरियों का भी अस्थिपंजर ढीला कर देती है। हजारों लोग दह वह जाते हैं। मधेपुरा, सुपौल, सीतामढ़ी, अररिया, दरभंगा, दोनों चम्पारण, पूर्णिया आदि जिलों में दुर्दशा हो जाती है। जो लोग इधर-उधर शरण लेकर जीवित बचते हैं, वे भोजन-पानी के लिए तड़पते हैं। लोगों के हाहाकार को नदियाँ अपने हहारा में डुबो देती हैं। पानी ही पानी के कारण लोगों को राहत पहुँचाना संभव नहीं होता। सड़कें डूबीं, रेल की पटरियाँ उखड़ी। पानी की धार ऐसी कि नाव चलाना भी मुश्किल! राहत का सामान पहुँचना मुश्किल राहत की सामग्री भी कोट में खाज की तरह राजनीतिक प्रपंच या दलालों, भ्रष्टाचारियों के कारण, ठीक-ठीक नहीं पहुँच पाती। सन् 2009 ई० में जो बाढ़ आई वह सबसे बड़ी प्राकृतिक विपदा थी। नेता हवाई जहाज से आए और हवा हो गए। यह कहानी है. प्रत्येक वर्ष की।
यह विडम्बना ही है कि आजादी के 70 वर्ष बाद भी बाढ़ रोकने का पुख्ता प्रबंध नहीं हुआ। जाने कितनी केन्द्र और राज्य सरकारें आई-गई लेकिन बाढ़ और सूखा की समस्या बरकरार हैं। लेकिन बिहार के लोग कायर नहीं हैं, अभी भी डटे हैं, लड़ने के लिए कमर कसकर तैयार हैं। प्रतीक्षा है, एक ईमानदार प्रयत्न की
3. गुणनिधि का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर — गुणनिधि गाँव का नौजवान है। कटक में पड़ता है वह साहसी पढ़ता है, उसे अपने सामाजिक दायित्व का बोध है और नेतृत्वगुण सम्पन्न है। जब गाँव आता है और बाढ़ का खतरा देखता है तो स्वयंसेवक दल का गठन करता है। स्वयं सदा उनके साथ रहकर उनका उत्साह बढ़ाता है- ‘निठल्ला के लिए जगह भी नहीं है दुनिया में जिस मनुष्य ने थोड़ी पत्थर बांधा है, वह मनुष्य अभा मरा थोड़े ही है। खुद पेंट-शर्ट उतार कर , काँछ लगाकर, कमर कस कर काम पर जुटा रहता है रात-दिन ।
4. लक्ष्मी कौन थी? उसकी पारिवारिक स्थिति का चित्र प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर- लक्ष्मी उड़ीसा की रहनेवाली थी। देवी नदी के बाँध के नीचे उसका घर था। पति लक्ष्मण कोलकाता में कहीं नौकरी करता था। लक्ष्मी के चार बच्चे थे। लक्ष्मण की कमाई से भरण-पोषण नहीं होता था सो लक्ष्मी तहसीलदार साहब के यहाँ छिटपुट काम कर कुछ पैसे पा लेती थी। पुरखों की छोड़ी एक बीघा खेती थी और जमीन का एक टुकड़ा। बाढ़ और की चपेट में रहने के कारण यह सब काम न आता था। लक्ष्मी की गृहस्था बड़ी मुश्किल से चलती थी।
5. ‘ढहते विश्वास’ शीर्षक कहानी की सार्थकता पर विचार करें।
उत्तर – रचनाकार को यह छूट है कि वह अपनी रचना का शीर्षक जो चाहे रखे। किन्तु सिद्धान्तः शीर्षक के संबंध में शास्त्रों का विचार है कि यह मूलभाव का द्योतक, आकर्षक और छोटा अर्थात् संक्षिप्त होना चाहिए। इस दृष्टि से विचार करने पर हम पाते हैं कि पूरी कथा में बाढ़ और उससे बचने के प्रयास में मनुष्य के विश्वास का ढहना दिखलाया गया है। बाढ़ से निजात पाने के लिए देवी-देवताओं से की गई प्रार्थना, मनीतियाँ व्यर्थ होती हैं। इस प्रकार, यह शीर्षक मूलभाव को व्यक्त करता है। जहाँ तक आकर्षक और संक्षिप्त होने की बात है यह शीर्षक दोनों अपेक्षाओं को पूरा करता है क्योंकि ‘ढहते विश्वास’ पढ़ने के साथ ही मन में उत्सुकता जगती है कि कौन विश्वास, कैसा विश्वास जो वह रहा है? और संक्षिप्त तो खैर है ही इस प्रकार, ‘ढहते विश्वास’ उपयुक्त शीर्षक है।
6. लक्ष्मी के व्यक्तित्व पर विचार करें। या लक्ष्मी का चरित्र-चित्रण करें।
उत्तर- लक्ष्मी उड़ीसा के गाँव की घरेलू स्त्री है। कर्मठ है। पति लक्ष्मण कोलकाता में काम करता है और जो कुछ भेजते हैं उससे चार बच्चों का पालन-पोषण नहीं होता तो तहसीलदार साहब के यहाँ छिटपुट काम कर खाना दाना करती है। वह पतिपरायण है। पति के परदेशी होने का उसे दुःख है, फिर भी अच्छे दिन के इन्तजार में जी रही है। लक्ष्मी को आकाश का ज्ञान है। देखते ही वर्षा होने छूटने का अनुमान कर लेती है। वह सामाजिक भी है। जब बाढ़ का खतरा आता है तो अपने बेटे को खुशी-खुशी बाँध की रक्षा करने के लिए भेज देती है और लड़कों का उत्साह भी बढ़ाती है। लक्ष्मी दूरदर्शी और चतुर है। बाद की संभावना से बचने के लिए बोरे में चिवा भर कर रख लेती है, गाय-बछड़े का पहा खोल देती और बकरियों को खुला छोड़ देती है। लक्ष्मी ममतामयी है। जब बाढ़ आती है तो अपने बच्चों को लेकर सुरक्षित स्थान को चल पड़ती है। बड़े बेटे के लिए पीछे मुड़-मुड़ कर देखती है, उसके लिए उसका जी कचोटता है और बाढ़ में जब उसके गोद का बच्चा वह जाता है तो चीखती-चिल्लाती है किन्तु एक दूसरे नन्हें बच्चे को देखकर स्नेहवश उसके मुँह में अपना स्तन लगा देती है, उसे यह भी सुध नहीं है कि वह बच्चा इस संसार में नहीं है। इस प्रकार, लक्ष्मी कर्मठ, कुशल, पतिपरायण, दायित्वबोध वाली स्त्री और ममतामयी माँ है।
7. कहानी में आए बाढ़ के दृश्यों का चित्रण अपने शब्दों में करें। प्रस्तुत
उत्तर—अनवरत बारिश शुरू हो गयी। भादों के शुरू से ही वर्षा हो रही है। थमने का नाम नहीं लेती। पन्द्रह दिन बीत गए, सूरज के दर्शन नहीं हुए। खबर है कि महानदी का ऊपरी और निचला छोर दोनों पानी में डूब चुके है। सहसा ताड़ के पेड़ के पास पानी की तेज धारा किनारे से आकर टकराई। टकराते ही पानी बाँध की दूसरी ओर लाँघ गया। लोग चिल्लाने लगे। पलभर में हो-हल्ला मच गया पूरे गाँव में लोग कूदते फाँदते टीले की ओर दौड़ने लगे। किनारे समाने लगे, नदी के गर्भ में घर के समान नदी की ऊँची धारा चली आ रही थी नदी की ओर से जो लोग भाग रहे थे वे शिवमंदिर के पास पहुँचे कि पानी गले तक आ गया। देखते-देखते बूढ़े बरगद का तना डूब गया, पानी शाखाओं को चूमने लगा। पानी की खानी से बरगद आखिर थरथराने लगा। ऊँची छलाँगे भरता पानी बढ़ने लगा और पीछे उसमें समाने लगे मनुष्य, पशु, स्थावर-जंगम । टीले के नीचे का स्कूल डूब गया। छत पर पानी लहरा रहा था। टीले पर तिल रखने की जगह नहीं थी। लोग एक-दूसरे से सटे खड़े चिल्ला रहे थे पर कोई किसी की नहीं सुन रहा था। आस-पास शव से शव टकरा रहे में जा रहे थे। देवी-देवताओं पर विश्वास ढहने लगा।
8. ‘ढहते विश्वास’ कहानी के आधार पर प्रमाणित करें कि उड़ीसा का जन-जीवन बाढ़ और सूखा से काफी प्रभावित रहा है।
उत्तर- उड़ीसा भारत के उन राज्यों में है, जिन पर बाढ़ और सूखा का कहर टूटता ही रहता है। लोग बसते नहीं कि उजड़ जाते हैं। ‘ढहते विश्वास’ कहानी में इस सच्चाई को सातकोड़ी होता ने रूपायित किया है। एक स्थान पर उन्होंने लिखा है—लगता है, अब समय को लोगों का सुख-चैन सहन नहीं हो पा रहा है। वरना तूफान के तुरन्त बाद सूखा न पड़ता। फिर भी हार न मानकर बारिश होने पर रोपनी का इन्तजार कर रहे थे किसान कि अनवरत बारिश शुरू हो गई। भादों के शुरू से बादल बरस रहे हैं — पूरा महीना खत्म होने को आया, पर बारिश कम नहीं रही है।’ फिर होता लिखते हैं- ‘दलेइ बाँध टूट गया, चारों ओर बाढ़ के पानी के साथ मनुष्य का हाहाकार मिलकर एकाकार हो गया। मनुष्य की आवाज, उसके शब्द, आनंद कोलाहल सब रेत में दफन हो गए।’ एक अन्य उदाहरण देखें- इन अठाईस वर्षों में उसने कई बाढ़, सूखा और तूफान देखे हैं। ‘बाढ़ पहली बार नहीं आ रही है, पहले भी कई बार आई है।’ उड़ीसा के बाढ़ का एक दृश्य कहानीकार ने इन शब्दों में खींचा है—’ चारों ओर असहाय लोगों का आर्तनाद सुनाई दे रहा था। घर, खेत, खलिहान, बाग-बगीचों को मिट्टी में मिलाकर परिहास करती हुई आगे बढ़ती जा रही थी नदी की धारा । ‘इन वर्णनों से स्पष्ट होता है कि उड़ीसा का जन-जीवन बाढ़ और सूखा
से काफी प्रभावित रहा है।
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