Class 10,hindi subjective chapter 1 दही वाली मंगम्मा

Class 10,hindi subjective chapter 1 दही वाली मंगम्मा

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            Shorts question

 

1. मंगम्मा ने अपना ‘धरम’ नहीं छोड़ा, कैसे?

उत्तर- संगम्मा का मर्द उसे छोड़ दिया किंतु उसने बेटे को नहीं छोड़ा, उसे पाल-पोस कर बड़ा किया। अतः अपना धर्म नहीं छोड़ा।

2. मंगम्मा का अपनी बहू के साथ किस बात को लेकर विवाद था,

उत्तर – मंगम्मा और उसकी बहू नंजम्मा में पोते की पिटाई को लेकर विवाद था।

3. सास – बहू की लड़ाई में मंगम्मा के बेटे ने किसका साथ दिया?

उत्तर – सास-बहू की लड़ाई में मंगम्मा के बेटे ने अपनी पत्नी का साथ दिया ।

4. रंगप्पा कौन था और मंगम्मा से क्या चाहता था?

उत्तर- रंगप्पा मंगम्मा के गाँव का जुआड़ी था और मंगम्मा से रुपये चाहता था।

5. मंगम्मा की बहू नंजम्मा ने अपनी सास से क्यों समझौता कर लिया?

उत्तर ;-मंगम्मा की बहू नंजम्मा ने अपनी सास से इसलिए समझौता कर लिया कि कहीं सास दूसरे को रुपये न दे दे।

6. मंगम्मा कौन थी ?

उत्तर- मंगम्मा बारी से दही बेचने वाली थी।

 

           Long type question

1. रंगप्पा कौन था और वह मंगम्मा से क्या चाहता था? 

उत्तर- रंगप्पा मंगम्मा के गाँव का आदमी था— बड़ी शौकीन तबीयत का। कभी-कभार जूआ-उआ भी खेलता था। जब उसे पता चला कि मंगम्मा बेटे से अलग रहने लगी है तो मंगम्मा के पीछे पड़ गया। एक दिन उससे हाल-चाल पूछा और बोला कि मुझे रुपयों की जरूरत है। दे दो, लौटा दूँगा। मंगम्मा ने जब कहा कि पैसे कहाँ हैं तो बोला कि पैसे यहाँ वहाँ गाड़कर रखने से क्या फायदा? दूसरे दिन रंगप्पा ने अमराई के पीछे रोक कर बाँह पकड़ ली और कहा – ‘जरा बैठो मंगम्मा, जल्दी क्या है?’ दरअसल, रंगप्पा लालची और लम्पट दोनों ही था।

2. मंगम्मा की बहू ने विवाद निपटाने में पहल क्यों की? अथवा, बहू ने सास को मनाने के लिए कौन-सा तरीका अपनाया?

उत्तर ;- बहू को जब पता चला कि रंगप्पा उसकी सास मंगम्मा के पीछे पड़ गया है तो उसके कान खड़े हो गए। कहीं सास के रुपये-पैसे रंगप्पा न ले, इस आशंका से वह बेचैन हो गई। तब उसने योजना बनाई और अपने बेटे से कहा कि जा दादी के पास, तुझे मिठाई देती है न? अगर मेरे पास आया तो पीढ़ेगी। बस, बच्चा मंगम्मा के पास आकर रहने लगा। मंगम्मा भी उसे चाहती ही थी। एक दिन पोता जिद कर बैठा कि मैं भी बेंगलूर चलूँगा मंगम्मा क्या करे? माथे पर टोकरा, बगल में बच्चा मुसीबत हो गई। तब बेटे और बहू ने आकर कहा कि उस दिन गलती हो गई हूँ कैसे चलेगा? मंगम्मा अब खुशी-खुशी बेटे-बहू के साथ रहने लगी। धीरे-धीरे बहू ने शहर में दही बेचने का धंधा भी अपने हाथ में ले लिया। उसकी मंशा पूरी हो गई।

3. ‘दही वाली मंगम्मा’ कहानी में जिन्दगी के उतार-चढ़ाव के बीच स्नेह की एक पवित्र धारा बहती है। कैसे?

उत्तर- दही वाली मंगम्मा’ श्री निवास की चर्चित कन्नड़ कहानी है। यह कहानी कर्नाटक के एक गाँव की औरत ‘मंगम्मा’, जो दही बेचती है, के इर्द-गिर्द चक्कर काटती है।

मंगम्मा ऐसी औरत है जिसके पति ने उसकी उपेक्षा की किन्तु उसने पति से मुँह नहीं मोड़ा अपने बेटे पर प्यार लुटाती रही। घर-घर दही बेचकर लालन-पालन किया, विवाह किया। जब पोता हुआ तो प्यार उस पर भी लुटाने लगी। उसका प्यार केवल अपने परिवार तक सीमित न था, ग्राहकों के बच्चों को भी प्यार करती थी। उन्हें दही खिलाती थी। बड़े मीठे बोल थे उसके । अचानक इस प्यार- सागर में एक तूफान आया। मंगम्मा ने एक दिन अपनी बहू को पोते को मारने पर डाँटा बस, वह भड़क गई। बात इतनी बढ़ी कि बहू-बेटे ने मंगम्मा को अलग कर दिया। लेकिन इस अलगाव में भी मंगम्मा बेटे पोते को प्यार से देखती, उसकी बहू उसे और सुन्दर लगती।

दुख अकेले नहीं आता। मंगम्मा को बेटे से अलग और पैसे वाली विध वा जान गाँव का शोहदा उसके पीछे पड़ गया। मंगम्मा बेचैन क्या करे, कहाँ जाए? इसी बीच पोता मंगम्मा के पास आ गया। मंगम्मा खुश फिर बेटे-बहू ने क्षमा माँग ली और सम्मानपूर्वक ले गए। मंगम्मा की प्यार की बगिया फिर लहलहा गई।

इस प्रकार, स्पष्ट है कि ‘दही वाली मंगम्मा’ कहानी में जिन्दगी के उतार-चढ़ाव के बीच स्नेह की एक पवित्र धारा बहती है।

4. दही वाली मंगम्मा के कथा वाचक कौन है? उसका परिचय दीजिए।

उत्तर- इस कहानी का कथावाचक नहीं, कथावाचिका है, जा बंगलूर में रहती है। वह संभ्रान्त है और संपन्न भी । प्रायः दही खरीदती है और मंगम्मा जैसी दहीवाली से फुरसत के क्षण में बढ़िया से बतिया भी लेती है वह शान्तिप्रिय है। मंगम्मा और उसकी पुत्रवधू के झगड़े-झंझट से वह दुखी होती है। वह मंगम्मा को सलाह देती है कि शांति से रहो, धीरे-धीरे सब कुछ

ठीक-ठाक हो जाएगा। कथावाचिका सामान्य औरतों की तरह अंध-विश्वासी नहीं है। वह विवेकी है। जब मंगम्मा कौवा से छू जाने के कारण अपनी मौत से भयभीत होती है तो कहती है कि यह सब बेकार की बात है। कौवा के 3- जाने से मरना वरना नहीं होता।

• कथावाचिका  पंडित नारायण है। जब मंगम्मा उससे अपने पैसे रख लेने की बात करती है तो कहती है कि ‘उनसे पूछूंगी तथा इस प्रकार, कथावाचिका, सुशील, संपन्न, सुसंस्कृत, शांतिप्रिय, विवेकी और पति-परायण नारी है।

5, मंगम्मा का चरित्र-चित्रण कीजिए।

उत्तर- मंगम्मा ‘दही वाली मंगम्मा’ कहानी की नायिका, कर्नाटक के एक गाँव की, भारतीय नारी है। वह आत्मनिर्भर है, दही बेचकर न सिर्फ अपना भरण-पोषण करती है, अपितु बेटे-बहू की भी मदद करती है। वह कुशल बिक्रेता है। मीठी आवाज में सबसे बोलती और जब-तब हाल-चाल भी पूछती है। मंगम्मा स्नेहमयी और स्वाभिमानी है। अपने पोते के साथ-साथ दूसरे बच्चों को भी प्यार करती है। माँगने पर दही दे देती है। उसकी बहू जब अपने बेटे को पीटती है तो बहू को मना करती है। इसी बात को लेकर बहू-बेटा से कहासुनी होने पर और अन्ततः अलग किए जाने पर उनके सामने गिड़गिड़ाती नहीं, क्षमा नहीं माँगती अपना आशियाना ठीक कर लेती है। मंगम्मा कुछ अंधविश्वासी है। जब कौवा से उसका स्पर्श होता है तो, प्रचलित धारणा के अनुसार, मृत्युभय उसे सताने लगता है। किन्तु यह सुनकर कि यह सब बेकार की बात है, वह अपने आप में लौट आती है। मंगम्मा चरित्रवान है। रंगप्पा जब उसे अकेली पाकर उस पर डोरे डालता है तो उसके जाल में नहीं फंसती । मंगम्मा सम्मान और स्नेह की भूखी है। यही कारण है जब बेटे-बहू

उससे क्षमा माँगते और सम्मानपूर्वक अपने साथ रहने की प्रार्थना करते हैं तो अस्वीकार नहीं करती। इस प्रकार, मंगम्मा आत्मनिर्भर, स्वाभिमानी, मृदुभाषी, स्नेहमयी पर अंधविश्वासी, चरित्रवान भारतीय नारी है जो सम्मान और स्नेह की भूखी है।

6. नजम्मा के बारे में आप क्या सोचते हैं? या, जम्मा का चरित्र चित्रण कीजिए

उत्तर–नंजम्मा कथा नायिका मंगम्मा की बहू है। वह बहुत तेज-तर्रार है। अपने काम में किसी प्रकार की दखलंदाजी सहन नहीं करती। बेटे की किसी गलती पर जब उसे पीटती और सास मंगम्मा जब मना करती है तो वह इस पर चढ़ बैठती है। कहती है कि बेटे की माँ हैं, जैसे चाहूँगी रखेंगी। वह अपने पति पर भी काबू रखती है और तर्क से सबको हराती भी है। मंगम्मा जब मखमल का जाकिट पहनती है तो व्यंग्य भी करती है और लेन-देन की बात उठने पर मंगम्मा के दिए गहने जेवर ले लेने को भी कह देती है। नजम्मा तेज-तर्रार होने के साथ लोगों की कमजोरी जाननेवाली अत्यन्त चतुर भी है। जब उसे मंगम्मा द्वारा रुपया है। किसी और को दिए जाने की आशंका होती है तो अपने बेटे को मंगम्मा के पास रहने के लिए भेज देती है और मौका देखकर पति के साथ जाकर माफी माँग लेती है और अपने यहाँ ले आती है। इतना ही नहीं, वह धीरे-धीरे मंगम्मा का दही बेचने का धंधा भी खुद शुरू कर देती है।

इस प्रकार, जम्मा तेज-तर्रार, दूरदर्शी और व्यवहारकुशल नारी है।

7. मंगम्मा का अपनी बहू के साथ किस बात को लेकर विवाद था?

उत्तर- मंगम्मा का अपनी बहू जम्मा के साथ पोते को लेकर विवाद था। एक दिन बेटे की किसी गलती पर उसकी माँ नंजम्मा उसे पीट रही थी। पहले तो कुछ देर मंगम्मा चुप रही किन्तु जब रहा न गया तो मंगम्मा ने बहू से कहा, क्यों रे राक्षसी, इस छोटे से बच्चे को क्यों पीट रही है?’ बस, बहू चढ़ बैठी। खूब सुनाई उसने। जब मंगम्मा ने कहा कि मैं तुम्हारे घरवाले की माँ हूँ तो बहू ने भी कहा-‘मैं भी इसकी माँ हूँ। मुझे क्या अक्ल सिखाने चली है?’ बात बढ़ गई। जब मंगम्मा ने बेटे से शिकायत की तो उसने कहा कि वह अपने बेटे को मारती है तो तुम क्यों उस झगड़े में पड़ती हो? मंगम्मा ने कहा- ‘बीवी ने तुझ पर जादू फेरा है? वह जो कहे ठीक। वह कहे तो मुझे निकाल देगा?’ बेटा बोला-‘ और क्या किया जा सकता है?’ मंगम्मा चकित। बस उसी दोपहर बहू ने मंगम्मा के बर्तन भांडे अलग कर दिए।

 

 

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