Class 10th, संस्कृत पाठ-8 कर्मवीर कथा के सभी महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर, ,

Class 10th, संस्कृत पाठ-8 कर्मवीर कथा के सभी महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर,

बिहार बोर्ड मैट्रिक परीक्षा देने वाले सभी विद्यार्थियों के लिए संस्कृत पाठ 8 कर्मवीर कथा का सभी महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर एवं हिंदी सारांश दिया गया है ध्यान रखें संस्कृत का अर्थ सहित नीचे आपको मिलेगा इसलिए पूरा पढ़ें इससे बाहर एक भी प्रश्न आपके परीक्षा में नहीं पूछा जाएगा। 

 

 

 

Class 10th, संस्कृत पाठ-8 कर्मवीर कथा के सभी महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर, ,

 

1. कर्मवीर कौन था एवं उसके जीवन से हमें क्या शिक्षा मिलती है?

उत्तर- कर्मवीर रामप्रवेश था। उसके जीवन से हमें यही शिक्षा मिलती

है कि कठोर परिश्रम द्वारा सब कुछ प्राप्त किया जा सकता है। धनाभाव प्रतिभा के आड़े नहीं आती है।

2. राम प्रवेश राम का घर कहाँ था और कैसा था?

उत्तर रामप्रवेश का घर बिहार राज्य के दुर्गम जगह

‘भीखनटोला’ में था। उसका घर झोपड़ीनुमा एवं जर्जर हालत में था। परिवार के लोग धूप मात्र

से अपनी रक्षा कर पाते थे, वर्षा से नहीं ।

3. ‘शिक्षा कर्म जीवनस्य परमागतिः’ रामप्रवेश राम परं उपरोक्त कथन कैसे घटित होता है?

उत्तर – शिक्षा के द्वारा ही रामप्रवेश जैसा गरीब घर का लड़का शासन के प्रमुख कुर्सी को सुशोभित किया। अतः शिक्षा जीवन की परमगति निर्धारित करने वाला कर्म है। यह बिल्कुल सही एवं सार्थक बात है।

4. रामप्रवेश का जन्म कहाँ हुआ था? उन्होंने देश की सेवा से कैसे यश अर्जित की?

उत्तर – रामप्रवेश का जन्म बिहार प्रान्त के भीखन टोला में एक निर्धन परिवार के यहाँ हुआ था। केन्द्रीय लोक सेवा में उत्तीर्ण कर उसने देश सेवा कर काफी यश प्राप्त किया।

5. कर्मवीरकथा पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें।

अथवा, ‘कर्मवीर’ कथा से हमें क्या शिक्षा मिलती है ? अथवा, ‘कर्मवीर’ कथा का सारांश लिखें। अथवा, राम प्रवेश राम की चारित्रिक विशेषताएँ क्या थीं?

उत्तर- इस पाठ में एक पुरुषार्थी की कथा है जो निर्धनता एवं दलित . जाति में जन्म जैसे विपरीत परिवेश में भी रहकर प्रबल इच्छाशक्ति तथा उन्नति की उत्कट कामना के कारण उच्चपद पर पहुँचता है। यह कथा किशोरों में आत्मविश्वास की ओर आत्मसम्मान उत्पन्न करती है, विजय के पथ को प्रशस्त करती है। ऐसे कर्मवीर हमारे आदर्श हैं। ,

6. रामप्रवेश की प्रतिष्ठा कहाँ-कहाँ देखी जा रही है?

उत्तर – रामप्रवेश की प्रतिष्ठा अपने विद्यालय से लेकर प्रान्त तथा केंद्रिय प्रशासन में देखी जा रही है।

 

Sanakrit all chapter- Click Here

 

पाठ-8  कर्मवीर कथा

 

     पाठेऽस्मिन् समाजे दलितस्य ग्रामवासिनः पुरुषस्य कथा वर्तते। कर्मवीरः असी निजोत्साहन विद्यां प्राप्य महत्पदं लभते, समाजे च सर्वत्र सत्कृतो भवति। कथाया मूल्यं वर्तते यत् निराशो न स्यात्, उत्साहेन सर्वं कर्तु प्रभवेत् ।

 

पाठ परिचय- इस पाठ में दलित ग्रामवासी पुरुष की कथा है वह अपने उत्साह से विद्या प्राप्त कर महान पद को प्राप्त करता है और समाज में सभी जगह सम्मान पाते हैं इस कथा में या मूल्य स्थापित है कि कभी भी निराश नहीं होना चाहिए उत्साह से सब कुछ किया जा सकता हैं

 

अस्ति बिहारराज्यस्य दुर्गमप्राये प्रान्तरे ‘भीखनटोला’ नाम ग्रामः। निवसन्ति स्म तत्रातिनिर्धनाः शिक्षाविहीनाः क्लिष्टजीवनाः जनाः। तेष्वेवान्यतमस्य जनस्य परिवारों ग्रामाद् बहिःस्थितायां कुट्यां न्यवसत् । कुटी तु जीर्णप्रायत्वात् परिवारजनान् आतममात्राद् रक्षति, न वृष्टेः। परिवार स्वयं गृहस्वामी, तस्य भार्या तयोरेकः पुत्रः कनीयसी दुहिता चेत्यासन्

तस्माद् ग्रामात् क्रोशमात्रदूरं प्राथमिको विद्यालय प्रशासनेन संस्थापितः। तत्रैको नवीनदृष्टिसम्पन्नः सामाजिकसागरस्यरसिकः शिक्षकः समागतः। भीखनटोलां द्रष्टुमागतः स कदाचित् खेलनरतं दलितबालक विलोक्य तस्यापातरमणीवेन स्वभावेनाभिभूतः। शिक्षकं बालकमेनं स्वविद्यालयमानीय स्वयं शिक्षितुमारभत। बालकोऽपि तस्य शिक्षणशैल्पाकृष्टः शिक्षाकर्म जीवनस्य परमा गतिरिति मन्यमानो निरन्तरमध्यवसायेन विद्याधिगमाय निरतोऽभवत्। क्रमशः उच्चविद्यालयं गतस्तस्यैव शिक्षकस्याध्यापनेन स्वाध्यवसायेन च प्राथम्यं प्राप। ‘छात्राणामध्ययनं तपः’ इति भूयोभूयः स्वविद्यागुरुणोपदिष्टोऽसौ बालकः पित्रोरर्थाभावेऽपि छात्रवृत्त्या कनीयश्छात्राणां शिक्षणलब्धेन धनेन च नगरगते महाविद्यालये प्रवेशमलभत ।

तत्रापि गुरूणां प्रियः सन् सततं पुस्तकालये स्ववर्गे च सदावहितचेतसा अकृतकालक्षेपः स्वाध्यायनिरतीऽभूत्। महाविद्यालयस्य पुस्तकागारे बहूनां विषयाणां पुस्तकानि आत्मसादसौ कृतवान्। तत्र स्नातकपरीक्षायां विश्वविद्यालये प्रथमस्थानमवाप्य स्वमहाविद्यालयस्य ख्यातिमवर्धयत् सर्वत्र रामप्रवेशराम इति शब्दः श्रूयते स्म नगरे विश्वविद्यालयपरिसरे चा नाजानतां पितरावस्य विद्याजन्यां प्रतिष्ठाम्।

वर्षान्तरेऽसौ केन्द्रीयलोकसेवापरीक्षायामपि स्वाध्यवसायेन व्यापकविषयज्ञानेन च उन्नतं स्थानमवाप| साक्षात्कारे च समितिसदस्यास्तस्य व्यापकेन ज्ञानेन, तत्रापि तादृशे परिवारपरिवेशे कृतेन श्रमेणाभ्यासेन च परं प्रीताः अभूवन् ।

अद्य रामप्रवेशरामस्य प्रतिष्ठा स्वप्रान्ते केन्द्रप्रशासने च प्रभूता वर्तते । तस्य प्रशासनक्षमतां संकटकाले च निर्णयस्य सामर्थ्यं सर्वेषामावर्जके वर्तेते। नूनमसौ कर्मवीरो व्यतीत्य बाधा: प्रशासनकेन्द्रे लोकप्रियः संजातः । सत्यमुक्तम् – उद्योगिनं पुरुषसिंहमुपैति लक्ष्मीः।

 

सारांश- बिहार राज्य के दुर्गम क्षेत्र में भीखन टोला नामक एक गांव था जहां के निवासी बहुत निर्धन और शिक्षाविद एवं कठोर जीवन जीने वाले लोग रहते थे उनमें से एक अत्यंत ही निम्न लोगों का परिवार गांव से बाहर स्थित कुटिया में रहता था कुटिया भी इतना खराब था कि वह परिवार के लोगों को केवल धूप से रक्षा करती थी वर्षा से नहीं । परिवार में सोएंगे ही स्वामी उनकी माता उनका पुत्र और छोटी पुत्री थी उस गांव से कोस मात्र दूर पर प्रशासन के द्वारा प्राथमिक विद्यालय स्थापित किया गया था जहां एक नवीन विचार संपन्न सामाजिक सामंजस्य रसिक शिक्षक आए । भीखन टोला को देखने आए उन्होंने कभी खेलने में लगे हुए दलित बालक को देखा देखकर तत्क्षण सहज आकर्षक उसके स्वभाव से प्रभावित हुए शिक्षक उस बालक को अपने विद्यालय में लाकर स्वयं शिक्षा देना शुरू किया बालक भी उनके शिक्षण शैली से आकृष्ट शिक्षा क्रम को ही जीवन का परम गति मानते हुए अपने परिश्रम से शिक्षा लाभ के लिए तत्पर हो गए क्रमशः विद्यालय में गया उस शिक्षक के अध्यापक के द्वारा एवं अपने परिश्रम से प्रथम स्थान प्राप्त किया छात्रों के अध्ययन तब है इसे बार-बार अपने विद्या गुरु के द्वारा उपदेश प्राप्त वह बालक पिता के धन के अभाव में भी छात्रवृत्ति से और कन्या छात्रों के शिक्षा से प्राप्त धन से नगर में जाकर महाविद्यालय में प्रवेश लिया     ।। 

 वहां भी गुरुओं का प्रिय होता हुआ सदैव पुस्तकालय में और अपने वर्ग में सावधान मन से समय ना गवाते हुए अपने अध्ययन में लगे रहे महा विद्यालय के पुस्तकालय में बहुत विषय के पुस्तक को उन्होंने आत्मसात किया व स्नातक परीक्षा में विश्वविद्यालय में प्रथम स्थान प्राप्त कर अपने महाविद्यालय का ख्याति बढ़ाया सभी जगह नगर में और और विश्वविद्यालय परिसर में रामप्रवेश का नाम सुनाई पड़ने लगा ना जानते हुए इसके माता-पिता विदा जन प्रतिष्ठित प्राप्त हुए वर्ष भर बाद उन्होंने केंद्रीय लोकसेवा परीक्षा में भी अपने परिश्रम से और व्यापक विषय के ज्ञान से उच्च स्थान को प्राप्त किया साक्षात्कार समिति के सदस्य उनके व्यापक ज्ञान से वह भी उसी तरह पारिवारिक परिवेश में परिश्रम पूर्ण अभ्यास से अत्यंत प्रसन्न हुए आज रामप्रवेश राम की प्रतिष्ठा अपने प्रांत में केंद्र में प्रशासन में बहुत अधिक है उनकी कर्मवीर बाधा को पार करके केंद्र प्रशासन में लोकप्रिय हुआ सत्य ही कहा गया है परिश्रम सिंह पुरुष ही लक्ष्मी को प्राप्त करता है

,

 

 

Sanskrit 10th

 

 

 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top