12th History chapter-1 हड़प्पा सभ्यता और पुरातत्व important subjective-

12th History chapter-1 हड़प्पा सभ्यता और पुरातत्व important subjective-

यदि आप इंटर बोर्ड परीक्षा देने वाले हैं या अगले वर्ष देंगे तो बता दे आज इस आर्टिकल में हिस्ट्री का सभी महत्वपूर्ण सब्जेक्टिव प्रश्न माधव एनसीआरटी क्लासेस के माध्यम से बताया गया है । जो हर वर्ष हंड्रेड परसेंट रिजल्ट देने वाले संस्थान है । इनके द्वारा कई बार बच्चे 450+ अंक से भी ऊपर ला चुके हैं । जो प्रश्न नीचे दिया गया है ,सभी प्रश्न को आप भी ध्यान पूर्वक पढ़ कर 480 से भी ऊपर अंक ला सकते हैं। धन्यवाद ,सभी प्रश्न को देखें।

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_हड़प्पा सभ्यता-

Q.1. हड़प्पा सभ्यता के पतन के मुख्य कारण क्या थे?

Ans. हड़प्पा सभ्यता कैसे समाप्त हुई, इसको लेकर विद्वानों में मतभेद है। फिर भी इसके पतन के निम्नलिखित कारण दिये जाते हैं-

(i) सिन्धु क्षेत्र में आगे चलकर वर्षा कम हो गयी। फलस्वरूप कृषि और पशुपालन में कठिनाई होने लगी। (ii) कुछ विद्वानों के अनुसार इसके पास का रेगिस्तान बढ़ता गया । फलस्वरूप मिट्टी में लवणता बढ़ गयी और उर्वरता समाप्त हो गयी। इसके कारण सिंधु सभ्यता का पतन हो गया।

(iii) कुछ लोगों के अनुसार यहाँ भूकंप आने से बस्तियाँ समाप्त हो गयी ।

(iv) कुछ दूसरे लोगों का कहना था कि यहाँ भीषण बाढ़ आ गयी और पानी जमा हो

गया। इसके कारण लोग दूसरे स्थान पर चले गये।

(v) एक विचार यह भी माना जाता है कि सिंधु नदी की धारा बदल गयी और सभ्यता का क्षेत्र नदी से दूर हो गया।

Q.2. सिन्धु घाटी सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता क्यों कहा जाता है ?

Ans. सिन्धु घाटी सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता इसलिए कहा जाता है, कि इस सभ्यता की खोज सर्वप्रथम 1921 ई० में हड़प्पा नामक स्थान से हुई थी। हड़प्पा संस्कृति का विस्तार पंजाब, सिंध, राजस्थान, गुजरात तथा बलुचिस्तान के हिस्सों और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती भाग तक था।

Q.3. हड़प्पा संस्कृति के बारे में जानकारी के क्या स्रोत हैं ?

Ans. हड़प्पा संस्कृति के बारे में जानकारी कराने वाले अनेक स्रोत उपलब्ध हैं। सर्वप्रथम

हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ो जैसे विभिन्न नगरों की खुदाई से प्राप्त विभिन्न भवनों, गलियों, बाजारों,

स्नानागारों आदि के अवशेष हड़प्पा संस्कृति पर प्रकाश डालते हैं। इन अवशेषों से हड़प्पा संस्कृति के नगर निर्माण एवं नागरिक प्रबन्ध के विषय में भी पर्याप्त जानकारी प्राप्त होती है। दूसरे कला के विभिन्न नमूनों से जैसे मिट्टी के खिलौनों, धातुओं की मूर्तियों (विशेषकर नाचती हुई लड़की की ताँबे की प्रतिमा) आदि से हड़प्पा के लोगों की कला एवं कारीगरी पर पर्याप्त प्रकाश पड़ता है।

मोहरों (Seals) से भी हड़प्पा संस्कृति के विभिन्न पहलुओं पर काफी जानकारी प्राप्त होती है। इससे हड़प्पा संस्कृति से संबंधित लोगों के धर्म, पशु-पक्षियों एवं पेड़-पौधों तथा उस समय की लिपि से यह अनुमान लगाया जाता है कि हड़प्पाई लोग पढ़े-लिखे थे। इस लिपि के पढ़े जाने के बाद उनके संबंध में कई महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होंगी।

Q.4. विश्व के सात आश्चर्यों के नाम बताइए ।

मिस्र का पिरामिड, स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी, एक्रोपॉलिस ऑफ एथेन्स (Greece) | Ans. आगरा का ताजमहल, पीसा की मीनार, चीन की दीवार, रोम (इटली) का कोलोसियम,

Q.5. सिधु घाटी सभ्यता के लोगों द्वारा बनाये गये मिट्टी के बर्तन थे, जो इस बात को स्पष्ट करती है कि यह संस्कृति पूरी तरह विकसित थी।

• Ans. (1) सिन्धु घाटी के लोगों द्वारा प्रयोग में लाये जाने वाले बर्तन चाक पर बने होते (2) रूप और आकार की दृष्टि से इन बर्तनों की विविधता तथा सुन्दरता आश्चर्यजनक है।

(3) पतली गर्दन वाले बड़े आकार के घड़े तथा लाल रंग के बर्तनों पर काले रंग की आदि हड़प्पा के बर्तनों की विशेषताएँ हैं।

 

(4) इन बर्तनों पर अनेक प्रकार के वृक्षों, त्रिभुजों, वृत्तों व बेलों आदि का प्रयोग करके अनेक प्रकार के खिलौने तथा नमूने बनाये गये हैं।

Q.6. सिन्धु घाटी सभ्यता की जल निकास प्रणाली का वर्णन करें।

Ans. मोहनजोदड़ो के नगर नियोजन की एक और प्रमुख विशेषता यहाँ की प्रभावशाली जल निकास प्रणाली थी। यहाँ के अधिकांश भवनों में निजी कुएँ व स्नानागार होते थे। भवन के कमरों, रसोई, स्नानागार, शौचालय आदि सभी का पानी भवन की छोटी-छोटी नालियों से निकल कर गली की नाली में आता था। गली की नाली को मुख्य सड़क के दोनों ओर बनी पक्की नालियों से जोड़ा गया था। मुख्य सड़क के दोनों ओर बनी नालियों को पत्थरों अथवा शिलाओं द्वारा ढँक दिया जाता था। नालियों की सफाई एवं कूड़ा-करकट को निकालने के लिए बीच-बीच में नर मोखे (मेन होल) भी बनाये गये थे। नालियों की इस प्रकार की अद्भुत विशेषता किसी अन्य समकालीन नगर में देखने को नहीं मिलती।

Q.7. मोहनजोदड़ो के सार्वजनिक स्नानागार के विषय में लिखिए।

Or, मोहनजोदड़ो के विशाल स्नानागार का विवरण दें। Ans. मोहनजोदड़ो में बना सार्वजनिक स्नानागार अपना विशेष महत्व रखता है। यह सिन्धु घाटी के लोगों की कला का अद्वितीय नमूना है। ऐसा अनुमान है कि यह स्नानागार (तालाब) धार्मिक अवसरों पर आम जनता के नहाने के प्रयोग में लाया जाता था। यह तालाब इतना मजबूत बना हुआ है कि हजारों वर्षों के बाद भी यह वैसे का वैसा ही बना हुआ है। इसकी दीवारें काफी चौड़ी बनी हुई हैं जो पक्की ईटों और विशेष प्रकार के सीमेंट से बनी हुई हैं ताकि पानी अपने आप बाहर न निकल सके। तालाब (स्नानाघर) में नीचे उतरने के लिए सीढ़ियाँ भी बनी हुई हैं। पानी निकलने के लिए नालियों का भी प्रबंध है।

Q.8. मोहनजोदड़ो के अन्नागार के विषय में लिखें।

Ans. अन्नागार : मोहनजोदड़ो में ही 45.72 मीटर लम्बा एवं 22.86 मीटर चौड़ा एक अन्नागार मिला है। हड़प्पा के दुर्ग में भी 12 धान्य कोठार खोजे गये हैं। ये दो कतारों में छः-छः की संख्या में हैं। ये धान्य कोठार ईंटों के चबूतरों पर हैं एवं प्रत्येक का आकार 15.23 मी० x 6.09 मी० है। अन्नागार में हवा जाने की व्यवस्था थी। अन्नागार का सुदृढ़ आकार-प्रकार, हवा

आने-जाने की व्यवस्था तथा इनमें अन्न भरने की व्यवस्था निःसन्देह उच्चकोटि की थी।

Q.9. हड़प्पा सभ्यता एक शहरी सभ्यता थी, कैसे ?

Ans. हड़प्पा सभ्यता एक शहरी सभ्यता थी। इसके अन्तर्गत अनेक नगरों के अवशेष मिले हैं जिसमें हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, लोथल आदि प्रमुख है। * मोहनजोदड़ो हड़प्पा सभ्यता का सबसे अनूठा नियोजित शहरी केन्द्र था। यह सबसे

प्रसिद्ध पुरास्थल है यद्यपि इसकी खोज हड़प्पा के बाद ही हुई । * मोहनजोदड़ो शहर को नियोजकों ने दो भागों में विभाजित किया है। एक भाग छोटा है लेकिन वह हिस्सा अधिक ऊँचाई पर बनाया गया है और दूसरा भाग अधिक बड़ा है लेकिन नीचे बनाया गया। पुरातत्वविदों ने इन्हें क्रमशः दुर्ग और निचला शहर का नाम दिया है।

* मोहनजोदड़ों का दूसरा भाग अर्थात् निचला शहर भी दीवार से घेरा गया था। इसके

अलावा अनेक मकानों को ऊँचे चबूतरे पर बनाया गया था जो नींव का काम करते थे। * मोहनजोदड़ों शहर का सम्पूर्ण भवन-निर्माण कार्य चबूतरों पर एक निश्चित क्षेत्र तक सीमित था। ऐसा इसलिए जान पड़ता है कि पहले बस्ती का नियोजन किया गया था और फिर उसके अनुसार कार्यान्वयन ।

Q. 10. उत्खनन से आप क्या समझते हैं ?

Ans. उत्खनन से विभिन्न सभ्यताओं की प्राचीनता का पता चलता है। पुरातात्विक वस्तुएँ जितनी गहराई पर प्राप्त होती है वे उतनी ही प्राचीन होती है। इसे काल निर्णय में स्तरीकरण का सिद्धांत कहा जाता है।

पिट रिवर्स महोदय (1835-1902 ई०) ने पुरातात्विक स्तरीकरण के वैज्ञानिक अध्ययन की नींव मिस्र (Egypt) में डाली थी। जिस किसी भी स्तर के बारे में हमें विस्तृत जानकारी प्राप्त

करनी होती है, उस गहराई पर क्षैतिज उत्खनन कराया जाता है।

Q.11. हड़प्पा लिपि के बारे में आप क्या जानते हैं? Or, हड़प्पा लिपि की विशेषताएँ बताएँ ।

Ans. हड़प्पा लिपि को रहस्यमय कहा गया है क्योंकि इसे अभी तक पढ़ा नहीं जा सका। इस प्रकार इसका रहस्य अभी तक बना हुआ है। इसकी विशेषताएँ निम्नलिखित हैं- * यह लिपि वर्णमालीय नहीं थी। यह ऐसे चिन्हों (चित्रों) वाली थी जो किसी विशेष स्वर

या व्यंजन को व्यक्त नहीं करती। * इस लिपि के चिह्नों की संख्या 375 से 400 के बीच है। यह लिपि दाई ओर से बाई ओर लिखी जाती थी। इसका संकेत इस बात से मिलता है कि मुहरों पर इसकी लिखावट में दाई ओर चौड़ा अंतराल है, जबकि बाई ओर संकुचित है जैसे कि लिखते समय बाई ओर स्थान कम पड़ गया हो। * इस लिपि की लिखावट बहुत-सी वस्तुओं पर मिली है। इसका अर्थ यह लगाया जाता है कि साक्षरता व्यापक रूप में थी ।

Q.12. सिंधु घाटी (हड़प्पा सभ्यता) की नगर योजना का वर्णन करें।

Ans. सिंधु घाटी के लोग नगरों में रहने वाले थे। वे नगर स्थापना में बड़े कुशल थे। उन्होंने हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, कालीबंगन, लोथल, रोपड़ जैसे अनेक नगरों का निर्माण किया। उनकी नगर व्यवस्था के संबंध में निम्नलिखित विशेषताएँ उल्लेखनीय हैं- 1. हड़प्पा संस्कृति के नगर एक विशेष योजना के अनुसार बनाये गये थे। इन लोगों ने बिल्कुल सीधी (90° के कोण पर काटती हुई सड़कों व गलियों का निर्माण किया था, ताकि

डॉ. मैके के अनुसार- चलने वाली वायु उन्हें अपने आप ही साफ कर दे।

2. उनकी जल निकासी की व्यवस्था बड़ी शानदार थी। नालियाँ बड़ी सरलता से साफ हो

सकती थीं। 3. किसी भी भवन को अपनी सीमा से आगे कभी नहीं बढ़ने दिया जाता था और न ही बर्तन पकाने वाली किसी भी भट्टी को नगर के अन्दर बनने दिया जाता था । अर्थात् अनाधिकृत निर्माण (unauthorised constructions) नहीं किया जाता था।

Q.13. हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख देवताओं एवं धार्मिक प्रथाओं की विवेचना करें।

Ans. हड़प्पावासी बहुदेववादी और प्रकृति पूजक थे। मातृदेवी इनकी प्रमुख देवी थी। मिट्टी की बनी अनेक स्त्री मूर्तियाँ, जो मातृदेवी की प्रतीक है, बड़ी संख्या में मिली हैं। देवताओं में प्रधान पशुपति या आद्य – शिव थे। मोहनजोदड़ो से प्राप्त मुहर पर योगीश्वर की मूर्ति को पशुपति महादेव माना गया है। सिन्धुवासी नाग, कूबड़दार सांढ़, लिंग, योनि, पीपल के वृक्ष की भी पूजा करते थे। जलपूजा, अग्निपूजा और बलि प्रथा भी प्रचलित थी। मंदिरों और पुरोहितों का अस्तित्व नहीं था।

Q.14. हड़प्पा की मुहरों के विषय में आप क्या जानते हैं?

Ans. हड़प्पा संस्कृति की सर्वोत्तम कलाकृतियाँ उसकी मुहरें (सील) हैं। ये सेलखड़ी पत्थर की बनी हैं। इनमें से अधिकांश सीलों पर लघु अभिलेख जिसे अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है, के साथ-साथ एकसिंगी जानवर, भैंस, बाघ, बकरी और हाथी की आकृतियाँ उकेरी हुई है। लम्बी दूरी के व्यापार में इन सीलों का प्रयोग होता था। सील से न केवल समान के सही से पहुँच जाने का भरोसा हो जाता था, बल्कि यह भी पता चल जाता था कि समान किस व्यापारी ने भेजा है।

Q.15. हड़प्पाई सभ्यता के विस्तार का वर्णन करें।

Or, हड़प्पा सभ्यता के चार प्रमुख केन्द्रों के नाम बतायें।

Ans. हड़प्पा संस्कृति का विस्तार बहुत अधिक था। यह लगभग 12,99,600 वर्ग किलोमीटर में फैली हुई थी। इसमें पंजाब, सिंघ, राजस्थान, गुजरात तथा बिलोचिस्तान के कुछ

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती भाग सम्मिलित थे। इस प्रकार इसका विस्तार उत्तर में जम्मू से लेकर दक्षिण में नर्मदा नदी के मुहाने तक और पश्चिम में बिलोचिस्तान के मकरान समुद्र तट से लेकर उत्तर-पूर्व में मेरठ तक था। इसके मुख्य केन्द्र हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, लोथल, कोटदीजी, चहुँदड़ों, आलमगीरपुर, आदि थे। उस समय कोई अन्य संस्कृति इतने बड़े क्षेत्र में विकसित नहीं थी

इस संस्कृति को हड़प्पाई संस्कृति का नाम इसलिए दिया जाता है, क्योंकि सर्वप्रथम इस

सभ्यता से संबंधित जिस स्थान की खोज हुई, वह हड़प्पा था । यह स्थान अब पाकिस्तान में है।

Q. 16. C-14 विधि से आप क्या समझते हैं ?

Ans. कार्बन-14 कार्बन का रेडियोधर्मी आइसोटोप है, इसका अर्द्ध आयुकाल 5730 वर्ष का है। कार्बन डेटिंग को रेडियोएक्टिव पदार्थों की आयुसीमा निर्धारण करने में प्रयोग किया जाता है। कार्बनकाल विधि के माध्यम से तिथि निर्धारण होने पर इतिहास एवं वैज्ञानिक तथ्यों की जानकारी होने में सहायता मिलती है। यह विधि कई कारणों से विवादों में रही है। वैज्ञानिकों के मुताबिक रेडियो कार्बन का जितनी तेजी से क्षय होता है, उससे 27 से 28 प्रतिशत ज्यादा इसका निर्माण होता है। जिससे संतुलन की अवस्था प्राप्त होना मुश्किल है। ऐसा माना जाता है कि प्राणियों की मृत्यु के बाद भी वे कार्बन का अवशोषण करते हैं और अस्थिर रेडियोएक्टिव तत्व का धीरे-धीरे क्षय होता है। पुरातात्विक सैंपल में मौजूद कार्बन-14 के आधार पर उसकी डेट की गणना करते हैं।

Q.17. पुरातत्व से आप क्या समझते हैं ?

Ans. पुरातत्व वह विज्ञान है जिसके माध्यम से पृथ्वी के गर्भ में छिपी हुई सामग्रियों की खुदाई कर अतीत के लोगों के भौतिक जीवन का ज्ञान प्राप्त किया जाता है। किसी भी जाति की सभ्यता के इतिहास को जानने में पुरातत्व एक महत्वपूर्ण एवं विश्वसनीय स्रोत है । सम्पूर्ण हड़प्पा सभ्यता का ज्ञान पुरातत्व पर ही आधारित है। पुरातत्व में मिले उपकरणों, औजारों, धातु, पदार्थों, बर्त्तनों आदि के आधार पर लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्तर के बारे में पुरातत्वविद् निष्कर्ष निकालते हैं।

 

Q.18 इतिहास लेखन में अभिलेखों का क्या महत्व है ?

Ans. अभिलेख उन्हें कहते हैं जो पत्थर, धातु या मिट्टी के बर्तन जैसी कठोर सतह पर खुदे हुए होते हैं। अभिलेखों में उन लोगों की उपलब्धियाँ, क्रियाकलाप या विचार लिखे जाते हैं जो उन्हें बनवाते हैं। अभिलेखों में तत्कालीन शासक अपनी उपलब्धियों, क्रियाकलाप, व्यक्ति एवं राजधर्म आदि के बारे में लिखवाते थे। मौर्यकालीन शासक अशोक भारत के विभिन्न भागों में स्तम्भों तथा शिलाओं पर अभिलेख खुदवाये थे । अशोक के इन्हीं अभिलेखों के द्वारा हम सम्राट अशोक के धम्म, धम्म प्रचार के उपाय, मानवता की सेवा के विचार आदि को भली-भाँति समझ सके हैं। अशोक के अभिलेखों के आधार पर ही डी० आर० भण्डाकार ने अशोक का सम्पूर्ण इतिहास लिखने का प्रयास किया है।

 

12th History chapter-1 हड़प्पा सभ्यता और पुरातत्व important subjective-

इंटर बोर्ड परीक्षा में इस पाठ से जो भी प्रश्न पूछे जाएंगे इस आर्टिकल में बताए गए प्रश्न से ही पूछे जाएंगे इसलिए पूरे विश्वास के साथ ऊपर दिए गए सभी प्रश्न को पढ़े और इसी को बार-बार देखकर याद करें ऑब्जेक्टिव के लिए आप ऑब्जेक्टिव पेज पर जाकर देख सकते हैं । धन्यवाद

 

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