Holi festival;-होलिका दहन क्यों मनाते हैं? आज रात करें ये काम ,होली के पीछे की जाने सच्चाई पौराणिक कथा क्या है?
होली के पीछे की जाने सच्चाई पौराणिक कथा क्या है? आज ही के दिन होली क्यों मनाया जाता है
होली से पहले हम लोग जानेंगे होलिका दहन क्या होता है साथ ही साथ होली क्यों और कब से मनाया जाता है इसका संक्षिप्त जानकारी आगे पढें
होलिका दहन के पीछे क्या है पौराणिक कथा?
होलिका दहन मनाने के पीछे हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार माना जाता है कि होलिका की पूजा करने से सभी घर में समृद्धि आती है लोगों का मानना है होलीका पूजा करने के बाद हुए सभी प्रकार के भय और से मुक्ति पाते हैं
वास्तव में होलिका दहन इसलिए मनाया जाता है क्योंकि होली का हिरण्याक्ष एवं हिरण कश्यप नामक दो दानव की बहन थी और कश्यप ऋषि और दीति की कन्या थी जिसका जन्म जनपद कासगंज के सोरों शूकर क्षेत्र नामक स्थान पर हुआ था होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक होती है
••हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार माना जाता है कि होलिका दहन फाल्गुन पूर्णिमा की रात होलीका भक्त पहलाद को अपनी गोद में लेकर और एक चादर ओढ़ कर जलाने वाली चिता पर बैठ जाती है
••ताकि पहलाद की मृत्यु हो जाए और वह जलकर भस्म हो जाए वह खुद बच जाए क्योंकि वह चादर जो ओढ हुई थी वह भगवान के द्वारा दिया गया था वरदान स्वरुप जिसको ओढ़ कर यदि कोई भी काम किया जाए तो उसकी विजय निश्चित होता है और उसे आग या गया फिर कोई धारदार औजार उसे कुछ नहीं कर सकता है चादर भगवान के द्वारा दिया गया था जिसमें वरदान था को आग में भी नहीं जल सकते हैं
–ऐसा किया लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से आंधी तूफान आने की वजह से वह चादर को होलिका के शरीर से हटकर पहलाद को ढक लेता है और होलिका उस दिन उस चीता में जलकर राख हो जाती है और वह दिन था फाल्गुन पूर्णिमा इस तरह से से हिंदू लोग उस दिन से होलिका दहन के रूप में आज तक मनाते आए हैं
होलिका दहन के पीछे यह था मुख्य कारण
होलिका दहन की रात करें ये काम
माना जाता है कि होलिका दहन की रात यदि व्यक्ति कुछ काम ही करते हैं तो वह बिल्कुल तरह से शुभ माना जाता है
जैसे कि लोगों का मानना है और यह पौराणिक के अनुसार है कि लोग उस दिन गेहूं के दानों को यानि जो अभी हो रहा है गेहूं के कच्चे गेहूं के दाने को उसमें मतलब पका करके खाने से उन्हें सारे दुख और भय से मुक्ति मिलती है,
साथ ही साथ घर में उस दिन बने जो भी पकवान होते हैं वह सबसे पहले होलिका दहन जो होता उसमें देना चाहिए और इससे घर में शांति आते हैं प्रेम भावना बढ़ती हैं
और क्लेश दूर होते हैं
होलिका कौन थी?
पौराणिक के अनुसार माना जाता है कि होली का कश्यप ऋषि की पुत्री और उनकी माता का नाम दीति था और वह हिरण कश्यप की खास बहन थी
होलिका दहन क्यों मनाया जाता हैं?
होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का एक्शन होता है जो रंगो की होली खेलने से पहले होलिका दहन मनाया जाता है और इसी दहन के साथ होला अष्टम समाप्त होता है और इस बार होलिका दहन के समयावधि रात 10:00 बजे के बाद एक घंटा 5 मिनट का समय रहेगा
होलिका को भगवान ब्रह्मा जी का वरदान था वह आग में नहीं जान सकती थी और इसके लिए उन्हें वरदान स्वरुप चादर प्राप्त हुआ था
होली क्यों मनाया जाता है?
बताया जाता है कि होलिका दहन के 1 दिन बाद सभी लोगों में भय की मुक्ति के साथ-साथ खुशियों की बौछार आया जिसकी वजह से लोग एक दूसरे को आपस में रंग गुलाल अबीर इत्यादि लगाकर के खुशियां मनाते हैं और उस दिन को हम लोग होली के रूप में अब तक मनाते आए हैं यह पौराणिक कथा के अनुसार बताया जाता है
पहलाद के पिता हिरण कश्यप की मृत्यु भी उसी दिन हुई थी माना जाता है हिरण कश्यप को भगवान ब्रह्मा जी का आशीर्वाद था,
–कि उसे ना ही दिन में मारा जा सकता है और ना ही रात को ना ही नर मार सकते हैं और ना ही नारी इसी कारण से भगवान विष्णु को नरसिंह अवतार लेना पड़ा । और उन्हें वध किया गया था और उस दिन से इस खुशी में जितने भी उस क्षेत्र के ऋषि लोग थी आपस में जो समाज के लोग थे वह सब आपस में एक दूसरे को रंग आबीर लगाकर के सभी होली खेला था या खुशियां मनाया था और उस दिन से हम लोग उसको होली नाम देकर के होली खेलते हैं