Hindi 10th, subjective chapter-9 आविन्यों
लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर |
1. ‘प्रतीक्षा करते हैं से आप क्या सीखते हैं?
उत्तर प्रतीक्षा करते हैं पत्थर’ से हम सीखते हैं कि मानव-जीवन में सुख-दुःख आते रहते हैं। जीवन सीधा नहीं चलता, उत्थान-पतन इस जीवन का नियम है। अत: सुख आने पर उतावला और देख आने पर बावला होना चाहिए। धीरज और साहस के साथ सहज रूप से सबका सामना चाहिए। नहीं करना
2. नदी और कविता में लेखक क्या समानता पाता है?
उत्तर नदी और कविता में लेखक यह समानता पाता है कि नदी जलरिक्त होती है, न कविता शब्द – रिक्त |
3.अशोक वाजपेयी को नदी तट पर बैठे क्या अनुभव होता है?
उत्तर- दक्षिण फ्रांस की रोन नदी के किनारे बैठे हुए लेखक को ऐसा लगता है कि वह भी नदी के साथ उसके प्रवाह से मिल बह रह रहा है। शीतल और स्वच्छ जल में कवि भी स्वयं को उसी की तरह समझने लगता है।
4. किसके पास तटस्थ रह पाना संभव नहीं हो पाता और क्यों ?
उत्तर- नदी और कविता के पास तटस्थ रहना संभव नहीं होता । मनुष्य के पास हृदय है इसलिए वह नदी के प्रवाह के साथ और कविता की भाव-प्रवणता में बहने लगता है। गति उसे स्फूर्ति देती है, ऊर्जा देती है, वह तटस्थ नहीं रह पाता । इसलिए
5.आविन्यों क्या है और कहाँ अवस्थित है?
उत्तर- आविन्यों फ्रांस का एक पुराना नगर है और रोन नदी के तट पर अवस्थित है।
6. ‘प्रतीक्षा करते हैं पत्थर’ शीर्षक कविता में कवि क्यों और कैसे पत्थर का मानवीकरण करता है?
उत्तर- मनुष्य प्रतीक्षा में जीता है – सुख, मुक्ति, प्रिया या प्रिय को पाने की। ऋतुएँ आती-जाती हैं, शरीर धीरे-धीरे क्षीण होता है, दिन-रात व्यतीत होते हैं, प्रतीक्षा समाप्त नहीं होती । कवि पत्थरों को देखता है तो उसे लगता है कि ये भी प्रतीक्षा कर रहे हैं – चुपचाप, रात-दिन। ये भी मनुष्य की तरह छीजते हैं फिर भी डटे रहते हैं। इस प्रकार, कवि को दोनों में साम्य प्रतीत होता है और कवि पत्थर का मानवीकरण करता है।
7. मनुष्य जीवन से पत्थर की क्या समानता और विषमता है?
उत्तर- मनुष्य जीवन भी कुछ-कुछ पत्थर की तरह है। पत्थर भी मनुष्य की भाँति धूप- घाम, पानी, अंधड़ झेलते हैं। जैसे मनुष्य छीजता है, वे छीजते हैं। कटने-छटने पर जैसा कष्ट मनुष्य को होता है वही अनुभूति उन्हें भी होती है। फर्क या विषमता यह है कि मनुष्य अपना सुख-दुख कह कर, रो- गाकर, व्यक्त करता है, वे वैसा नहीं करते। उनके पास वाणी नहीं है।
8. लखनऊ और रामपुर से बिरजू महाराज का क्या संबंध है?
उत्तर- लखनऊ और रामपुर दोनों से बिरजू महाराज का अभिन्न संबंध था। लखनऊ उनकी जन्मस्थली है, तो रामपुर उनकी बहनों की। अपने पिताजी के साथ वे हमेशा रामपुर नृत्य प्रस्तुति हेतु जाया करते थे ।
Long type question
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर |
1. ला शत्रूज का अंतरंग विवरण अपने शब्दों में -प्रस्तुत करते हुए स्पष्ट कीजिए कि लेखक ने उसके स्थापत्य को ‘मौन का स्थापत्य’ क्यों कहा है?
उत्तर- वीलनव्व ला आविन्यों में कभी फ्रेंच शासकों ने पोप की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए एक किला बनवाया जिसमें कासियन सम्प्रदाय का एक मठ स्थापित हुआ— ला शत्रूज । फ्रांस की क्रान्ति तक इसका धार्मिक उपयोग होता रहा। दरअसल, कार्भूसियन सम्प्रदाय मौन में विश्वास करता है, इसलिए वहाँ की इमारत का निर्माण भी इस प्रकार किया गया कि मौन या शांति की प्रतीति हो । वहाँ अन्य स्थानों की भाँति रंग-रोगन नहीं किया गया। यही कारण है कि लेखक ने वहाँ के स्थापत्य को मौन का स्थापत्य कहा है।
2. आविन्यो में प्रत्येक वर्ष कब और कैसा समारोह हुआ करता है?…
उत्तर- आविन्यो फ्रांस में रोम नदी के तट पर बसा एक प्राचीन शहर है। कभी यह पोप की राजधानी था। पोप की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए कभी शासकों ने एक किला यहाँ बनाया था। क्रांति के बाद जनता ने इस पर कब्जा कर लिया और इसमें यहाँ एक कला केन्द्र की स्थापना की गई। अब यहाँ प्रतिवर्ष गर्मी के दिनों में रंग- समारोह होता और संसार के विभिन्न भागों के रंग- कर्मी आकर यहाँ अपनी कला का प्रदर्शन और कला की विधाओं पर चर्चा करते हैं। यहाँ के भवन रंग स्थलों में बदल जाते हैं।
3. ‘आविन्यों पाठ का सारांश लिखें।
या, ‘आविन्यों’ में लेखक ने क्या देखा क्या पाया? वर्णन करें।
उत्तर- आविन्यों फ्रांस में रोन नदी के तट पर बसा एक पुराना शहर है । कभी यह पोप की राजधानी था। आज यह गर्मियों में प्रति वर्ष होने वाले रंग समारोह का केन्द्र है। रोन नदी के दूसरी ओर आविन्यों का एक स्वतंत्र भाग वीलनव्वल आविन्यों अर्थात् नई बस्ती हैं। पोप की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए फ्रेंच शासकों ने यहाँ किला बनवाया था। उसी में अब ईसाई मठ है-ला शत्रूज | क्रांति होने पर आम लोगों ने इस पर कब्जा कर लिया। सदी के आरम्भ में इसका जीर्णोद्धार किया गया और उसमें एक कला केन्द्र की स्थापना की गई। यहाँ रंगकर्मी, अभिनेता, नाटककार कुछ समय रहकर रचनात्मक कार्य करते हैं। यहाँ अनेक सुविधाएँ हैं- पत्र-पत्रिकाओं की दुकान हैं, एक डिपार्टमेंटल स्टोर, रेस्तराँ आदि ।
अशोक वाजपेयी को फ्रेंच सरकार ने ला शत्रुज में रहकर कुछ काम करने का न्योता दिया। वे गए और वहाँ उन्नीस दिन रहे और उस निपट एकान्त में पैंतीस कविताएँ और सत्ताइस गद्य रचनाएँ कीं ।
दरअसल, आविन्यों फ्रांस का प्रमुख कला केन्द्र है। सुप्रसिद्ध चित्रकार पिकासो की विख्यात कृति का नाम ही है-‘ला मादामोजेल द आविन्यों ।’ यहीं यथार्थवादी आन्द्रे ब्रेताँ देने शॉ और पाल एलआर ने संयुक्त रूप से तीस कविताएँ रचीं। इन कविताओं में वहाँ का एकान्त, निबिड़, सुनसान रातें और दिन प्रतिबिंबित हैं।
यहाँ की रोन नदी के तट पर बैठना भी नदी के साथ बहना है। नदी. किसी की अनदेखी नहीं करती – सबको भिंगोती है। निरन्तरता, नदी और कविता दोनों में हमारी नश्वरता का अनन्त से अभिषेक करती है।
Hindi 10th, subjective chapter-9 अविन्यो