Class 12th, hindi पाठ- 8 उषा [ शमशेर बहादुर सिंह ] SUBJECTIVE- प्रश्न उत्तर, inter hindi subjective- question answer,

Class 12th, hindi पाठ- 8 उषा [ शमशेर बहादुर सिंह ] SUBJECTIVE- प्रश्न उत्तर, inter hindi subjective- question answer,

 

 

Class 12th, hindi पाठ- 8 उषा [ शमशेर बहादुर सिंह ] SUBJECTIVE- प्रश्न उत्तर, inter hindi subjective- question answer,

 

08. उषा [ शमशेर बहादुर सिंह ]

कविता का सारांश

शमशेर बहादुर सिंह द्वारा रचित कविता उषा में प्रातः काल के प्राकृतिक सौंदर्य का गतिशील चित्रण बिंबों द्वारा प्रस्तुत किया गया है। यह चित्रण एक प्रभाववादी चित्रकार की तरह किया गया है। प्रभाववादी चित्रकार वस्तु या दृश्य के मन और संवेदना पर पड़े प्रभावों का उनकी विशिष्ट रंग- रेखाओं के सहारे चित्रित करता है।

उषा कविता में कवि ने प्रातः कालीन अकाश की पवित्रता निर्मलता और उज्जवलता की विभिन्न उपमाओं से तुलना या समता की है। इसमें प्रातः कालीन नीले आकाश को शंख जैसा बताया गया है। सूर्योदय के पहले की लालिमा के प्रभाव से आकाश ऐसा लग रहा है जैसे किसी ने काली सिल को केसर से धो दिया हो या काली स्लेट पर लाल खड़ीया मल दी हो या नीले जल में किसी की उज्जवल गोरी देह (शरीर) हिल रही हो। किंतु सूर्योदय हो जाने से उषा सुंदरी का वह जादू धीरे-धीरे कम होता जाता है।

सब्जेक्टिव-

1. प्रातः काल का नभ कैसा था ?

उत्तर- प्रातः काल का नव पवित्र निर्मल और उज्जवल था। उसका रंग अत्याधिक जिला था और वह शंख जैसा प्रतीत हो रहा था। उस समय नभ देखने में ऐसा लग रहा था जैसे लीपा हुआ चौका हो। पूरब में बिखरी सूर्योदय के पहले की लालिमा के कारण नभ ऐसा लग रहा था मानो किसी ने काली सिल को लाल केसर से धो दिया हो।

2. राख से लिपा हुआ चौका के द्वारा कवि ने क्या कहना चाहा है ?

उत्तर- राख से लिपा हुआ चौका के माध्यम से कवि क्या कहना चाहते हैं कि प्रातः कालीन नभ पवित्र एवं निर्मल है। जिस प्रकार लीपने के तुरंत बाद गीले चौके मैं किसी को इसलिए नहीं चलने फिरने दिया जाता कि उससे चौके में पैरों के निशान पड़ जाएंगे और वह पवित्र तथा निर्मल नहीं रह जाएगा। उसी प्रकार भोर के नभ में भी प्रातः कि ओस के कारण गीलापन है और वह बिल्कुल पवित्र एवं निर्मल है।

3. उषा का जादू कैसा है ?

उत्तर- उषा का उदय आकर्षक होता है नीले गगन में फैलती प्रथम सफेद लाल प्रातः काल की किरणें हृदय को बरबस अपनी ओर आकृष्ट कर लेती है। उसका बरबस आकृष्ट करना ही जादू हैं सूर्य उदित होते ही यह भव्य प्राकृतिक दृश्य सूर्य की तरुण किरणों से आहत हो जाता है उसका सम्मोहन और प्रभाव नष्ट हो जाता है।

4. लाल केसर और लाल खड़िया चाक किसके लिए प्रयुक्त है?

उत्तर- लाल केसर-सूर्योदय के समय आकाश की लालिमा से कवि ने लाल केसर से तुलना की है रात्रि कि उन्होंने काली सिलवट से तुलना की है। काली सिलवट को लाल केसर से मलने पर सिलवट साफ हो जाता है उसी प्रकार सूर्योदय होते ही अंधकार दूर हो जाता हैं एवं आकाश में लालिमा छा जाती हैं।

लाल खड़िया चाक- लाल खड़िया चाक उषाकाल के लिए प्रयुक्त हुआ है उषाकाल में हल्के अंधकार के आवरण में मन का स्वरूप ऐसा लगता है मानो किसी ने स्लेट पर लाल खली घिस दी हो।

5. प्रातः नभ की तुलना बहुत नीला शंख से क्यों की गई है?

उत्तर- प्रातः नभ की तुलना बहुत नीला शंख से की गई है क्योंकि कवि के अनुसार प्रातः कालीन आकाश (नभ) गहरा नीला प्रतीत हो रहा है। वह नीले शंख के समान पवित्र और उज्जवल है। • नीला शंख पवित्रता का प्रतीक है प्रातः कालीन नभ पवित्रता का प्रतीक है। लोग उषाकाल में सूर्य नमस्कार करते हैं शंख का प्रयोग भी पवित्र कार्यों में होता है अतः यह तुलना युक्तिसंगत है।

6. जील जल में किसकी गौर देह हिल रही है?

उत्तर- नीले आकाश में सूर्य की प्रातः कालीन किरण झिलमिल कर रही है मानो नीले जल में किसी गौरांगो का गौर शरीर हिल रहा है।

7. व्याख्या करें

7.जादू टूटता है इस उषा का अब सूर्योदय हो रहा है।

उत्तर- प्रस्तुत पंक्ति नई कविता के कवि शमशेर बहादुर सिंह द्वारा रचित है कवि उषा का जादू उषाकाल नभ की प्राकृतिक सुंदरता के रूप में वर्णन करता है। कवि को यह दृश्य बहुत मोहित करता है परंतु उषा का जादू सूर्योदय होने पर टूट जाता है। तब सूर्योदय का होना कवि के लिए उषा का जादू टूटना है। सूर्योदय के पूर्व तक ही आकाश को गोद में सौंदर्य के जादू का खेल चलता रहता है। सूर्योदय होने पर उससे निकले प्रकाश से सारा दृश्य बदल जाता है यहां उषा के जादू व का टूटना है।

8. बहुत काली सिल जरा से लाल केसर से कि जैसे भूल गई हो ।

उत्तर- प्रस्तुत पंक्तियां नई कविता के कवि शमशेर बहादुर सिंह द्वारा रचित हैं कवि ने प्रातः कालीन उषा के सौंदर्य में अभिभूत होकर उसे भिन्न-भिन्न उपमानों की सहायता से चित्रि किया है। तभी सूर्योदय होने से पूर्व आकाश में सूर्य की लाली छिटकने पर कहना है कि आकाश मानव काला पत्थर थोड़े से लाल केसर से धूल गया है उषा कालीन आकाश के प्राकृतिक सौंदर्य 

का प्रभावपूर्ण चित्रण हैं। कवि ने बड़ा ही सहज सरल एवं सुबोध भाषा का प्रयोग किया है कवि की मुख्य चिंता उषा कालीन प्राकृतिक सौंदर्य का चित्रण से है। इसलिए कवि उपमानों द्वारा बिम्ब की रचना करता है। इस तरह उषा का सौंदर्य और बढ़ जाता है।

ऑब्जेक्टिव-

1. शमशेर बहादुर सिंह का जन्म कब हुआ था ? उत्तर- 13 जनवरी 1911

2. शमशेर बहादुर सिंह का जन्म कहां हुआ था ?

उत्तर- देहरादून उत्तराखंड

3. शमशेर बहादुर सिंह का मृत्यु कब हुआ था?

उत्तर- 1993

4. बात बोलेगी (1981) के लेखक कौन है ?

उत्तर- शमशेर बहादुर सिंह

5. काल तुझसे होड़ है मेरी (1982) के लेखक कौन है ?

उत्तर- शमशेर बहादुर सिंह

6. शमशेर बहादुर सिंह ने 1978 में किस देश की यात्रा की ?

उत्तर- सोवियत रूस

 

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