Class 12th hindi पाठ-2 उसने कहा था ( चंद्रधर शर्मा गुलेरी) सब्जेक्ट प्रश्न उत्तर।
हेलो दोस्तों आप सभी का स्वागत है इस नए पोस्ट में इस पोस्ट में आप जानेंगे कक्षा 12 हिंदी पाठ- 2 उसने कहा था जिसका लेखक हैं चंद्रधर शर्मा गुलेरी .
इस पाठ का सभी महत्वपूर्ण subjective- प्रश्न आप इस पोस्ट में पढ़ने वाले हैं । आपके परीक्षा में इससे बाहर एक ही प्रश्न नहीं पूछा जाएगा ,इसलिए विश्वास के साथ सभी प्रश्न को ध्यान से पढ़िए सभी का उत्तर आसान भाषा में दिया गया है जिसे पढ़ने के बाद आप एक बार में याद कर सकते हैं । सबसे नीचे जाकर देखें vvi question मिलेगा।
Class 12th hindi पाठ-2 उसने कहा था ( चंद्रधर शर्मा गुलेरी) सब्जेक्ट प्रश्न उत्तर।
02. उसने कहा था [ चंद्रधर शर्मा गुलेरी ] कहानी
पाठ के सारांश
कहानी का प्रारंभ अमृतसर नगर के चौक बाजार में एक आठ वर्षीय एक बालिका तथा एक बारह वर्षीय सिख बालक के बीच
छोटे से वार्तालाप से होता है। दोनों ही बालक बालिका अपने अपने मामा के यहां आए हुए हैं बालिका व बालक दोनों सामान
खरीदने बाजार आए थे कि बालक मुस्कुराकर बालिका से पूछता है क्या तेरी कुड़माई (सगाई हो गई। इस पर बालिका कुछ
आंखें चढ़ाकर धत् कहकर दौड़ गई और लड़का मुंह देखता रह गया। यह दोनों बालक बालिका दूसरे तीसरे दिन एक दूसरे से कभी किसी दुकान पर कभी कहीं टकरा जाते और वही प्रश्न और वही उत्तय एक दिन ऐसा हुआ कि बालक ने वही प्रश्न पूछा • और बालिका ने उसका उत्तर लड़के की संभावना के विरुद्ध दिया और बोली हां हो गई। इस अप्रत्याशित उत्तर को सुनकर लड़का चौंक पड़ता है और पूछता है कब? जिसके प्रत्युत्तर में लड़की कहती हैं कल देखते नहीं यह रेशम से कढ़ा हुआ सालू और यह कहकर वह भाग जाती है परंतु लड़के के ऊपर मानों वज्रपात होता है और वह किसी को नाली में धकेलता हूँ किसी • छाबड़ी वाले की छाबड़ी गिरा देता, किसी कुत्ते को पत्थर मारता है, किसी सब्जी वाले के ठेले में दूध उड़ेल देता है और किसी सामने आती हुई वैष्णवी से टक्कर मार देता है और गाली खाता है। कहानी का पहला भाग यही नाटकीय ढंग से समाप्त हो जाता है। इस बालक का नाम था लहना सिंह और यही बालिका बाद में सुवेदारनी के रूप में हमारे सामने आती है। इस घटना के पच्चीस वर्ष बाद कहानी का दूसरा भाग शुरू होता है लहना सिंह युवा हो गया और जर्मनी के विरुद्ध लड़ाई में लड़ने वाले सैनिकों में भर्ती हो गया और अब वह नंबर 77 राइफल्स में जमादार है। एक बार वह सात दिन की छुट्टी लेकर अपनी जमीन के किसी मुकदमे की पैरवी करने घर आया था वही उसे अपने रेजीमेंट के अवसर की चिट्ठी मिलती है कि फौज को लाम (युद्ध) पर जाना है फौरन चले आओ। इसी के साथ सेना के सूबेदार हजारा सिंह को भी चिट्ठी मिलती है कि उसे और उसके बेटे बोधा सिंह दोनों को लाभ (युद्ध) पर जाना है अतः साथ ही चलेंगे। सूबेदार का गांव रास्ते में पड़ता था और वह लहना सिंह को चाहता भी बहुत था लहना सिंह सूबेदार के घर पहुंच गया जब तीनों चलने लगे तब अचानक सूबेदार लहनासिंह को आश्चर्य होता है कि सेना के क्वार्टरों में तो वह कभी रहा नहीं पर जब अंदर मिलने जाता है तब सूबेदार ने उसे कुड़माई हो गई वाला वाक्य दोहरा कर पच्चीस वर्ष पहले की घटना का स्मरण दिलाती है और कहती है कि जिस तरह उस समय उसने एक बार घोड़े की लातों से उसकी रक्षा की थी उसी प्रकार उसके पति और एकमात्र पुत्र की युवा रक्षक करें वह उसके आगे अपना आंचल प्रसार कर भिक्षा मांगती है। यह बात लहना सिंह के मर्म को छू जाती है।
युद्ध भूमि पर उसने सूबेदारनी के बेटे बोधा सिंह को अपने प्राणों की चिंता न कर के जान बचाई। पर इस कोशिश में वह स्वयं घातक रूप से घायल हो गया। उसने अपने घाव पर बिना किसी को बताए कसकर पट्टी बांध ली और इसी व्यवस्था में जर्मन सैनिकों का मुकाबला करता रहा शत्रुपक्ष की पराजय के बाद उसने सूबेदारनी के पति सुवेदार हजारा सिंह और उसके पुत्र बोधा सिंह को गाड़ी में सकुशल बैठा दिया और चलते हुए कहा सुनिए तो सूबेदारनी होरां को चिट्ठी लिखो तो मेरा मत्था टेकना लिख देना और जब घर जाओ तो कह देना कि मुझसे जो उन्होंने कहा था वह मैने कर दिया……….
सूबेदार पूछता ही रह गया उसने क्या कहा था कि गाड़ी चल दी। बाद में उसने वजीरा से पानी मांगा और कमरबंद खोलने को कहा क्योंकि वह खून से तर था। मृत्यु सन्निकट होने पर जीवन की सारी घटनाएं चलचित्र के समान घूम गई और • वाक्य जो उसके मुंह से निकला वह था उसने कहा था। इसके बाद अखबारों में छपा कि फ्रांस और बेल्जियम 68 सूची मैदान में घाव से भरा नंबर 77 राइफल्स जमादार वहना सिंह इस प्रकार अपनी बचपन की छोटी सी मुलाकात में हुए परिचयके कारण उसके मन में सूबेदारनी के प्रति जो प्रेम उदित हुआ था उसके कारण ही उसने सूबेदारनी द्वारा कहे गए वाक्यों को स्मरण रख उसके पति व पुत्र की रक्षा करने में अपनी जान दे दी क्योंकि यह उसने कहा था।
सब्जेक्टिव-
1. उसने कहा था कहानी कितने भागों में बँटी हुई है, कहानी के कितने भागों में युद्ध का वर्णन है? उत्तर- उसने कहा था कहानी पांच भागों में बँटी हुई है | कहानी के तीन भागों में युद्ध का वर्णन हैं
2. लहना सिंह का परिचय अपने शब्दों में दे लिखें?
उत्तर- लहना सिंह उसने कहा था का नायक लहना सिंह जर्मनी की लड़ाई में लड़ने जाने वाले सैनिक नंबर 77 राइफल्स में जमादार हैं ।
3. कल देखते नहीं यह रेशम से कढा हुआ साला यह सुनते ही लहना की क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर- यह सुनते ही मानों लहना पर वज्रपात होता है और वह किसी को नाली में ढकेलता है किसी छाबड़ी वाले छावड़ी गिरा देता है किसी कुत्ते को पत्थर मारता है किसी सब्जी वाले के ठेले दूर उड़ेल देता है और किसी सामने आते हुए वैष्णवी से टक्कर मार देता है और गाली खाता है |
4. जाड़ा क्या है, मौत है और निमोनिया से मरने वालों को मुरब्बे नहीं मिला करते, वजीरासिंह के इस कथन का क्या आशय है ?
उत्तर- तबीयत खराब हो जाने पर उसे कड़वी औषधि ही दी जाती है उसे मीठे मुरब्बे नहीं मिलते |
5. कहती है, तुम राजा हो मेरे मुल्क को बचाने आए हो, वजीरा के इस कथन में किसकी ओर संकेत है ?
उत्तर- यह कथन इंग्लैंड की महिला (फिरंगी मेम) ने कहा था। फिरंगी मेम से ब्रिटेन फ्रांस आदि
की ओर संकेत है |
6. लहना के गांव में आया तुर्की मौलवी क्या कहता था ?
उत्तर- जर्मनी वाले बड़े पंडित है वेद पढ़-पढ़कर उसमें से विमान चलाने की विधियां जान गए हैं गौ को नहीं मारते |
7. लहना सिंह का दायित्व बोध और उसकी बुद्धि दोनों ही स्पृहणीय है इस कथन की पुष्टि करें ? उत्तर- लहना सिंह एक किसान परिवार के साथ सिपाही होने के कारण अपने दायित्व के प्रति सजग हैं लहना सूबेदारनी के कहे वचन को पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ निभाता है लड़ाई के समय जब वह घायल हो जाता है तब वह पट्टी बांधकर छुपा लेता है और सूबेदार को कुछ नहीं बताता हैं पसलियों में लगी गोली इसके लिए प्राणघातक होते हैं और अंत में वह मर जाता है लेकिन सूबेदारनी के वचन को लहना सिंह भरोसे के साथ सूबेदार और उसके पुत्र बोधा सिंह की रक्षा अपनी जान देकर पूरा करता है।
जब उनकी टुकड़ी में जर्मन जासूस लपटन साहब बनकर घुस आता है तब उसकी सूझबूझ और चतुराई देखते ही बनती हैउसे यह पहचानने में देर नहीं लगती किया लपटन साहब नहीं वरन जर्मन जासूस है और तब वह उसी के अनुकूल कदम उठाने से नहीं हिचकिचाता और अपने बुद्धिमानी का परिचय देते हुए पूरे खंदक को उड़ने से बचा लेता है लहना युद्ध मोर्चा पर विनायक
हैं खंदक में पड़े-पड़े बताने से बेहतर वह शत्रु पर आक्रमण करना बेहतर समझता है निकम्मे पन • और ऊब से बेहतर लड़ते हुए अपनी जान देना अच्छा समझता हैं |इस प्रकार हम देखते हैं कि लहना सिंह को अपने कर्म के प्रति अगाध निष्ठा है इस निष्ठा में अपनी बुद्धि विवेक का प्रयोग वह सफल रूप से करता है।
8. उसने कहा था कहानी का “केंद्रीय भाव” क्या है वर्णन करें ?
उत्तर- उसने कहा था प्रथम विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि में लिखी गई कहानी है गुलेरी जी ने लहना सिंह और सूबेदारनी के माध्यम से मानवीय संबंधों का नया रूप प्रस्तुत किया है लहना सिंह सूबेदारनी ने अपने प्रति विश्वास से अभिभूत होता है क्योंकि उस विश्वास की नींव में बचपन के संबंध हैं सूबेदारनी का विश्वास ही लहना सिंह को उस महान त्याग की प्रेरणा देता हैं।
कहानी एक और स्तर पर अपने को व्यक्त करती है प्रथम विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि पर यह एक अर्थ में युद्ध विरोधी कहानी भी है क्योंकि लहना सिंह के बलिदान का उचित सम्मान किया जाना चाहिए था परंतु उसका बलिदान व्यर्थ हो जाता है और लहना सिंह का करुण अंत युद्ध के विरोध में खड़ा हो जाता है लहना सिंह का कोई और सपना पूरा नहीं होता |
9. कहानी के पात्रों की एक सूची तैयार करें?
उत्तर- कहानी में कई पात्र हैं जिनमें से कुछ प्रमुख हैं और कुछ गौण। कहानी के पात्रों के नाम निम्नलिखित है- लहना सिंह (नायक), सूबेदारनी, सूबेदार हजारासिंह, बोधा सिंह (सूबेदार का बेटा), अतर सिंह (लड़की का मामा), महासिंह (सिपाही), वजीरा सिंह (सिपाही), लपटन साहब आदि |
10. सप्रसंग व्याख्या ?
1. मृत्यु के कुछ समय पहले स्मृति बहुत साफ हो जाती है जन्म भर की घटनाएं एक-एक करके सामने आती है सारे दृश्यों के रंग साफ होते हैं समय की धुंध बिल्कुल ऊपर से छट जाती है?
उत्तर- यह प्रसंग उस समय का है जब लहना सिंह घायल हो जाता है और बोधा सिंह को अस्पताल ले जाया जाता है उसी अंततः स्थिति में लहना सिंह वजीरा से पानी मांगता है और लहना अतीत की यादों में खो जाता है।
इस पंक्तियों का अभिप्राय है कि मृत्यु के पहले व्यक्ति के मानस की स्मृति में जीवन भर की भोगी हुई घटनाएं एक-एक कर सामने आने लगती है जिसमें किसान जीवन का यथार्थ लहना सिंह का सपना, गांव भर की याद, सूबेदारनी का वचन इत्यादि शामिल हैं। मृत्यु शाश्वत सत्य है मृत्यु हरेक व्यक्ति को वरण करती है। कहा भी गया है मौत से किसको रूस्तगारी है आज मेरी तो कल तेरी बारी है। जीवन के अंतिम क्षण में मानस पटल के साथ धवल आईने पर स्मृतियों की रेखाएं पूर्वानुभावों से सिक्त होकर एक बार फिर सजीव और स्पन्दित हो जाती है और यादाश्त की कई परतें अपने आप खुलने लगती हैं। मृत्यु एक ऐसा पड़ाव है जहां अतीत का •मोह और आगे जाने की चाह दोनों के समाहार से द्वंद की स्थिति पैदा होती है। यही कारण है कि जब लहना सिंह घायल होता है। मृत्यु शय्या पर पड़ा रहता हैं तो मोहवश पुरानी स्मृतियां यानी उसका इतिहास अपने आगोश में उसे पुनः बांधती है और उसी अतीत के सुखद क्षणों में पुनः जी लेने के लिए उसे उत्तेजित करती हैं हर आदमी अकेला और अन्ततः मृत्यु को प्राप्त होता हैं इस सचाई को बहुत समय तक झुठलाया नहीं जा सकता यही कारण है कि मानव मस्तिष्क के ऊपर संदर्भ में कोहरा छाया रहता है लेकिन जब यह सच्चाई अपने यथार्थ में सच्चाई को एकबारगी प्रकट कर देने को तैयार हो जाती है और मौत बिल्कुल स्पष्ट रूप में सामने आ जाती है तो मृत्यु के कुछ समय पहले स्मृति बहुत साफ हो जाती है जन्म भर की घटनाएं एक-एक करके सामने आने लगती है सहारे उद्देश्यों के रंग साफ होते हैं समय की धुंध उस पर बिल्कुल छट जाती हैं |
2. और अब घर जाओ तो कह देना कि मुझे जो उसने कहा था वह मैंने कर दिया?
उत्तर- प्रस्तुत पंक्ति उसने कहा था शीर्षक कहानी से लिया गया है इन पंक्तियों में उस समय का वर्णन है जब लहना सिंह मरणासन्न स्थिति में है शत्रुओं की गोलियां शरीर में लगी है उनका मानसिक संतुलन बिगड़ गया है बीते हुए दिन की स्मृतियां उसे झकझोर रही है ऐसी स्थिति में वह वजीरा से कहता है कि वह ( वजीरा) जब घर जाएगा तो उस (सूबेदारनी) को कह देगा कि लहना सिंह को उसने जो कहा था उसने वह पूरा कर दिया अर्थात उसने सूबेदार हजारा सिंह एवं उसके पुत्र बोधा सिंह के प्राणों की रक्षा अपने जीवन का बलिदान कर की है। उसने अपने वचन का पालन किया है।
इस प्रकार विद्वान लेखक ने यहां पर लहना सिंह के उदार चरित्र का वर्णन किया है। लहना सिंह ने उच्च जीवन सिद्धांतों के पालन का आदर्श प्रस्तुत किया है। उसका जीवन कर्तव्य परायणता निष्ठा उच्च नैतिक मूल्य तथा अपने वचन का पालन करने का एक अनुकरणीय उदाहरण है।
> ऑब्जेक्टिव-
1. उसने कहा था कहानी में किस शहर का चित्रण है?
उत्तर- अमृतसर
2. लहना सिंह के गांव का नाम क्या है ? उत्तर- मांझे
13. लहना सिंह किस पद पर था ?
उत्तर- जमादार के
4. लहना सिंह की मृत्यु किसकी गोद में हुई ?
– वजीरा सिंह उत्तर-
15. पलुटन का विदूषक कौन था ?
उत्तर- वजीरा सिंह
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