Class 10,hindi subjective chapter – 4 नगर
Shorts question |
1. पाप्पाति अस्पताल में भर्ती क्यों नहीं हो सकी?
उत्तर—सरकारी कर्मचारियों की लापरवाही और अस्पताल में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण पाप्पाति अस्पताल में भर्ती न हो सकी।
2. वल्लि अम्माल मुदरै के बड़े अस्पताल में क्यों गई थी ?
उत्तर – वल्लि अम्माल अपनी बेटी पाप्पाती को दिखाने मुदरै के बड़े अस्पताल में गई थी। गाँव के डॉक्टर ने उससे यही कहा था।
3. बड़े डॉक्टर पाप्पाति के बारे में पूछताछ क्यों कर रहे थे ?
उत्तर—पाप्पाति बल्लि अम्माल की बेटी है। जो तमिलनाडु के गाँव से मदुरै शहर अस्पताल में लाई गई है। पाप्पाति बहुत ही भयंकर रोग ‘मेनेनजाइटिस’ से पीड़ित है । माँ बहुत ही सीधी-साधी गाँव की महिला है। बड़े डॉक्टर अपने छात्रों के साथ पाप्पाति से बेटी की बीमारी के बारे में पूछ-ताछ कर रहे थे ताकि अपने छात्रों को बीमारी के बारे में पढ़ा सकें।
4. बड़े अस्पताल के डॉक्टर ने पाप्पाति को किस रोग से ग्रस्त बताया?
उत्तर- बड़े अस्पताल के डॉक्टर ने पाप्पाति को मेनिनजाइटिस का रोगी बताया ।
5. अस्पताल के आदमी ने वल्लि अम्माल को चिट क्यों लौटा दिया?
उत्तरः अस्पताल के आदमी ने वल्लि अम्माल को यह कहकर चिट लौटा दिया कि इस पर डॉक्टर के दस्तखत नहीं है।
6. भर्तीवाले जगह के आदमी ने वल्लि अम्माल से क्या कहा?
उत्तर – भर्तीवाले आदमी ने वल्लि अम्माल से कहा कि अभी जगह नहीं उत्तर- है । कल सबेरे साढ़े सात बजे आना ।
7. बड़े अस्पताल का डॉक्टर कैसा आदमी था ?
उत्तर—बड़े अस्पताल का डॉक्टर पेशे से कुशल और भला आदमी था। वह पाप्पाति को भर्ती कर उसका इलाज करना चाहता था किन्तु भ्रष्टाचारियों के आगे उसकी एक न चली।
8. सुजाता किस भाषा की कथाकार हैं?
उत्तर – सुजाता तमिल भाषा की चर्चित कथाकार हैं।
Long type question |
नगर
1. वल्लि अम्माल का चरित्र चित्रण करें।
उत्तर- वल्लि अम्माल तमिलनाडु के मुदरे नगर के निकटवर्ती गाँव को सामान्य भारतीय नारी है— विधवा और अनपढ़ । वह अत्यन्त सरल नारी है। शहरी चोंचले नहीं जानती, रंग-ढंग नहीं जानती। वह पाप्पाति की माँ है। माँ अपना सहज दुलार प्यार अपनी बेटी पर लुटाती है यही कारण है कि प्राइमरी सेंटर के डॉक्टर के कहने पर अगली सुबह मुदरे के बड़े अस्पताल में जाती है। वहाँ के डॉक्टरों के हाव-भाव से डर कर पूछती है—’मेरी बेटी पाप्पाति ठीक हो जाएगी?’ उसको भर्ती कराने के लिए, लोगों के कहे अनुसार इधर-उधर बेचैनी से दौड़ती रहती है। उसे अपनी पुत्री की चिन्ता है। अस्पताल में भर्ती होने की आस छोड़ यह गाँव लौटती है। वह अंधविश्वासी है जड़ी-बूटी, झाड़-फूँक में आस्था है उसकी उसे ईश्वर पर विश्वास है। पाण्याति के स्वास्थ्य लाभ के लिए मन्नत मानती है-हाथधर रेजगारी चढ़ाने की। वस्तुतः वल्लि अम्माल एक अनपढ़ सामान्य नारी है, जो सरल हृदय है, अंधविश्वासी, आस्तिक और ममतामयी माँ है।
2. ‘नगर’ शीर्षक कहानी की सार्थकता पर विचार करें।
उत्तर- ‘नगर’ शीर्षक कविता प्रतीक रूप में है वल्लि अम्माल अपने पुत्री को लेकर बड़े शहर मदुरै जाती है जो मरनासन्न है। नगर के लोग रुखे व्यवहार के हैं। उसे एक स्थान पर खड़ा होकर रोने भी नहीं देते। गाँव में एक-दूसरे का ख्याल रखते हैं। अतः अव्यावहारिक जीवन शैली का प्रतीक नगर’ शीर्षक सार्थक है।
3. बड़े डॉक्टर ने अपने अधीनस्थ डॉक्टरों से पाप्याति को अस्पताल में भर्ती कर लेने को क्यों कहा? विचार करें।
उत्तर- बड़े डॉक्टर ने पाप्पाति की सावधानी से जाँच की पलकें उठाकर आँखें देखी। सिर को घुमाकर देखा, ऊँगली गाल में गड़ाई। खोपड़ी को अपनी ऊँगलियों से ठोक ठोक कर देखा। विदेश से पढ़कर आए थे। अपने अधीनस्थ डॉक्टरों से कहा- इट इज ए केस ऑफ एक्यूट मेनजाइटिस। फिर अपने अधीनस्थ डॉक्टर से कहा कि कह दीजिए इसे एडमिट कर लें। इस केस को मैं स्वयं देखूँगा। दरअसल, मेनजाइटिस में रोगी की संज्ञा प्रायः चली जाती है। इसीलिए डॉक्टर ने एडमिट करने को कहा। अस्पताल के बाहर ऐसे रोगी का इलाज होना कठिन होता है।
4. पाप्पाति कौन थी और वह शहर क्यों लाई गई थी?
उत्तर- पाप्माति तमिलनाडु के एक गाँव की महिला वल्लि अम्माल की बेटी थी। उसे बुखार आ गया। जब वल्लि अम्माल उसे लेकर गाँव के प्राइमरी हेल्थ सेंटर में दिखाने गई तो वहाँ के डॉक्टर ने अगले दिन सुबह ही जाकर नगर के बड़े अस्पताल में दिखाने को कहा। बस, पाप्याति को लेकर सुबह की बस से नगर के बड़े अस्पताल में दिखाने पहुँच गई।
5. बड़े डॉक्टर के आदेश के बावजूद पाप्पाति अस्पताल में भर्ती क्यों नहीं हो पाई ?
उत्तर- नगर के बड़े अस्पताल के बड़े डॉक्टर के आदेश के बावजूद एक्यूट मेनेंजाइटिस से ग्रस्त पाप्पाती अस्पताल में भर्ती नहीं हो सकी, इसका कारण सरकारी अस्पताल में व्याप्त टालू प्रवृत्ति, कर्त्तव्यहीनता, सामान्य व्यक्ति के प्रति सरकारी कर्मचारियों का उपेक्षापूर्ण रवैया और भ्रष्टाचार है । डॉक्टर के चिट देने के बावजूद प्रभारी देर से काम पर लौटा और कहा कि डॉक्टर का दस्तखत नहीं है। दूसरी जगह के आदमी ने चिट लेने के आधे घंटे बाद कहा कि यहाँ क्यों लाई? लोगों ने वल्लि अम्माल को सही रास्ता नहीं बताया। किसी ने यह जानने की कोशिश नहीं की कि यह शहर और अस्पताल की स्थिति से परिचित नहीं है और न यह जानने का कष्ट किया कि इसकी बेटी आज जगह नहीं है, कल आना और खोज पूछ होने पर कहा कि बड़े डॉक्टर इंटरेस्टेड हैं, बताना चाहिए। एक ने यह कहा कि दरवाजा अभी नहीं खुलेगा, जबकि घूस पाकर दरवाजा खोल दिया। और तो और अधीनस्थ डॉक्टर ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए स्वयं भर्ती की पहल नहीं की सिर्फ चिट देकर चलता कर दिया।
6. भारत में सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार व्याप्त है? क्या आप इस कथन से सहमत हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर– आज भारत के सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार व्याप्त है, इसे कौन नहीं मानेगा? सर्वेक्षणों में भी यह तथ्य स्पष्ट है। अगर सर्वेक्षणों को राग-द्वेष का परिणाम मान लिया जाए तो इस बात से कौन इन्कार करेगा कि आजादी के तिरसठ वर्षों बाद भी करोड़ों लोग गरीबी रेखा के नीचे जी रहे हैं? बाढ़ आज भी लाखों आदमियों को लील जाती है, सूखा न जाने कितने लोगों को चबा जाता है। करोड़ों लोग गंदा पानी पीते हैं, बच्चे कुपोषण के शिकार हैं, करोड़ों घरों में बिजली नहीं है। हजार आदमी पर भी एक डॉक्टर नहीं है। हर गाँव तक सड़क नहीं बनी। इतने साल हो गए, हर साल सरकार बजट बनाती है। इन मदों पर रुपये खर्च किए गए। कहाँ गए रुपये? माना कि आबादी बढ़ी किन्तु इस संबंध में क्या कोई नीति बनी? रुपया सरकारी तंत्र के भेंट चढ़ गया। राज्यों की राजधानियाँ चौड़ी हो गई, नेता तोदियल हो गए. नेताओं की समृद्धि में इजाफा हो गया, सरकारी कर्मचारियों का वेतन सुरसा की तरह बढ़ गया। यह सब क्या है ? अस्पतालों में लोगों को दवा नहीं, अदालतों में तारीख पर तारीख पड़ती जाती हैं, महंगाई का मिजाज सातवें आसमान पर है, सरकारी स्कूलों में शिक्षा नदारद है, दफ्तरों में बाबू अपनी जगह पर कब आएगा पता नहीं। यह सब क्या है? निश्चय ही सरकारी दफ्तरों में व्याप्त भ्रष्टाचार इन सबका मूल कारण है।
7. कहानीकार ने कहानी का शीर्षक ‘नगर’ क्यों रखा है? शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट करें।
उत्तर—कहानीकार द्वारा कहानी का शीर्षक रखने के कारण अनेक हैं। पहला तो यह कि कहानी की मुख्य घटना नगर में ही घटती है। दूसरी बात यह है कि कहानी का मूल उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों की कर्त्तव्यहीनता, लापरवाही, भ्रष्टाचार और आम जनता के प्रति उनकी संवेदनहीनता दिखाना है, और इसके लिए नगर स्थित कोई सरकारी बड़ा संस्थान ही हो सकता है। तीसरी बात यह है कि शास्त्रीय दृष्टि से शीर्षक अत्यंत छोटा और आकर्षक होना चाहिए। इस दृष्टि से भी ‘नगर’ शीर्षक उपयुक्त है क्योंकि छोटा होने के साथ-साथ यह औत्सुक्यवर्द्धक है क्योंकि ‘नगर’ पढ़ने के साथ ही यह उत्सुकता पैदा होती है कि नगर की कौन सी घटना, कैसी घटना किससे संबंधित कथा है। इस प्रकार, ‘नगर’ शीर्षक अत्यन्त उपयुक्त है।
Class 10,hindi subjective chapter – 4 नगर
Daily live | Link-1 Link- 2 |
Join PDF group | Click Here |
All subject | Click Here |