Chapter 2 समाजवाद एवं साम्यवाद socialism and communism
Chapter 2 समाजवाद एवं साम्यवाद socialism and communism
समाजवाद एवं साम्यवाद
Q.1 शीत युद्ध से आप क्या समझते हैं ?
Ans- शीत युद्ध प्रत्यक्ष योजना होकर वाक्य द्वंद द्वारा एक दूसरे राष्ट्र को नीचा दिखाने का वातावरण है , द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात पूंजीवादी राष्ट्र और रूस के बीच इसी प्रकार का शीत युद्ध चलता चला
Q.2 खूनी रविवार क्या है ?
Ans- 1905 ई के रूस जापान युद्ध में रूस एशिया के एक छोटे से देश जापान से पराजित हो गया, पराजय के अपमान के कारण जनता ने क्रांति कर दी 9 जनवरी 1905 ई लोगों का समूह प्रदर्शन करते हुए सेट पिट्सबर्ग स्थित मॉल की ओर जा रहा था । जार की सेना ने इन निहत्थे लोगों पर गोलियां बरसाई । जिससे हजारों लोग मारे गए यह घटना रविवार के दिन हुई । अतः इसे खूनी रविवार के नाम से जाना जाता है।
Q. 3 , अक्टूबर क्रांति क्या है
Ans 7 नवंबर 1917 ई में बोलसेबिको ने पेट्रोग्राड के रेलवे स्टेशन बैंक डाकघर टेलीफोन केंद्र कहचरी तथा अन्य सरकारी भवनों पर अधिकार कर लिया, करेंस्की भाग गया और शासन की बागडोर बोलसेबिको के हाथों में आ गई जिसका अध्यक्ष लेनिन को बनाया गया ।इसी क्रांति को बोल्शेविक क्रांति या नवंबर की क्रांति कहते हैं। इसे अक्टूबर की क्रांति भी कहा जाता है क्योंकि पुराने कैलेंडर के अनुसार है 25 अक्टूबर 1917 ई की घटना थी।
Q.4 समाजवाद की क्या विशेषता थी?
Ans समाजवाद के उदय का कारण औद्योगिक क्रांति थी हालांकि ऐतिहासिक दृष्टि से समाजवाद का विकास दो चरणों में हुई ।मार्क्स के पूर्व का समाजवाद एवं मार्क्स के बाद का समाजबाद यूरोपियन समाजवाद पुराना था। यह समाजवादी आदर्शवादी होते थे , यह समाजवाद कल्पनालोकीय या स्वपनलोकिय समाजवाद के नाम से भी जाना जाता है ।जो व्यावहारिक नहीं थे , वैज्ञानिक समाजवाद वर्ग संघर्ष के माध्यम से उभरा था इसके बिचारबाद प्रतिवाद पर आधारित था इसीलिए एक आदर्शवादी तो दूसरा यथार्थवादी था।
Q 5. सर्वहारा वर्ग किसे कहते हैं?
Ans समाज का वह लाचार वर्ग जिसमें गरीब किसान कृषक मजदूर सामान्य मजदूर श्रमिक एवं आम गरीब लोग आते हैं। उसे सर्वहारा वर्ग कहते हैं ।
इस वर्ग के लोगों के पास बुनियादी चीज भी उपलब्ध नहीं होती, घनी वर्ग इस वर्ग को उपेक्षित नजरों से देखते हैं।
Q. 6 प्रथम विश्व युद्ध में रूस की पराजय ने क्रांति का मार्ग प्रशस्त किया कैसे ?
उत्तर रूसी क्रांति के कुछ कारण कई दशकों से विद्यमान थे। रूस में जरासाही बारुद के ढेर पर बैठी थी। बस उसे ढेर में चिंगारी लगाने की आवश्यकता थी। यह काम प्रथम विश्व युद्ध में रूस की पराजय ने कर दिया।
प्रथम विश्व युद्ध में रूसी सेना में कृषि तथा उद्योग से जुड़े लोग भी सैनिक कार्य हेतु भेजे गए, जिसका प्रतिकूल असर अनाज एवं अन्य उत्पादों पर पड़ा देश में दुर्भिक्ष की स्थिति हो गई। मोर्चे पर भेजे गए सैनिक भी युद्ध सामग्री और खाद्यान्न के अभाव में बेमौत मारे गए।
लगभग 20 लाख रूसी सैनिक मारे गए और 50 लाख से भी अधिक घायल हुए, इससे रूसी फ़ौज में भी असंतोष फैल गया।
एक तरफ सेना और जनता दुर्भिक्ष की स्थिति के साथ-साथ हार का अपमान झेल रही थी ।
वहीं दूसरी तरफ जारशाही वैभव और विलास का आनंद ले रही थी। इन्हीं परिस्थितियों में विद्रोह का सिलसिला शुरू हो गया। सैनिक भी आंदोलनकार्यों के साथ मिल गए और क्रांति सामने नजर आने लगी।
Q. 7 पूंजीवाद क्या है?
Ans पूंजीवाद एक ऐसी राजनीतिक आर्थिक व्यवस्था है, जिसमें निजी संपत्ति तथा निजी लाभ की अवधारणा को मान्यता दी जाती है । यह सार्वजनिक क्षेत्र में विस्तार एवं आर्थिक गतिविधियों में सरकारी हस्तक्षेप का विरोध करती है । उसे पूंजीवादी कहते हैं। पूंजीवादी के प्रवर्तक अमेरिका को माना जाता है।
अर्थात पूंजीवादी सबसे पहले अमेरिका में ही लागू हुआ था।
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Class 10 history chapter 1 यूरोप में राष्ट्रवाद Nationalism in Europe