BA 1st Sem Hindi MJC 1 Viral Questions | Hindi MJC1 Sem 1st Download Question Pepper | lnmu 1st Sem Exam 2024-28
नमस्कार साथियों अगर आपको आज परीक्षा देने जा रहे हैं, और आपका मेजर विषय हिंदी है| तो आप इस आर्टिकल को जरूर देखिएगा मेजर विषय के अलावा भी अगर आपका माइनर में भी अगर हिंदी रखा हुआ है | तो सब का सिलेबस Same होता है, तो आप इस आर्टिकल को देख सकते हैं इस आर्टिस्ट के लिए में हम आपको वह सभी प्रश्न देने वाले हैं,
जो आपकी परीक्षा में आ सकता है बिल्कुल उसे यहीं से प्रश्न आपके एग्जाम में पूछा जाएगा |नीचे प्रश्न दिया गया है | उसका उत्तर भी दिया गया और पीडीएफ भी आप इसका डाउनलोड कर सकते हैं|
Hindi MJC1 Sem 1st Download Question Pepper | lnmu 1st Sem Exam 2024-28
BA 1st Semester Exam Details & PDF Download Links-s
Exam Date | 16 January |
Shift Name | 2nd Shift |
Timing | 1; 00 – 5:00 शाम तक |
Join Now | |
Teligram | Join Now |
Hindi | Download PDF |
All Subject | Click Here |
Objective Question
1. निम्नलिखित वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर दें :
(क) हिन्दी साहित्य के प्रथम इतिहासकार कौन हैं ?
Ans- रामचंद्र शुक्ल
(ख) ‘हिन्दी साहित्य उद्भव और विकास’ के लेखक कौन हैं ?
<Ans;> हजारी प्रसाद द्विवेदी
(ग) हिन्दी साहित्य के आदिकाल को वीरगाथाकाल किसने कहा है ?
Ans – आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने
(घ) अमीर खुसरो किस काल के कवि हैं ?
Ans – दिल्ली सल्तनत काल का
(ङ) भक्तिकाल को ईसादूयत की देन किस साहित्येतिहासकार ने माना है
<Ans – आचार्य रामचंद्र शुक्ल
(च) हिन्दी साहित्य का इतिहास-दर्शन पुस्तक के लेखक कौन हैं?
Ans – नलिन विलोचन शर्मा
(छ) घनानन्द रीतिमुक्त कवि हैं या रीतिबद्ध ?
<>Ans -रीतिमुक्त
(ज) सिद्ध कवियों की संख्या कितनी है ?
<Ans – 84 ( 80 Male, 4 Female)
(झ) ‘संदेश-रासक’ के रचनाकार कौन हैं ?
हजारी प्रसाद द्विवेदी
(ञ) ‘अष्टछाप’ में कितने कवि सम्मिलित
थे ?
Ans – 8
खण्ड – ब
2. निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दें : दें:
<span;>(क) वीरगाथाकाल का संक्षिप्त परिचय दें।
(ख) संत काव्य परम्परा की विशेषताओं का संक्षिप्त परिचय दें।
(ग) ‘रीति’ शब्द का अर्थ स्पष्ट करें।
(घ) सूफी काव्य की सामान्य विशेषताएँ बतायें।
(ङ) भक्तिकाव्य की चार प्रमुख धाराओं का परिचय दें।
(च) रीति सिद्ध काव्य की विशेषताओं का परिचय दें।
खण्ड-सं
3. निम्नलिखित में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर दें:
(क) आदिकाल के नामकरण पर प्रकाश डालें।
(ख) भक्तिकाल के दार्शनिक आधारों का प्रतिपादन करें।
(ग) संत काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियों का विवेचन करें।
(घ) रीतिबद्ध और रीतिमुक्त काव्यधारा में अन्तर स्पष्ट करें।
(ङ) रीतिकाल की सामान्य प्रवृत्तियों का परिचय दें।
खण्ड- अ
1. निम्नलिखित वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर दें :
(i) ‘पृथ्वीराज रासो’ का कवि है-
Ans -चन्दबरदायी
(ii) आल्हखण्ड का कवि है-
Ans -जगनिक
(iii) ‘एक थाल मोती भरा।
सबके सिर पर औधा धरा।।’
किसकी पंक्ति है?
Ans ) खुसरो
iv) बीसलदेव रासो का कवि है-
Ans ) नरपति नाल्ह
(v) रसखान किस छन्द का कवि है ?
<span;>(<span;>Ans -<span;>) सवैया
(vi) सूरदास के गुरू कौन थे ?
Ans >श्री वल्लभाचार्य
(vii) पद्माकर की काव्य भाषा क्या है ?
Ans -ब्रज भाषा
(viii)’ चन्द्र वदनि मृग लोचनी बाबा कहि-कहि चाहिं।’ किसकी पंक्ति है
Ans – केशवदास
(ix) ‘नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास यदि काल।’ किसकी पंक्ति है?
Ans – बिहारी लाल
(x) हिन्दी साहित्य के इतिहास को शुक्ल जी ने कितने कालों में बाँटा है ?
<Ans-चार कालों में
खण्ड- ब
निम्नलिखित में से किन्हीं चार लघु-उत्तरीय प्रश्नों का उत्तर दें :
-. खुसरो की पहेलियाँ
सिद्ध साहित्य
तुलसी की लोक मंगल भावना
भक्ति साहित्य का सामाजिक आधार
रीति कालीन श्रृंगार वर्णन
रीति काल के प्रमुख कवि
खण्ड- स
निम्नलिखित में से किन्हीं तीन दीर्घ प्रश्नों का उत्तर दें :
1.आदिकाल के नामकरण की समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
2.हिन्दी साहित्य के इतिहास के काल विभाजन पर प्रकाश डालिए।
3 रासो साहित्य का परिचय दीजिए।
.4 .. भक्तिकालीन साहित्य की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
रीतिकाल का परिचय देते हुए उसके नामकरण पर प्रकाश डालिए।
Objective
भाग- ए वस्तुनिष्ठ प्रश्न
<span;>नोट : निम्नलिखित में से सही उत्तर चुनिए :
<span;>1. हिन्दी साहित्य के आरम्भिक काल को आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने क्या नाम दिया
Ans -) वीर गाथा काल
2.. हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा का सूत्रपात किसने किया ?
Ans – रामचन्द्र शुक्ल
3. रीतिकाल के किस कवि ने श्रृंगार, वीर और भवित रस की रचनाएँ लिखी
<Ans-भूषण
4. रीतिकाल की परम्परा में अंतिम श्रृंगारी कवि शुक्ल जी किसे मानते हैं ?
Ans -पद्माकर
5. जॉर्ज ग्रियर्सन ने ‘हिन्दी साहित्य का स्वर्ण युग’ किसे माना ?
<Ans- भक्ति काल
6.पृथ्वीराज रासो को आप किस वर्ग में रखेंगे ?
<Ans-वीर गाथा
7. जैन कवि शालिभद्र सूरि को हिन्दी का प्रथम कवि किसने माना है ?
ANS- गणपति चंद्रगुप्त ने
8. सिद्ध-साहित्य की भाषा कौन सी है ?
ANS-मगधी
9. ‘सरहपा’ ने किस सम्प्रदाय की स्थापना की थी ?
Ans- सहजिया संप्रदाय का
10. ‘भक्ति साहित्य-परम्परा’ के सर्वप्रथम दर्शन किसकी रचनाओं में होते हैं ?
Ans – कबीर दास
खण्ड- बी (लघु उत्तरीय प्रश्न)
नोट : निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
2. निर्गुण के स्वरूप पर प्रकाश डालिए।
3. जैन साहित्य की प्रमुख विशेषता बताइए।
4. सिद्धों की परम्परा पर प्रकाश डालिए।
5. रीतिकाल के नामकरण पर प्रकाश डालिए।
6. भक्तिकाल के उदय पर प्रकाश डालें।
1. ‘रीति’ शब्द से तात्पर्य
हिन्दी में रीति का प्रयोग साधारणतः लक्षण-ग्रंथों के लिए होता है। जिन ग्रंथों में काव्य के विभिन्न अंगों का लक्षण उदाहरण सहित विवेचन होता है, उन्हें रीति-ग्रंथ कहते हैं; और जिस वैज्ञानिक पद्धति पर, जिस विधान के अनुसार यह विवेचन होता है, उसे रीति-शास्त्र कहते हैं। संस्कृत में प्रायः इसे ही अलंकार-शास्त्र अथवा काव्य-शास्त्र कहा गया है। रीति का वहाँ एक विशेष अर्थ है और उसे एक विशेष सम्प्रदाय के लिए ही प्रयुक्त किया गया है। रीति का अर्थ वहाँ है विशिष्ट पद-रचना। रीति-सम्प्रदाय रचना अथवा बाह्याकार को ही काव्य का सर्वस्व मानकर चला है। संभव है आरम्भ में हिन्दी में ‘रीति’ शब्द का मूल संकेत रीति-सम्प्रदाय से ही लिया गया हो, परन्तु वास्तव में यहाँ इसका प्रयोग सर्वथा सामान्य एवं व्यापक अर्थ में ही हुआ है। यहाँ काव्य-रचना-सम्बन्धी नियमों के विधान को ही समग्रतः रीति नाम दे दिया गया है। जिस ग्रंथ में रचना-सम्बन्धी नियमों का विवेचन हो, वह रीति ग्रंथ; और जिस काव्य की रचना इन नियमों से आबद्ध हो, वह रीति-काव्य है। स्वभावतः इस काव्य में वस्तु की अपेक्षा रीति अथवा आकार की, आत्मा के उत्कर्ष की अपेक्षा शरीर के अलंकरण की प्रधानता मिलती है।
इस प्रकार ‘रीति’ शब्द का यह विशिष्ट प्रयोग हिन्दी का अपना प्रयोग है, और यह नया नहीं है। रीतिकाल के अनेक कवियों ने प्रायः आरम्भ से ही काव्य की रीति, अलंकार-रीति,
कविता-रीति आदि का प्रयोग स्पष्ट रूप से इसी अर्थ में किया है।
1. अपनी-अपनी रीति के काव्य और कवि-रीति ।
2. काव्य की रीति-सिखी सुकवीन सों, देखी सुनी बहु लोक की बातें।
3. कविता-रीति ‘कछु कहत हों व्यंग्य अर्थ चित्त लाय।
इसी प्रकार पद्माकर ने अपने ‘पद्माभरण’ में अलंकार-विवेचन को अलंकार-रीति कहा है। रीति से इनका तात्पर्य स्पष्टतः प्रकार प्रणाली से है।
हिन्दी साहित्य के इतिहास के 200 वर्ष (1700-1900) का समय रीतिकाल के नाम से जाना जाता है। रीतिकाल में श्रृंगार रस की प्रधानता थी किन्तु वीर रस एवं भक्ति रस सम्बन्धी रचनाएँ भी हुई, अतः इस काल को श्रृंगार काल भी कहा जाता है। बाबू श्यामसुन्दर दास ने हिन्दी साहित्य के उत्तर-मध्य काल में शृंगार रस की प्रचुरता एवं रीतिमुक्त कवियों का महत्व स्वीकार करते हुए इस काल का नामकरण रीतिकाल ही रखा है। हिन्दी साहित्य में सौन्दर्योपासक और प्रेम संबंधी कवियों का शीर्ष स्थान है।
2. वीर गाथा काल
दसवीं से चौदहवीं शताब्दी तक के साहित्य की प्रवृत्तियों का विवेचन करते हुए विद्वान् आलोचकों ने इस काल को विविध नामों से पुकारा है। यहाँ हम कुछ नामों पर विचार करेंगे। पं० रामचन्द्र शुक्ल ने इस काल का नामकरण इस काल की वीरगाथा प्रवृत्ति-मूलक विशेष रचनाओं को लक्ष्य करके वीरगाथाकाल किया हैं। शुक्ल जी के नामकरण के सम्बन्ध में तीन बातें मुख्य हैं-पहली, इस काल में वीरगाथात्मक ग्रन्थों का प्राचुर्य; दूसरी, अन्य ग्रन्थ जैन धर्म से सम्बन्धित होने के कारण नोटिस मात्र हैं तथा साहित्य की परिधि में नहीं आते; और तीसरी,
BEST Of Luck