सावधान – बथुआ के साग खाने से हो रहा है मौत।। डॉक्टर ने क्या दी सलाह जाने विस्तार से

सावधान – बथुआ के साग खाने से हो रहा है मौत।। डॉक्टर ने क्या दी सलाह जाने विस्तार से

मित्रों आजकल ठंड का मौसम चल रहा है ।ऐसे में बथुआ का साग या सरसों का साग अवश्य रूप से आप खाए होंगे या किसी को खाते हुए देखे होंगे । बता दें कि बथुआ एक खरीफ फसल है, यानी खरीफ फसल के साथ ये उगते होते हैं बीते कुछ दिन पहले से ऐसी मामला सामने आ रहे हैं। जिसमें बथुआ का बासी साग खाने से मौत हो रहा है । एक नहीं दो-दो मौत हुई है। विस्तार पूर्वक पोस्ट को पढ़िए और  बथुआ के कारण मौत हो रहा है या फिर  बथुआ के पीछे कोई और कारण है जानते हैं इस पोस्ट में

 

सावधान – बथुआ के साग खाने से हो रहा है मौत।। डॉक्टर ने क्या दी सलाह जाने विस्तार से

दरअसल में यह घटना समस्तीपुर जिला के पथरिया वार्ड 7 की है यानी बिभूतिपुर थाना क्षेत्र की घटना है, जिसमें 2 बच्चे बसिया शाखाएं जिसके वजह से उनका मौत हो गया ऐसा अभी तक माना जाता है। पूरी बात खुलासा हुआ या नहीं पोस्ट को अंत में पढ़ें। 

 

थाना क्षेत्र अंतर्गत पतैलिया वार्ड सात में दो बच्ची की मौत ने सभी के हृदय को झकझोर कर रख दिया है। इन देनों की मौत लगभग एक समान घटनाक्रम से होना खुद में सवाल है। इस घटना को फूड प्वाइजनिंग से जोड़कर देखा जा रहा हैं। दोनों बच्चों ने साथ-साथ शनिवार सुबह बासी बथुआ की शाक-रोटी, इसके बाद खिचड़ी और फिर चावल ” दाल खाया था। परिवार के अन्य सदस्य भी खिचड़ी और फिर चावल दाल खाए थे। मगर, इन्हें कुछ नहीं हुआ। यह कयास लगाया जा रहा है कि बथुआ का बासी साग फूड प्वाइजनिंग का कारण हो सकता है। बताया जाता है कि गांव के ही अजीत कुमार साह और रंजन देवी की दो पुत्रियों में मीठी कुमारी और अनुष्का कुमारी थी। विगत एक सप्ताह पूर्व मीठी कुमारी को सर्दी बुखार लगा। स्वजनों ने ग्रामीण चिकित्सक से उपचार करवाया तो सब कुछ सामान्य हो गया। सभी खेलकूद रहे थे। परिवार में हीं रह रहे रौशन साह और मीनाक्षी देवी की दो पुत्रियों में वैष्णवी कुमारी और सोनाक्षी कुमारी में वैष्णवी की मित्रता मीठी कुमारी के साथ ऐसी थी कि दोनों गले से लगकर खेलते भी थे। हल्की स- बुखार वैष्णवी को भी थी। मगर ग्रामीण स्तर पर इलाज के बाद वह भी ठीक थी। शुक्रवार संध्या इन दोनों के ह्रीं अलग-अलग घर में साग बनी थी। शनिवार सुबह करीब 8 बजे दोनों बच्ची

मौत की घटना को फूड प्वाइजनिंग से जोड़कर देखा जा रहा

एक सप्ताह पूर्व मीठी कुमारी को लगा था सदी बुखार

विषाक्त भोजन मौत का कारण हो सकता है। इसके पीछे कारण यह है कि परिवार के सभी सदस्यों की अलग- अलग शारीरिक क्षमता है। यह संभव है कि विषाक्त भोजन पचाने की क्षमता मासूम बच्ची में नहीं रही होगी। अत्यपरीक्षण नहीं कराया जा सका। इसलिए सर्दी बुखार समेत अन्य लक्षणों पर भी विश्लेषण की आवश्यकता है। डॉ. अभय शंकर ठाकुर, नारी चिकित्सा पदाधिकारी

ने बासी बथुआ का शाक-रोटी, उसके बाद करीब 9 बजे खिचड़ी और फिर 11 बजे चावल दाल खाया था। भोजन करने के कुछ देर बाद खेलते हुए वैष्णवी गिर पड़ी और जमीन पर मुँह रगड़ने लगी। स्वजनों ने उसे गोद में उठाया। कुछ देर बाद उसका शरीर ढीला पड़ने लग तो लोग ग्रामीण चिकित्सक के पास ले गए। तत्काल इलाज के बाद झाड़-फूंक करवाने किसी भगत के भी ले गए। तकरीबन ढाई घंटे समय बीत गए। उसके बाद लकवा रोग जैसे लक्षण प्रतीत होने पर चकवाखर ले जाने का सुझाव मिला। उसे इस बीच मीठी कुमारी के बारे में जानकारी मिली कि उसके साथ भी वैसा हीं हो रहा है, जैसा कि वैष्णवी को स्वजन उसे भी रहे। झाड़-फूंक करवाने ले गए। तब तक

बच्ची की मौत पर रोते-बिलखते स्वजनजागरण

वैष्णवी को बाइक पर बिठाकर स्वजन नरहन ले गए। इसके पीछे किराए की गाड़ी से मीठी को चकवाखर ले जाया जाने लगा। नरहन में दोनों मिले और एक चिकित्सक से सूई दिलवाने के बाद वैष्णवी को चकवाखर ले जाया गया। वहाँ उसकी बुखार थोड़ी कम हुई। इसके बाद बुखार तेज हो गई और उसकी मौत रात्रि करीब 12 बजे हो गई। इसके बाद स्वजन उसे गाड़ी पर लेकर घर लौट आए। मीठी को समस्तीपुर के एक निजी क्लिनिक में भर्ती कराया गया। जहां उसे चिकित्सकों ने ऑक्सीजन पर रखी लगभग दो घंटे बाद उसकी भी मौत हो गई। चमकी बुखार या लकवा रोग से बच्ची की मौत के भी कयास लगाए जा

शाक-रोटी, खिचड़ी और चावल दाल

पर माथापच्चीः फूड प्वाइजनिंग की वजह से दोनों मासूम बच्ची की मौत को लेकर लोगों के बीच तरह-तरह की चर्चा व्याप्त है। मगर, सवाल यह भी है कि किसमें फूड प्वाजन की संभावना अधिक है ? चावल दाल घरेलू होने और लगातार घर के भीतर भोजन बनने व खाने से संभावना कम प्रतीत होती है। चावल- बल की भी स्थिति लगभग एक जैसी हीं दिख रही। मगर बासी बथुआ के शाक-रोटी पर इसकी संभावना अधिक दिख रही। हालांकि, लोग ठंड के मौसम में बच्चों की देखरेख के अभाव को भी चर्चे में शामिल कर रहे। इस संबंध में चिकित्सकों की भी अपनी राय है।

 

 

बथुआ का साग क्यों नहीं खाना चाहिए;- 

वैज्ञानिक रूप से यह प्रमाण अभी तक नहीं हो पाया है कि बथुआ के साथ खाने से व्यक्ति की मौत हो सकती है लेकिन गलत तरीके से खाना मौत का कारण अवश्य बन सकता है ऐसे में बता दे कि अगर आप बथुआ का साग बासी खाते हैं, तो मौत की संभावना या कई बीमारियों की संभावना हो सकती है ऐसा डॉक्टर की सलाह है

 

बथुआ का साग माना जा रहा फूड प्वाइजन ;

बथुआ का साग फुटबॉल उस समय हो जाता है जब उसे गलत तरीका से बनाया जाता है या फिर गलत तरीके से प्रयोग में लाया जाता है। जैसे कोई भी साग हो या भोज्य पदार्थ बासी ना खाएं । और जहां तहां रखे हुए भोजन ना करें । जिससे इस पर बैठे जीवाणु विषाणु अन्य  सूक्ष्मजीव आपके लिए घातक सिद्ध हो सकता है

अब तक इतने लोगों की मौत ;-

इसके संबंध में मामला अभी केवल एक ही परिवार से 2 मौत का आया है आगे भी यह सिलसिला जारी है या नहीं अपडेट जल्द ही मिलेगा।

 

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