Hindi 10th, subjective chapter-9 हमारी नींद’
लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर |
1. ‘हमारी नींद’ शीर्षक कविता किस कविता संकलन से ली गई है ?
उत्तर— हमारी नींद कविता ‘दुष्चक्र में स्रष्टा’ से संकलित है। इसके लेखक वीरेन डंगवाल हैं।
2. यथार्थ को डंगवाल किस प्रकार प्रस्तुत करते हैं?
उत्तर— यथार्थ को डंगवाल बिलकुल नये अंदाज में प्रस्तुत करते हैं।
3. वीरेन डंगवाल कैसे कवि हैं?
उत्तर- वीरेन डंगवाल जनवादी परिवर्तन के पक्षधर प्रमुख सामयिक कवि हैं।
4. ‘हमारी नींद’ कविता का संदेश क्या है?
‘Ans-हमारी नींद’ कविता का संदेश है—संघर्ष ही जीवन है।
5. ‘हमारी नींद’ कविता किस प्रकार के जीवन का चित्रण
करती है? उत्तर— इस कविता में समाज के सुविधा सम्पन्न खुशहाल लोगों के परीक्ष अत्याचारों का उदाहरण पेश किया गया है। गरीब जनता अंधविश्वासों में डूबी संघर्षमय जीवन जीती रहे निरंतर आगे बढ़ने वाला हठीला जीवन-व्यापार चलता रहे और सुखी लोग सुख में डूबे रहें।
6. ‘हमारी नींद’ कविता में कवि किन अत्याचारियों का और क्यों जिक्र करता है?
उत्तर- कवि ने अपनी काव्य-रचना ‘हमारी नींद’ में अनेक अत्याचारियों का उल्लेख किया है। उसकी दृष्टि में वे भी अत्याचारी हैं जो जीवन की, यों ही, अनेक समस्याओं को जन्म देते हैं। इनके बाद कवि उन लोगों को . अत्याचारी कहता है, जो तरह-तरह के उन्माद में दंगे करते – कराते हैं। इतना ही नहीं, अपने विरोधी के घर-द्वार को आग के हवाले करते हैं। फिर वि कहता है कि सत्ता या साम्राज्य – विस्तार के लिए नाना प्रकार के बमों का इस्तेमाल कर लोगों का सर्वनाश करनेवाले भी अत्याचारी ही हैं। इनके अलावा कवि उन लोगों को भी अत्याचारियों में शुमार करता है जो अंध-विश्वासों को जन्म देते और गरीबों की धार्मिक भावनाओं का शोषण करते हैं।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न |
Long type question
‘हमारी नींद‘
1. ‘हमारी नींद’ कविता का संदेश क्या हैं? या, हमारी नींद शीर्षक कविता की सार्थकता बताएँ ।
उत्तर- ‘हमारी नींद’ कविता के माध्यम से कवि हमें बताता है कि सृष्टि अपना संघर्ष उस समय भी जारी रखती है, जब हम सोते रहते हैं वादी अपनी सुविधा के लिए नाना प्रकार के कार्य करते हैं, यहाँ तक कि मानव को हानि पहुँचाने से, नरसंहार करने से भी बाज नहीं आते। भाग्य के नाम पर वे अपना धंधा चलाते हैं। धर्म के नाम पर संघर्ष से लोगों को विरक्त -करते हैं। लेकिन कुछ लोग हैं जो नहीं झुकते । विपरीत स्थितियों में भी वे सच कहना और उचित कहना जारी रखते हैं। यही जीवन विकास का सूश है-संघर्ष ही जीवन है।
2. गरीब बस्तियों में भी
धमाके से हुआ देवी जागरण लाउडस्पीकर पर
प्रस्तुत काव्यांश का भाव स्पष्ट कीजिए। अथवा, डंगवाल के अनुसार धमाके से कहाँ ‘देवी जागरण’ हुआ?
उत्तर—’ हमारी नींद’ शीर्षक कविता के प्रस्तुत काव्यांश में कवि वीरेन डंगवाल ने गरीबी में जी रहे लोगों के जीवन के विरोधाभास को प्रकट किया है। गरीब मानते हैं कि गरीबी ईश्वर की, दैवी देन है, फिर भी धार्मिक ढोंगियों के चक्कर में कि ढोल-झाल बजाकर देवी के गुनगान करने से उनका उद्धार होगा, वे अपना पेट काट, लाउडस्पीकर पर रात-रात भर जागकर प्रार्थना करते हैं। वे भोले-भाले यह नहीं समझते कि गीत और ढोल झाल से जीवन बदलने वाला नहीं ये सब चोंचले हैं, धर्म-ध्वजियों के कवि ने यहाँ धार्मिक कर्म-कांडों पर व्यंग्य किया है।
3. ‘हमारी नींद’ कविता का सारांश लिखिए।
या, ‘हमारी नींद’ कविता में कवि वीरेन डंगवाल के तथ्य को स्पष्ट कीजिए।
या, ‘हमारी नींद’ में कवि ने विभिन्न चित्रों के माध्यम से जीवन संघर्ष की महत्ता प्रतिपादित की है। कैसे?
उत्तर – समसामयिक कवि वीरेन डंगवाल ने ‘हमारी नींद’ कविता में सुविधाभोगी जीवन और हमारी बेपरवाही के बावजूद बेहतर जिन्दगी के लिए चलने वाले संघर्ष का चित्रण बड़ी स्पष्टता से किया है।
कवि कहता है कि धरती के नीचे बीज अंकुराया और उसने अपने ऊपर की धरती को दरकाया और खुली हवा में उसने साँस ली। पेड़ ने भी अपना कद ऊँचा किया। प्रकृति के इस क्रम के बाद कवि समाज की ओर निहारता है। मक्खियों की तरह लोग जी रहे हैं और बच्चे उत्पन्न कर रहे हैं। नतीजा है कि जीवन की इस अफरा-तफरी में दंगे हो रहे हैं, कुछ लोग आगजनी कर रहे हैं, बम फोड़ रहे हैं ताकि अपने लिए सुविधा के सामान जुटा सकें। कुछ की जिन्दगी जाती है तो जाए। हमें क्या लेना-देना? से कुछ गरीब लोग हैं जो गरीबी को अपना नसीब मान चुके हैं, वे गरीबी छुटकारा पाने के लिए लड़ने की अपेक्षा अपनी गाढ़ी कमाई से लाउडस्पीकर लगाकर, रात-रात भर देवी के भजन गा रहे हैं। वे इस भ्रम में हैं कि देवी पूजा से उनका जीवन बदल जाएगा। दरअसल भाग्य, पूजा-पाठ समाज के दुश्मनों के विछाए हुए जाल हैं ताकि ये अत्याचारी आनन्द-सुख सकें। किन्तु जीवन ऐसा है कि उनके लाख चाहने के बाद भी रुकता है। उपेक्षावृत्ति से उस पर कोई फर्क नहीं पड़ता। भोग नहीं
कवि कहता है कि लाख कोशिशों के बावजूद कुछ लोग हैं जो अनाचार के आगे सिर नहीं झुकाते। वे दृढ़तापूर्वक अनुचित कार्य करने से मना कर देते हैं। उनकी ओर से आँख बन्द कर लेने पर भी वे रुकते नहीं। यह संघर्ष ही उनकी ताकत है, मानव के विकास की यही कहानी है।
4. हमारी नींद के बावजूद – सप्रसंग व्याख्या कीजिए ।
उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति हमारी पाठ्य पुस्तक ‘गोधूलि, भाग-2 में कवि वीरेन डंगवाल की कविता ‘हमारी नींद’ से उद्धृत है। इस पंक्ति के पूर्व, कविता के अनेक चरणों में, कवि ने जीवन की विकास-प्रक्रिया के अनेक चित्र उतारे हैं और बताया कि कैसे जीवन – क्रम आगे बढ़ता है— अंकुर छोटा होने पर भी संघर्ष कर मिट्टी की छाती फोड़ ऊपर आता है, हमारे अनजाने में ही यह प्रक्रिया चलती है, अत्याचारी अत्याचार करते हैं, दंगे करते – कराते हैं, विरोधि यों के घर जलाते हैं, बम विस्फोट से नर-संहार करते हैं, धर्म छलावा करते हैं, किन्तु यह जीवन समाप्त नहीं होता, बढ़ता जाता है। अत्याचारियों के लाख प्रयत्न और हमारी बेपरवाहियों के बावजूद अत्याचार का विरोध करने का सिलसिला रुकता नहीं ।
5. और लोग भी हैं, कई लोग हैं अभी भी जो भूले नहीं करना साफ और मजबूत इनकार |प्रस्तुत पद्यांश में कवि के कथ्य को स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – ‘ हमारी नींद’ शीर्षक कविता के प्रस्तुत पद्यांश में कवि वीरेन डंगवाल का कहना है कि एक-दो नहीं, अनेक लोग अभी भी हैं जो अनुचित बात को स्वीकार नहीं करते, अत्याचारियों के आगे नहीं झुकते, बड़ी बहादुरी से अन्याय सहन करने से साफ-साफ इनकार करते हैं और डटे रहते हैं, अपने प्राणों की कीमत देकर भी । वस्तुतः कवि कहना चाहता है कि अन्याय और अत्याचार के आगे झुकना नहीं चाहिए। साफ-साफ इनकार करने की हिम्मत रखनी चाहिए। यही मानव की शक्ति है। दरअसल, संघर्ष ही जिन्दगी है । कुछ पल के सुख – मौज के लिए संघर्ष से मुख नहीं मोड़ना चाहिए।
Hindi 10th, subjective chapter-9 हमारी नींद’
Daily live | Link-1 Link- 2 |
Join PDF group | Click Here |
All subject | Click Here |