Hindi 10th, subjective chapter-6 बहादुर
लघु उत्तरीय
लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर |
Q)1 बहादुर के चले जाने पर सबको पछतावा क्यों होता है?
उत्तर – बहादुर की तरह कर्मठ, ईमानदार नौकर खोजने पर भी न मिलने
के कारण और झूठ-मूठ उस पर चोरी का इल्जाम लगाने के चलते घर के सब व्यक्ति को पछतावा होता है।
2. अपने शब्दों पहली बार दिखे बहादुर का वर्णन करें।
उत्तर – बहादुर ठिगने कद का चकइट लड़का था। रंग गोरा था और चिपटा मुँह । वह अपनी आँखें बुरी तरह मटका रहा था। उसने सफेद निकर, आधी बाँह की सफेद कमीज और भूरे रंग का पुराना जूता पहना हुआ था । उसके गले में स्काउटों जैसा एक रुमाल बाँधा था। पहली बार में वह ऐसा ही दिखा था।
3. लेखक को क्यों लगता है कि नौकर रखना बहुत जरूरी हो गया था ?
उत्तर – लेखक के सभी भाइयों, रिश्तेदारों के यहाँ नौकर थे किन्तु लेखक के यहाँ नौकर नहीं था। जब बहन की शादी में लेखक घर गया तो वहाँ नौकरों का सुख देखा । लेखक की दोनों भाभियाँ रानी की तरह चारपाई पर बैठकर दिन काटती थीं। जबकि निर्मला ( लेखक की पत्नी) को सुबह-शाम खटना पड़ता था । लेखक घर की स्थिति से ईर्ष्या करने लगे। नौकर के लिए बार-बार निर्मला की डाँट और झिड़की सुननी पड़ती थी । इसी कारण नौकर रखना लेखक को जरूरी हो गया था ।
4.किन कारणों से बहादुर ने एक दिन लेखक का घर छोड़ दिया?
उत्तर- दिन-रात लेखक के पुत्र द्वारा पिटाई, मालकिन की तमाचाबाजी और अन्ततः चोरी के झूठे आरोप के कारण बहादुर ने लेखक का घर छोड़ दिया ।
5.बहादुर अपने घर से क्यों भागा था ?
उत्तर—बहादुर अपनी माँ की अपेक्षा और प्रताड़ना का शिकार इसलिए बहादुर अपने घर से भागा था ।
Long type question
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर |
1. बहादुर के आने से लेखक के घर और परिवार के सदस्यों पर कैसा प्रभाव पड़ा ?
उत्तर- बहादुर के आने से लेखक के घर के और परिवार के लोगों के काम कम हो गए। घर खूब साफ-सुथरा, चिकना रहने लगा। कथाकार की पत्नी निर्मला की तबीयत काफी सुधर गई। घर का कोई व्यक्ति अब खर न उसकाता था । मामूली से मामूली काम के लिए लोग बहादुर को आवाज देते – पानी लाने से लेकर गिरी पेंसिल उठाने तक का काम भी बहादुर करने लगा। कथाकार का बड़ा बेटा किशोर तो अन्य काम कराने के बाद रात को बहादुर से मुक्की भी लगवाने लगा ।
2. ‘बहादुर’ कहानी का सारांश लिखिए। या ‘बहादुर’ कहानी एक नये नायक को प्रतिष्ठित करती है। कैसे?
या ‘महादुर’ एक कसकती अन्तर्व्यथा की कहानी है। स्पष्ट कीजिए। था, ‘बहादुर’ कहानी छोटा मुँह बड़ी बात कहती है कैसे?
उत्तर कथाकार अपनी बहन के विवाह में घर गया तो भाभियों के आगे-पीछे नौकरों की भीड़ और पत्नी की खटनी देख ईर्ष्या हुई। पत्नी निर्मला भी ‘नौकर’ की रट लगाने लगी। अंत में साले साहब एक नेपाली ले आए। नाम दिल बहादुर ।
बहादुर के आने पर मुहल्ले वालों पर रौब जमा बहादुर ने भी इतनी खूबी से काम संभाला कि अब हर काम के लिए सभी उसी पर निर्भर हो गए। बेटे किशोर ने न सिर्फ अपने सभी काम बहादुर पर छोड़ दिए अपितु जरा सी चूक पर मार-पीट करने लगा। पत्नी ने भी पड़ोसियों के उकसावे में आकार उसकी रोटी सेकनी बंद कर दी और हाथ भी चलाने लगी।
एक दिन मेहमान आए। उनकी पत्नी ने कहा अभी-अभी रुपये रखे थे, मिल नहीं रहे हैं। बहादुर आया था, तत्काल चला गया। बहादुर से पूछ-ताछ शुरू हुई। उसने कहा कि न रुपये देखें, न लिया। कथाकार ने भी पूछा और मेहमान ने भी अलग ले जाकर पूछा, पुलिस में देने की धमकी दी लेकिन बहादुर मुकरता रहा। अंत में कथाकार ने झल्लाकर एक तमाचा जड़ दिया। बहादुर रोने लगा। इसके बाद तो जैसे सभी उसके पीछे पड़ गए।
एक दिन कथाकार जंब घर आए तो मालूम हुआ कि बहादुर चला गया, ताज्जुब तो तब हुआ जब पाया गया कि बहादुर यहाँ का कुछ भी लेकर नहीं गया बल्कि अपने सामान भी छोड़ गया है। लेखक व्यथित हो गया- चोरी का आरोपी न मालिक का कोई सामान ले गया, न अपना । इस प्रकार, हम पाते हैं कि ‘बहादुर’ कहानी छोटा मुँह बड़ी बात कहती है, क्योंकि नौकर’ जैसे आदमी को नायकत्व प्रदान करती है और कथाकार के अन्तर की व्यथा को अभिव्यक्त करती है।
3. बहादुर का चरित्र चित्रण कीजिए ।
अथवा, किन कारणों से बहादुर ने एक दिन लेखक का घर छोड़ दिया।
उत्तर ‘बहादुर’ कहानी का नायक है उम्र तेरह चौदह है। ठिगना कद, गोरा – शरीर और चपटे मुँह वाला बहादुर अपनी माँ की उपेक्षा और प्रताड़ना का शिकार है। नेपाल से भागकर नौकरी करता है। अपने काम में चुस्त-दुरुस्त और फुर्तीला है। मार खाकर दुखी तो होता है किन्तु फिर उसे भूलकर काम पर लग जाता है। उसमें मानवीय भावनाएँ हैं, मालकिन निर्मला की सेहत का ख्याल रखता है, उन्हें कम काम करने को कहता है वह अपने आप खुश रहता है और रात को सोने के पहले धीरे-धीरे गुनगुनाता है। सबसे बड़ी बात है कि वह स्वाभिमानी और ईमादार है जब उस पर चोरी का आरोप लगता है तो सहन नहीं कर पाता और काम छोड़ कर चला जाता है।
4. किशोर और निर्मला का चरित्र चित्रण कीजिए।
उत्तर- किशोर कथाकार का बड़ा बेटा है और रोब दाब से रहने का कायल आत्म-निर्भर नहीं है। अपने सभी काम बहादुर से करवाता है – साइकिल की सफाई से लेकर कपड़ा धुलाई और उनकी इस्त्री कराई तक रात को उसे – मुक्की भी लगनी चाहिए और तेल मालिश भी होनी चाहिए। वह गुस्सैल भी है। अपने काम में जरा सी देर होने पर उबल जाता है और गाली-गलीज पर उतर आता है।
इस प्रकार किशोर निर्भर, काहिल और गुस्सैल लड़का है। निर्मला निर्मला निम्न मध्यम वर्ग के कथाकार की धर्मपत्नी है। वह अपनी
जेठानियों के आगे-पीछे नौकरों को देखती है तो उसमें हीन भावना उत्पन्न होती है और ‘नौकर’ की रट लगाती है जब नौकर आ जाता है तो पास पड़ोस में
इज्जत ‘नौकरवाली’ होने का रौब दिखाती है, वह जल्दी उकसावे में आ जाती है और पड़ोसन के कहने पर बहादुर की रोटियाँ सेंकना बन्द कर देती है। इतना ही नहीं वह नौकर पर हाथ भी झाड़ती है। वह बहादुर की कोमल भावनाओं की नहीं करती। वह थोड़ी दब्यू भी है क्योंकि जब किशोर बहादुर को बेरहमी से पीटता है तो केवल ‘हाँ-हीं’ करके रह जाती है। वस्तुतः निर्मला निम्नमध्यवर्गीय हीनभावना से ग्रस्त, दब्बू नारी है।
5. बहादुर पर ही चोरी का आरोप क्यों लगाया जाता है और आरोप का क्या असर पड़ता है?
उत्तर-हादुर घर का नौकर था और वह भी नेपाली यहाँ तो कोई उसका अपना नहीं था इसलिए उस पर चारों का आरोप लगाना आसान था क्योंकि उसकी ओर से कोई सफाई देने या पक्ष लेनेवाला नहीं था। यही कारण था कि कथाकार के ससुराल पक्ष से आए दम्पत्ति ने बहादुर पर रुपयों की चोरी का आरोप लगाया, उसे जेल भेजने की धमकियाँ दी गईं और खुद कथाकार ने भी उसे थप्पड़ मारा। बहादुर काम की कोताही का आरोप तो सह कर मार खा लेता और फिर रो-धोकर काम करने लगता, किन्तु चोरी का आरोप वह सह नहीं सका और कथाकार का घर छोड़कर चला गया।
6. ‘बहादुर’ कहानी के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए । लेखक ने इसका शीर्षक ‘नौकर’ क्यों नहीं रखा?
उत्तर- किसी रचना के शीर्षक के संबंध में मान्य सिद्धान्त यह है कि उसे रचना के मूल भाव का संवाहक, आकर्षक और संक्षिप्त अर्थात् छोटा होना चाहिए। इस दृष्टि से विचार करने पर हम पाते हैं कि कहानी में एक बहादुर नामक व्यक्ति के कर्म, गुण और जीवन की कथा कही गई है। अतएव ‘बहादुर’ शीर्षक उचित है। यह नाम आकर्षक भी है- कौन है बहादुर ? कोई सेनानायक, कोई पराक्रमी या फिर कोई तीसमार खाँ तो नहीं? अंततः यह इतना संक्षिप्त या छोटा है कि इससे छोटा कठिन है। इस दृष्टि से कहानी का शीर्षक ‘बहादुर’ सर्वथा उचित है।
कथाकार ने अपनी प्रस्तुत रचना का नामकरण ‘नौकर’ इसलिए नहीं किया कि ‘नौकर’ का संबंध सिर्फ काम करनेवाले से होता है, उससे कोई लगाव नहीं होता। किन्तु ‘बहादुर’ से कथाकार का संबंध सिर्फ मालिक और नौकर का नहीं था, अपितु मन से भी था। उससे भीतर ही भीतर प्रेम था। यही कारण था कि उसने इस रचना का शीर्षक ‘बहादुर’ रखा है, नौकर नहीं ।
7. अगर वह कुछ चुराकर ले गया होता तो संतोष हो जाता-संप्रसंग व्याख्या करें।
उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति ‘गोधूलि ‘ भाग -2 में संगृहीत, सजग कथाकार अमरकांत की कहानी, ‘बहादुर’ से उद्धृत है। यह पंक्ति उस प्रसंग की है जब बहादुर पर चोरी का इल्जाम लगाए जाने और कथाकार द्वारा पीटे जाने पर वह चुपचाप चला जाता है। कथाकार पाता है कि उन लोगों ने उसे चोर कहा, शक किया, किन्तु बहादुर तो अपने सामान भी छोड़कर चला गया। कथाकार को अपनी गलती का अनुभव होता है। अगर कुछ चुराकर ले जाता तो इन लोगों के आरोप की पुष्टि होती और संतोष होता कि मार-पीट उचित ही की गई लेकिन हुआ सब कुछ उला। इस पंक्ति में लेखक की अपराध-भावना की अभिव्यक्ति है।
8. उसकी हँसी बड़ी कोमल और मीठी थी, जैसे फूल की पंखुड़ियाँ बिखर गई हों – सप्रसंग व्याख्या करें।
उत्तर- प्रस्तुत पंक्ति हमारी पाठ्य पुस्तक ‘गोधूलि भाग-2 में अमरकांत
की कहानी ‘बहादुर’ से उद्धत है। इस पंक्ति में लेखक नायक ‘बहादुर’ की हंसी की विशेषताओं का उल्लेख करते हुए कहता है कि उसकी हँसी निर्मल और लुभावनी थी। जैसे फूल की पंखुड़ियाँ बिखर कर सुगंध और आनन्द देती हैं, वैसे ही बहादुर की हँसी भी पुलकित करने वाली थी। लेखक ने हँसी की तुलना फूल की पंखुड़ियों से की है।
Hindi 10th, subjective chapter-6 बहादुर