कक्षा 12वीं का इतिहास वायरल प्रश्न 2023 पीडीएफ डाउनलोड करें
इंटर मैट्रिक बोर्ड परीक्षा 2023-24 के लिए बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की ओर से परीक्षा रूटीन सहित विस्तृत परीक्षा भी जारी कर चुके हैं, बात कर सकते हैं, जिसका प्रश्न सटीक कहां से पूछा जाएगा, तो प्रश्न जो इस लेख में बताया गया है इसमें से निश्चित रूप से पूछेगा जो भी प्रश्न है वह कला वाले छात्रों के लिए रामबाण सिद्ध होने वाला अर्थात यह पूछा जाएगा।
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दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
Q. 1. अल-बिरूनी और किताब-उल-हिन्द पर एक लेख लिखें ।
उत्तर. अल-बिरूनी उज्बेकिस्तान का एक प्रसिद्ध यात्री था जो 11वीं शताब्दी में भारत आया था
था। वह ख्वारिज्म 973 ई० में जन्मा और अच्छी शिक्षा प्राप्त की। उसे अनेक भाषाओं यथा-फारसी, हिब्रू, संस्कृत और सीरियाई का ज्ञान था। वह यूनानी दार्शनिक प्लेटो और अन्यों से पर्याप्त प्रभावित था। गजनी शासक सुल्तान महमूद ने 1017 में ख्वारिज्म पर आक्रमण किया अल-विरूनी हि कई विद्वानों और कवियों को अपनी राजधानी लाया। वह 70 वर्ष की आयु तक जीवित रहा और यहीं पर निवास किया। गजनी में रहकर उसने भारत के विषय में ज्ञान प्राप्त किया। उसने तथा भारत के अन्य कई भागों की यात्रा की। उसके समय अरबी वृतांत लिखे जाने लगे थे। अल बिरूनी ने भी अपनी पुस्तक किताब उलू-हिन्द अरबी में लिखा । उसमें कुल 80 अध्याय हैं। जिसमें मुख्य विषय धर्म और दर्शन, त्यौहार, खगोल विज्ञान, रोमिया रीति-रिवाज तथा प्रथायें, सामाजिक जीवन, माप-तौल मापन विधियाँ, मूर्तिकला, कानून, मापतेन विज्ञान आदि है। उसने प्रत्येक अध्याय में एक विशिष्ट शैली का प्रयोग किया है। प्रारंभ में एक प्रश्न, फिर संस्कृतवादी परम्पराओं पर आधारित वर्णन और अंत में अन्य संस्कृतियों के साथ एक तुलना की है। वह गणित का भी प्रेमी था। उसने अपने लेखन में अरबी भाषा का प्रयोग किया है और उसकी कृतियाँ
उपमहाद्वीप के सीमांत क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए समर्पित है।
Q. 2. ‘इब्न बतूता का रिह्ला’ पर एक टिप्पणी लिखें।
Ans. दूसरा प्रसिद्ध यात्री इब्न बतूता था जो मोरक्को से 14वीं शताब्दी में भारत आया था। उसके यात्रा वृत्तांत को ‘रिहला’ कहा गया है जो अरबी में लिखा गया। इसमें भारतीय उप महाद्वीप के सामाजिक तथा सांस्कृतिक जीवन के विषय में सुन्दर झांकी मिलती है। वह एक सम्मानित और सुशिक्षित परिवार से संबंधित था और अल्पायु में ही साहित्यिक शास्त्रीय शिक्षा प्राप्त कर लिया था। वह पुस्तकीय ज्ञान की अपेक्षा यात्रा से प्राप्त ज्ञान को विशेष महत्व देता था इसलिए विभिन्न देशों की लम्बी यात्रायें की। उसने मक्का (तीर्थयात्रा), सीरिया, इराक, फारस, यमन, ओमान तथा पूर्वी अफ्रीका आदि कई तटीय व्यापारिक बंदरगाहों की यात्रा के पश्चात् 1332-33 में भारत की यात्रा की वह मध्य एशिया के रास्ते सिंध पहुँचा। वह दिल्ली के सुल्तान मुहम्मद-बिन-तुगलक से प्रभावित था। इसलिए उसने मुल्तान और कच्छ के रास्ते होकर दिल्ली की ओर प्रस्थान किया। कई वर्षों तक इस पद पर कार्य करने के पश्चात् उसने सुल्तान का विश्वास खो दिया और उसे सुल्तान ने उसकी विद्धता से प्रभावित होकर उसे दिल्ली का काजी या न्यायाधीश नियुक्त किया। जेल में भी जाना पड़ा। बाद में सुल्तान की गलतफहमी दूर हो गई और उसे राजकीय सेवा में
Q.3. इब्नबतूता का परिचय दें।
Ans. दिल्ली में इब्न- बतूता के आगमन के समय सम्पूर्ण उपमहाद्वीप एक वैश्विक संचार तंत्र से जुड़ गया था। जो पूर्व में चीन से लेकर पश्चिम में उत्तर-पश्चिमी अफ्रीका तथा यूरोप तक विस्तृत था। प्राप्त स्रोतों से ज्ञात होता है कि इब्न बतूता ने स्वयं इन क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर यात्रा की और कई वस्तुओं और लोगों के सम्पर्क में आया। उसने शहरी केन्द्रों की सार्वभौमिक संस्कृति का उपयोग किया जहाँ अरबी, फारसी, तुर्की तथा अन्य भाषायें बोलने वाले लोग विचारों, सूचनाओं तथा उपाख्यानों का आदान-प्रदान करते थे। इससे श्रोता और पाठक सुदूर देशों के बारे में जान सकें।
इब्नबतूता ने अपरिचित पाठकों को दो पवित्र वस्तुओं पान और नारियल के विषय में जानकारी दी। यह उसके चित्र का अद्भूत नमूना है।
इब्नबतूता ने भारतीय उपमहाद्वीप के नगरों और शहरों को ध्यान से देखा और बताया कि लोगों के पास आवश्यक इच्छा, साधन तथा कौशल था। इन शहरों की जनसंख्या घनी थी और -लोग सम्पन्न थे । यहाँ युद्धों का अभियान चलता रहता था जिससे विनाश होता था । यहाँ सड़कें सुन्दर और बाजार रंगीन थे जिसमें काफी चहल-पहल थी । इब्नबतूता ने दिल्ली को सबसे बड़ा और विशाल जनसंख्या वाला शहर बताया है। दौलताबाद (महाराष्ट्र भी इसी के समान था ) ।
उसके अनुसार बाजार आर्थिक विनिमय के साथ सामाजिक तथा आर्थिक गतिविधियों के केन्द्र थे। वहाँ मंदिर और मस्जिद होते थे। गाँवों का अधिशेष शहरों में आता था। भारत के कृषि भूमि की मिट्टी उपजाऊ थी जिसमें उत्पादन खूब होता था और एक ही खेत में साल में दो बार खेती होती थी। भारतीय उपमहाद्वीप का व्यापार एवं वाणिज्य अंतर एशियाई तंत्र से जुड़ा हुआ था। इससे भारतीय व्यापारियों एवं शिल्पकारों को पर्याप्त लाभ होता था। कपड़े विशेष रूप से मलमल,रेशम जरी तथा साटन का खूब निर्यात होता था।
Q.4. बर्नियर के विचारों से अपना परिचय दें।
Ans. बर्नियर एक भिन्न बुद्धिजीवी परम्परा से संबंधित था। उसने भारत में जो कुछ देखा, भिन्नता को उजागर करने के प्रति अधिक सक्रिय था। उसका विचार नीति-निर्माताओं तथा वह उसकी सामान्य रूप से यूरोप और विशेष रूप से फ्रांस में व्याप्त स्थितियों से तुलना तथा आलोचनात्मक अंतर्दृष्टि तथा गहन चिंतन के लिए उल्लेखनीय है। उसने वृत्तांत में मुगलों के इतिहास को एक प्रकार के वैश्विक ढाँचे में स्थापित करने का प्रयास किया गया है। उसका बुद्धिजीवी वर्ग को प्रभावित करने का था। उसका ग्रंथ ‘ट्रैवल्स इन द मुगल एम्पायर’ अपने गहन भारत का चित्रण ‘द्वि विपरीतता’ के नमूने पर आधारित है। उसने कहीं यूरोप की प्रशंसा की तो कभी श्रेष्ठ दिखाया है।
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Q. 1. फ्रोस्वा बर्नियर का आरम्भिक परिचय दीजिए ।
Ans. 1- फ्रोस्वा बर्नियर फ्रांस का निवासी और भारत की यात्रा करने वाला प्रसिद्ध यात्री था। वह चिकित्सक, राजनीतिक, दार्शनिक तथा एक इतिहासकार था ।
2. वह मुगल साम्राज्य के विषय में जानकारी प्राप्त करने के लिए भारत आया था। वह 1656 से 1668 ई० तक भारत में रहा और मुगल वंश से निकट से जुड़ा रहा। वह दारा शिरोह का चिकित्सक बना था और बाद में मुगल दरबार के आर्मीनियाई अमीर दानिशमंद खान के साथ एक बुद्धिजीवी तथा वैज्ञानिक के रूप में कार्य किया।
Q. 2. बर्नियर के कार्यों का महत्त्व बताइए ।
Ans. 1. बर्नियर की सूचनायें अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसका अन्दाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसके कार्य फ्रांस में (1670-71 ) में प्रकाशित हुए थे और अगले पाँच वर्षों के भीतर ही अंग्रेजी, डच, जर्मन तथा इटालवी भाषाओं में अनुवाद हो गया ।
2. यही नहीं 1670 और 1725 के बीच उसका वृतांत फ्रांसीसी में आठ बार पुनर्मुद्रित हो चुका था और 1684 तक यह तीन बार अंग्रेजी में पुनर्मुद्रित हुआ था ।
Q. 3. अल बिरूनी ने किन दो अवरोधों की चर्चा की है ?
Ans. 1. उसकी समझ से पहला अवरोध भाषा थी। उसके अनुसार संस्कृत, अरबी और फारसी से इतनी भिन्न थी कि विचारों और सिद्धांतों को एक भाषा से दूसरी में अनुवादित करना आसान नहीं था।
2. दूसरा अवरोध धार्मिक अवस्था और प्रथा में भिन्नता थी । 3. तीसरा अवरोध अभिमान था ।
Q:4. अल बिरूनी ने जाति प्रथा के संबंध में अपवित्रता की मान्यता को क्यों नहीं स्वीकार किया ?
Ans. 1. उसके अनुसार प्रत्येक वह वस्तु जो अपवित्र हो जाती है, अपनी पवित्रता को स्थिति को पुनः प्राप्त करने का प्रयास करती है और सफल होती है। मूल
2. सूर्य हवा को स्वच्छ करता है और समुद्र में नमक पानी को गंदा होने से बचाता है। अल बिरूनी जी देखकर कहता है कि यदि ऐसा नहीं होता तो पृथ्वी पर जीवन असंभव होता ।
Q. 5. इब्नबतूता ने नारियल का वर्णन किस प्रकार किया है ?
Ans. 1. ये पेड़ स्वरूप से सबसे अनोखे तथा प्रकृति में सबसे वृक्षों में से
एक है। ये सर्वथा खजूर के दर्शन ऐसे दिखते हैं।
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