Class 12th, hindi पाठ- 4 छप्पय SUBJECTIVE- प्रश्न उत्तर, inter hindi subjective- question answer,
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04. छप्पय | नाभादास कविता का सारांश
छप्पय शीर्षक पद कबीरदास एवं सूरदास पर लिखे गए छप्पय भक्तमाल से संकलित है। छप्पय एक छंद है जो छः पंक्तियों का गेय पद होता है। ये छप्पय नाभादास की अंतर्दृष्टि मर्मग्रहणी प्रज्ञा, सारग्राही चिंतन और विदग्ध भाषा-शैली के नमूने हैं।
प्रस्तुत छप्पय में वैष्णव भक्ति के नितांत भिन्न दो शाखाओं के इन महान भक्त कवियों पर लिखे गए छंद हैं। इन कवियों से संबंधित अबतक के संपूर्ण अध्ययन – विवेचन के सार-सूत्र इन छंदों से कैसे पूर्वकथित हैं यह देखना विस्मयकारी और प्रीतिकार है। ऐसा प्रतीत है कि आगे की शतियों में इन कविता पर अध्ययन विवेचन की रूपरेखा जैसे तय कर दी गई हो।
पाठ के प्रथम छप्पय में नाभादास ने आलोचनात्मक शैली में कबीर के प्रति अपने भाव व्यक्त किये हैं। कवि के अनुसार कबीर ने भक्ति विमुख तथाकथित धर्मों की धज्जी उड़ा दी है। उन्होंने वास्तविक धर्म को स्पष्ट करते हुए योग यज्ञ व्रत दान और भजन के महत्व का बार-बार प्रतिपादन किया है। उन्होंने अपनी सबदी साखियों और रमैनी में क्या हिंदू और क्या तुर्क सबके प्रति आदर भाव व्यक्त किया है। कबीर के वचनों में पक्षपात नहीं है। उनमें लोक मंगल की भावना है कबीर मुंह देखी बात नहीं करते। उन्होंने वर्णाश्रम के पोषक घट दर्शनों की दुर्बलताओं को तार-तार करके दिखा दिया है।
छप्पय में कवि नाभादास में सूरदास जी की कृष्ण की भक्ति भाव प्रकट किये हैं। कवि का कहना है कि सूर की कविता सुनकर कौन ऐसा कवि हैं जो उसके साथ हामी नहीं भरे। सूर की कविता में श्री कृष्ण की लीला का वर्णन हैं। उनके जन्म से लेकर स्वर्गधाम तक की लीलाओ का मुक्त गुणगान किया गया है। उनकी कविता में क्या नहीं है। गुण माधुरी और रूप माधुरी सब कुछ भरी हुई हैं। सूर की दृष्टि दिव्य थी। वही दिव्यता उनकी कविताओं में भी प्रतिम्बित हैं। गोप-गोपियों के संवाद के अद्भुत प्रीति का निर्वाह दिखाई पड़ता है। शिल्प की दृष्टि से उक्त क्षत्रिय वर्ण वैचित्र्य, वण्य- वैचित्र्य ओर • अनुप्रासों की अनुपम छटा सर्वत्र दिखायी पड़ता है।
सब्जेक्टिव-
1. नाभादास ने छप्पय मैं कबीर की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है उनकी क्रम सूची बनाइए ?
उत्तर- नाभादास ने कबीर की निम्नलिखित विशेषताओं का उल्लेख किया है- सरस था।
1. कबीर की मती अति गंभीर और अंतःकरा भक्ति रस से 2. वे जाति पाति एवं वर्णाश्रम का खंडन करते थे।
3. कबीर ने केवल भगवत भक्ति को ही श्रेष्ठ माना है।
4. भगवत भक्ति के अतिरिक्त जितने धर्म है उन सब को कबीर ने अधर्म कहा है।
5. सच्चे हृदय से सप्रेम भजन के बिना तप योग यज्ञ दान व्रत सभी को कवि ने सबको तुच्छ बताया।
6. कबीर ने हिंदू मुसलमान दोनों को प्रमाण तथा सिद्धांत की बातें सुनाई है।
2. मुख देखी नाहीं भनी का क्या अर्थ है कबीर पर यह कैसे लागू होता है?
उत्तर- कबीरदास सिद्धांत की बात करते हैं वे कहते हैं कि मुख को देखकर हिंदू मुसलमान होने का अनुमान नहीं लगाया जाता। वहीं उनके हित की बात बताते हैं कि भक्ति के द्वारा ही
भवसागर से पार उतारा जा सकता है वे सभी को भगवदभक्ति का उपदेश देते हैं।
3. सूर के काव्य की किन विशेषताओं का उल्लेख कवि ने किया है?
उत्तर- कवि ने सूर के काव्य की निम्नलिखित विशेषताओं का उल्लेख किया है- 1. सूर के कवित्त को सुनकर सभी प्रशंसा पूर्वक अपना सिर हिलाते हैं।
2. सूर की कविता में बड़ी भारी नवीन युक्तियां चमत्कार चातुर्य अनूठे अनुप्रास और वर्णों के
यथार्थ की उपस्थिति है।
3. कवित्त के प्रारंभ से अंत तक सुंदर प्रवाह दर्शनीय हैं।
4. तुकों का अद्भुत अर्थ दिखाता है।
5. सूरदास ने प्रभु कृष्ण का जन्म कर्म गुण रूप सब दिव्य दृष्टि से देखकर अपनी रसना से उसे प्रकाशित किया।
4. कबीर ने भक्ति को कितना महत्व दिया ?
उत्तर- कबीर ने अपनी सबदी साख और रमैनी द्वारा धर्म की सटीक व्याख्या प्रस्तुत की लोक जगत में पर्याप्त पाखंड व्यभिचार मूर्ति पूजा और जाति पाति छुआछूत का प्रबल विरोध किया उन्होंने योग यज्ञ व्रत दान और भजन की सही व्याख्या कर उसके समक्ष उपस्थित किया।
कवि ने भक्ति में पाखंडवादी विचारों की जमकर खिल्लियां उड़ाई और मानव मानव के बीच समन्वयवादी संस्कृति की स्थापना की लोगों के बीच भक्ति के सही स्वरूप की व्याख्या की भक्ति की पवित्र धारा को बहाने उसे अनवरत गतिमय रहने में कबीर ने अपने प्रखर विचारों से उसे बल दिया उन्होंने विधर्मियों की आलोचना की भक्ति विमुख लोगों द्वारा भक्ति की परिभाषा गढ़ने तीव्र आलोचना की भक्ति के सत्य स्वरूप का उन्होंने उद्घाटन किया और जन-जन के बीच एकता भाईचारा प्रेम की अजस्र गंगा बहायी। वह निर्गुण विचारधारा के तेजस्वी कवि थे उन्होंने ईश्वर के निर्गुण स्वरूप का चित्रण किया उसकी सही व्याख्या की सत्य स्वरूप का सबको दर्शन कराया।
> ऑब्जेक्टिव-
1. नाभादास ने किस छंद में अपनी रचना की हैं?
उत्तर- छप्पय
2. किस कवि ने किसी की मुंह देखी बात नहीं कही है?
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