Class 12th, hindi पाठ- 2 पद [ सूरदास ] SUBJECTIVE- प्रश्न उत्तर, inter hindi subjective- question answer,

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इंटर बोर्ड परीक्षा की तैयारी के लिए हिंदी पाठ- 2 पद खंड का संपूर्ण प्रश्न उत्तर सहित सारांश. इस आर्टिकल में दिया गया है। अगर आप इस article को पूरा पढ़ लेते हैं. तो यकीनन आपका हिंदी पाठ 2  पूरी तरह से कंप्लीट हो जाएगा । 

 

Class 12th, hindi पाठ- 2 पद [ सूरदास ] SUBJECTIVE- प्रश्न उत्तर, inter hindi subjective- question answer,

02. पद [ सूरदास ] कविता का सारांश

प्रस्तुत दोनों पद वात्सल्य भाव से परिपूर्ण है जो सगुण भक्ति धारा के कृष्ण भक्ति शाखा के प्रमुख कवि सूरदास द्वारा रचित काव्य ग्रंथ सूरसागर से उद्धृत है। इन पदों में कवि की काव्य • और कला से संबंधित विशिष्ट प्रतिभा की अपूर्व झलक मिलती है।

प्रथम पद में प्यार दुलार भरे कोमल मधुर स्वर में सोए हुए बालक को यह कहते हुए जगाया जा रहा है कि व्रजराज कृष्ण उठो, सुबह हो गई है। प्रकृति के अनेक दृष्टांतों तथा गाय-बछड़ों के क्रियाकलापों का वर्णन कर माता यशोदा उन्हें बहुत प्यार से उठाने के लिए कह रही है।

द्वितीय पद में पिता नंद बाबा की गोद में बैठकर बालक कृष्ण को भोजन करते हुए चित्रित किया गया है। इसमें अन्य बालकों की तरह ही कृष्ण के भोजन करने का अत्यंत स्वाभाविक वर्णन है सूर वात्सल्य का कोना कोना झांक आए थे। वह बालकों की आदतों मनोवृत्तियों तथा बाल मनोविज्ञान का गहरा ज्ञान रखते थे। यह उनके इस पद में स्पष्ट देखा जा सकता है। बच्चे के भोजन करने, कुछ खाने, कुछ गिरने, कुछ माता-पिता को खिलाने, खाते-खाते शरीर पर गिरा लेने आदि के इन सुपरिचित दृश्य और प्रसंगो में कवि हृदय का ऐसा योग है कि यह प्रसंग अमिट बन गए हैं।

सब्जेक्टिव-

1. प्रथम पद में किस रस की व्यंजना हुई है ?

उत्तर- सूरदास रचित प्रथम पद में वात्सल्य रस की व्यंजना हुई है वात्सल्य रस के पदों की विशेषता यह है कि पाठक जीवन की नीरस और जटिल समस्याओं को भूल कर उनमें तन्मय और विभोर हो उठता है प्रथम पद में दुलार भरे कोमल मधुर स्वर में सोए हुए बालकृष्ण को भोर होने की सूचना देते हुए जगाया जा रहा है।

2. गायें किस ओर दौड़ पड़ी?

उत्तर- भोर हो गयी है दुलार भरे कोमल मधुर स्वर में सोए हुए बालक कृष्ण को भोर होने का संकेत देते हुए जगाया जा रहा है। प्रथम पद में भोर होने के संकेत दिए गए हैं कमल के फूल खिल

उठे हैं पक्षीगण शोर मचा रहे हैं गायें अपने गौशालाओं से अपने अपने बछड़ों की ओर दूध पिलाने हेतु दौड़ पड़ी।

3. प्रथम पद का भावार्थ अपने शब्दों में लिखें?

उत्तर- प्रथम पद में विषय वस्तु चयन चित्रण भाषा शैली व संगीत आदि गुणों का प्रकर्ष दिखाई पड़ता है। इस पद में दुलार भरे कोमल स्वर में सोए हुए बालक कृष्ण को भोर होने की बात कह हुए जगाया जा रहा है। कृष्ण को भोर होने के विभिन्न संकेतों जैसे कमल के फूलों का मुर्गे का बांग देना पक्षियों का चहचहाना चंद्रमा का मलिन होना रवि का प्रकाशित होना आदि के बारे में बताया जा रहा है। इन सब के माध्यम से कृष्ण को जगाने का प्रयास किया जा रहा है।

4. कृष्ण खाते समय क्या-क्या करते हैं?

उत्तर- बालक कृष्ण अपने बाल सुलभ व्यवहार से सबका मन मोह लेते हैं। भोजन करते समय कृष्ण कुछ खाते हैं तथा कुछ धरती पर गिरा देते हैं उन्हें मना मना कर खिलाया जा रहा है। यशोदा माता यह सब देख कर पुलकित हो रही है। विविध प्रकार की भोजन जैसे बड़ी बेसन का बड़ा आदि अनगिनत प्रकार के व्यंजन है।

बालक कृष्ण अपने हाथों में ले लेते हैं कुछ खाते हैं तथा जितनी इच्छा करती है उतना खाते हैं जो स्वादिष्ट लगती है उसे ग्रहण करते हैं दोनों में रखी दही में विशेष रूचि लेते हैं मिश्री मिलती दही तथा मक्खन को मुंह में डालते हुए उनकी शोभा का वर्णन नहीं किया जा सकता इस प्रकार कृष्ण खाते समय अपनी लीला से सबका मन मोह लेते हैं।

5. सप्रसंग व्याख्या करें

1. कछुक खात कछु धरनि गिरावत छवि निरखति नंद रजियां।

उत्तर- प्रस्तुत पद्यांश में वात्सल्य रस के कवि सूरदास जी ने बालक कृष्ण के खाने के ढंग का अत्यंत स्वभाविक एवं सजीव वर्णन किया है। पद ब्रज शैली में लिखा गया है भाषा की अभिव्यक्ति काव्यात्मक हैं। यह पद गेय और लयात्मक प्रवाह से युक्त है। अतः यह पंक्ति काव्य सौंदर्य से परिपूर्ण है इसमें वात्सल्य रस है इसमें रूपक अलंकार का प्रयोग हुआ है।

2. भोजन करि नंद अचमन लीन्हें मांगत सूर जुठनियां।

उत्तर- प्रस्तुत पद्यांश में वात्सल्य रस के साथ-साथ भक्ति रस की भी अभिव्यक्ति हैं। बालक कृष्ण के भोजन के बाद नंद बाबा श्याम का हाथ धोते हैं यह देख सूरदास जी भक्ति रस में डूब जाते हैं वह बालकृष्ण की जूठन नंद जी से मांगते हैं इस पद्यांश को ब्रज शैली में लिखा गया है। बाबा नंद का कार्य वात्सल्य रस को दर्शाता है तथा सूरदास की कृष्ण भक्ति अनुपम है अभिव्यक्ति सरल एवं सहज हैं इसमें रूपक अलंकार है।

3. आपुन खाक, नंद-मुख जावत, सो छबि कहत न बनियां |

उत्तर- प्रस्तुत पद्यांश स्नेह बालक कृष्ण के बाल सुलभ व्यवहार का वर्णन है। कृष्ण स्वयं कुछ खा रहे हैं तथा कुछ नंद बाबा के मुंह में डाल रहे हैं। इस शोभा का वर्णन नहीं किया जा सकता अर्थात अनुपम हैं। इसे ब्रज शैली में लिखा गया है। इसमें वात्सल्य रस का अपूर्व समावेश हैं । इस पद्यांश में रूपक अलंकार का प्रयोग किया गया है।

 

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