Class 12th, hindi पाठ- 13 गांव का घर | ज्ञानेंद्रपति | SUBJECTIVE- प्रश्न उत्तर, inter hindi subjective- question answer,

Class 12th, hindi पाठ- 13 गांव का घर | ज्ञानेंद्रपति | SUBJECTIVE- प्रश्न उत्तर, inter hindi subjective- question answer,

 

 

Class 12th, hindi पाठ- 13 गांव का घर | ज्ञानेंद्रपति | SUBJECTIVE- प्रश्न उत्तर, inter hindi subjective- question answer,

 

13. गांव का घर | ज्ञानेंद्रपति |

कविता का सारांश

कवि ग्रामीण संस्कृति का विवरण देते हुए गांव के घर की विशिष्टता का चित्रण कर रहा है। गांव के अंतःपुर के बाहर की ड्योढ़ी पर एक चौखट रहा करता है। यह चौखट वह सीमा रेखा है जिसके भीतर •आने से पहले परिवार के वरिष्ठ नागरिकों (बुजुर्गोंों) को रुकना पड़ता हैं। अपनी खड़ाऊ की खटपट आवाज से घर के अंदर की महिलाओं को अपने आने का संकेत देना पड़ता है। अन्य संकेत भी अपनाए जाते हैं खांसना अथवा किसी का नाम लिए बगैर पुकारना आदि। चौखट के बगल में गेरू से रंगी हुई दीवार पर बूढ़े ग्वाल दादा (दूध देने वाला) के दूध से भींगे अंगूठे के निशान अंकित रहते हैं जिसमें दूध का हिसाब उल्लेखित रहता है। पूरे महीना भर के महीना के अंत में उसकी गिनती करके दूध के बिल (राशि) कब दान किया जाता रहा है यह है ग्रामीण परिवेश के परिवारों के जीवन-शैली की एक झलका

किंतु अब परिस्थितियां बदल चुकी है गांव का वह घर अपना वह स्वरूप खो चुका है वह सादगी वह नैसर्गिक स्वरूप अब स्वप्न की बातें हो गई हैं, अतीत की स्मृति बनकर रह गई है। ऐसा प्रतीत होता है कि गांव की वह घर अपना गांव खो चुका है। क्योंकि गांव का वह प्राचीन परंपरा तिरोहि हो गई है। पंचायती राज के आते ही पंच परमेश्वर लुप्त हो गए कहीं खो गए। न्यायोचित निर्णय देनेवाले कर्णधार अराजकता तथा अन्याय की बलि चढ़ गए। दीपक तथा लालटेनों का स्थान बिजली के प्रकाश ने ले लिया। लालटेन दीवार पर बने आलो के ऊपर टांगे कलैंडरों से ढंक गई। बिजली है किंतु वह स्वयं अधिकांशतः अंधकार में डूबी रहती हैं। वह बनी रहने की बजाय गई रहने वाली ही हो गई। इसके कारण रात प्रकाश से अधिक अंधकार फैला रही है। यह अंधकार एक प्रकार से साथ छोड़ दिए जाने की अनुभूति कराता है अर्थात् कोई स्व-जन साथ छोड़कर चला गया हो। दूसरी ओर इससे बिल्कुल भिन्न वातावरण है। धवल प्रकाश (चकाचौंध रोशनी) में आर्केस्ट्रा की स्वर लहरी सप्तम-स्वर में बंद दरवाजे के अंदर वहां से काफी दूर पर गूंज रही है। दरवाजे भिड़े होने के कारण उसके स्वर नहीं सुनाई देते। आर्केस्ट्रा की ध्वनि तथा चकाचौंध प्रकाश दोनों की कवि को दृष्टिगोचन नहीं होते। इस आधुनिकता के दौर में चैती, विरहा- आल्हा, होली गीत कवि को सुनाई नहीं देते। लोकगीतों की इस पावन जन्मभूमि में एक अनगाया, अनसुना सा शोकगीत शेष है।

दस कोस दूर स्थित शहर से आनेवाला सर्कस का प्रकास – बुलौआ (सर्च लाइट) अब अपना दम तोड़ चुका है। लुप्त हो गया है यह देखकर ऐसा अनुभव होता है मानो अपने दांतो को गंवाकर हाथी गिरा पड़ा हो। शहर की अदालतों और अस्पतालों में फैले हुए भ्रष्टाचार के वीभत्समुख चबा जाने और लील (निगल) जाने को तत्पर हैं। तथा बुला रहे हैं। इससे गांव की जिंदगी चरमरा रही है।

 

सब्जेक्टिव-

1. कवि की स्मृति में घर का चौखट इतना जीवित क्यों है ?

उत्तर- कवि की स्मृति में घर का चौखट जीवन की ताजगी से लवरेज है। उसे चौखट इतना जीवि इसलिए प्रतीत होता है कि इस चौखट की सीमा पर सदैव चहल-पहल रहती है कभी अतीत की अपनी स्मृति के झरोखे से इस हलचल को स्पष्ट रूप से देखता है। अर्थात ऐसा अनुभव करता है जब उस चौखट पर बुजुर्गों को घर के अंदर अपने आने की सूचना के लिए खांसना पड़ता था तथ उनकी खड़ाऊ की खटपट की स्वर लहरी सुनाई पड़ती थी। इसके अतिरिक्त बिना किसी का नाम पुकारे अंदर आने की सूचना हेतु पुकारना पढ़ता था चौखट के बगल में गेरू से रंगी हुई दीवार थी। ग्वाल दादा प्रतिदिन आकर दूध को देते थे दूध की मात्रा का विवरण दूध से समय • अपने अंगुल को उस दीवार पर छाप द्वारा करते थे जिनकी गिनती महीने के अंत में दूध का हिसाब करने के लिए की जाती थी।

उपरोक्त वर्णित उन समस्त औपचारिकताओं के बीच घर की चौखट सदैव जाग्रत रहता था जीवंतता का अहसास दिलाता था।

2. पंच परमेश्वर के खो जाने को लेकर कवि चिंतित क्यों है?

उत्तर- पंच परमेश्वर का अर्थ है पंच परमेश्वर का रूप होता है वस्तुतः पंच के पद पर विराजमान

व्यक्ति अपने दायित्व निर्वाह के प्रति पूर्ण सवेस्ट एवं सतर्क रहता है। वह निष्पक्ष न्याय करता है उस पर संबंधित व्यक्तियों की पूर्ण आस्था रहती है तथा उसका निर्णय देव वाक्य होता है। कवि यह देखकर खिन्न है कि आधुनिक पंचायती राज व्यवस्था की सार्थकता विलुप्त हो • गई। एक प्रकार से अन्याय और अनैतिकता ने व्यवस्था को निष्क्रिय कर दिया है पंगु बना दिया

है पंच परमेश्वर शब्द अपनी सार्थकता खो चुका है कवि इसी कारण चिंतित है।

3. की आवाज भी नहीं आती यहां तक न आवाज की रोशनी न रोशनी की आवाज यह आवाज क्यों नहीं आती?

उत्तर- कवि ज्ञानेंद्रपति का इशारा रोशनी के तीव्र प्रकाश में आर्केस्ट्रा के बज रहे संगीत से है। रोशनी के चकाचौंध में बंद कमरे में आर्केस्ट्रा की स्वर लहरी गूंज रही है किंतु कमरा बंद होने के कारण यह बाहर सुनी नहीं जा सकती अतः कवि रोशनी तथा आर्केस्ट्रा के संगीत दोनों से वंचित है आवाज की रोशनी का संभवतः अर्थ आवाज से मिलने वाला आनंद है उसी प्रकार रोशनी की आवाज का अर्थ प्रकाश से मिलने वाला सुख इसके अतिरिक्त एक विशेष अर्थ यह भी हो सकता है कि आधुनिक समय की बिजली का आना तथा जाना अनिश्चित और अनियमित है। कवि उसके बने रहने से अधिक गई रहने वाली मानते हैं उसमें लालटे के सामान स्निग्धता तथा सौम्यता की भी उन्हें अनुभूति नहीं होती। उसी प्रकार आर्केस्ट्रा में उन्हें उस नैसर्गिक आनंद की प्राप्ति नहीं होती जो लोकगीतों बिरहा-आल्ह क्षेत्रीय तथा होली आदि गीतों से होती है कभी संभवत आर्केस्ट्रा को शोक गीत की संज्ञा देता है इस प्रकार यह कवितांश द्विअर्थक प्रतीत होता है।

4. आवाज की रोशनी या रोशनी की आवाज का क्या अर्थ है ?

उत्तर- आवाज की रोशनी या रोशनी की आवाज कवि की काव्यगत जादूगरी का उदाहरण है उनकी वर्णन शैली का उत्कृष्ट प्रणाम है। आवाज की रोशनी से संभवतः उनका अर्थ संगीत से हैं संगीत में अभूतपूर्व शक्ति है। वह व्यक्ति के हृदय को अपने मधुर स्वर से आलोकित कर देता है इस प्रकार वह प्रकाश के समान धवल है तथा उसे रोशन करती है।

रोशनी की आवाज से उनका तात्पर्य प्रकाश की स्थिति तथा स्थायीत्व से है। प्रकाश में तीव्रता चाहे जितनी अधिक हो किंतु उसमें स्थिरता नहीं हो अनिश्चितता अधिक हो तो वह सुविधा एवं संकट का कारण बन जाती है संभव है कवि का आशय यही रहा हूं।

कविता के पूरी पंक्ति है कि आवाज भी नहीं आती यहां तक न आवाज की रोशनी न रोशनी की आवाज कवि के कथन की गहराइयों में जाने पर एक अनुमानित अर्थ यह भी है। दूर पर एक बंद कमरे में प्रकाश की चकाचौंध के बीच आर्केस्ट्रा का संगीत ऊंची आवाज में अपना रंग दिखा रहा है किंतु कमरा बंद होने के कारण अपने संकुचित परिवेश में सीमित श्रोताओं को ही आनंद बिखर रहा है उसके बाहर रहकर कवि स्वयं को उसके रसास्वादन से वंचित पाता है।

5. कविता में किस शोकगीत की चर्चा है ?

उत्तर- कवि उन गीतों का याद कर रहा है जिसे सुनकर प्रत्येक श्रोता का हृदय एक अपूर्व आनंद प्राप्त था। ये लोकगीत होली चैती, विरहा- आल्हा आदि जो कभी जन समुदाय के मनोरंजन तथा प्रेरणा के श्रोत थे। बीते दिनों की बात हो गए। अब उनकी छटा कि बाहर उजड़े दयार में तब्दील हो गई हो उनका स्थान शोक गीतों ने ले लिया यह शोक गीत कवि के अनुसार आधुनिक शैली के गीत आर्केस्ट्रा की धुन आदि है जो कर्णकटु भी है तथा निरर्थक भी। उत्तेजना तथा उप संस्कृति के वाहक मात्र हैं उसमें नवस्फूर्ति एवं माधुर्य का सर्वथा अभाव है। अतः उसमें शोकगीत की अनुभूति होती है।

6. गांव के घर रीढ़ क्यों झुरझुराती है? इस झुरझुराहट के क्या कारण हैं?

उत्तर- कवि ने गांव की वर्तमान स्थिति का वर्णन करने में क्रम में उपरोक्त बातें कही है। हमारे गांव की अतीत में गौरवशाली परंपरा रही है। सौहार्द्र बंधुत्व एवं करुणा की अमृतमयी धारा यहां प्रवाहित होती थी दुर्भाग्य से आज वही गांव जड़ता एवं निष्क्रियता से शिकार हो गए हैं इनकी • वर्तमान स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई है और शिक्षा एवं अंधविश्वास के कारण परस्पर विवाद में उलझे हुए तथा स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से त्रस्त हैं शहर के अस्पताल तथा अदालतें इसकी साक्षी है इसी संदर्भ में कवि विचलित होते हुए अपने विचार प्रकट करते हैं।

कवि के कहने का आशय यह प्रतीत होता है कि शहर के अस्पतालों में गांव के लोग रोग मुक्त होने के लिए इलाज कराने आते हैं इसी प्रकार अदालतों में आपसी विवाद में उलझ कर अपने मुकदमों के संबंध में आते हैं ऐसा लगता है कि इन निरीह ग्रामीणों को निकल जाने के लिए • नगरों के अस्पतालों तथा अदालतों का शत्रुवत परिसर मुंह खोल कर खड़ा है। इसका परिणाम ग्रामीण जनता की त्रासदी है गांव के लोगों की आर्थिक तथा सामाजिक स्थिति चरमरा गई है अतः उनके घरों की दशा दयनीय हो गई है।

 

कवि ने संभवत इसी संदर्भ में कहा है कि जिन बुलौओं से गांव के घर की रीढ़ झुरझुराती हैं अर्थात शहर के अस्पतालों तथा अदालतों द्वारा वहां आने का न्योता देने से उन गांव की रीढ़ झुरझुराती हैं कवि की अपने अनुभव के आधार पर ऐसी मान्यता है कि गांव वालों का आधार तो तथा अस्पतालों का अपनी समस्या के समाधान में चक्कर लगाना दुखद है इसके कारण गांव के घर की रीढ़ झुरझुरा गई है।

ऑब्जेक्टिव-

1. गांव का घर शीर्षक कविता के रचयिता कौन है ?

उत्तर- ज्ञानेंद्रपति

2. ज्ञानेंद्रपति का जन्म कब हुआ था?

उत्तर- 1 जनवरी 1950

3. ज्ञानेंद्रपति का जन्म कहां हुआ था ?

उत्तर- पथरगामा, गोड्डा झारखंड

4. ज्ञानेंद्रपति के पिता का नाम क्या है ? उत्तर- देवेंद्र प्रसाद चौबे

15. ज्ञानेंद्रपति के माता का नाम क्या है ? उत्तर- सरला देवी

6. ज्ञानेंद्रपति का निवास स्थान कहां है?

 

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