Class 10,hindi subjective chapter – 5 धरती कब तक घूमेगी
लघु उत्तरीय प्रश्न |
1. सीता की स्थिति बच्चों के किस खेल से मिलती-जुलती थी?
उत्तर – सीता की स्थिति बच्चों के चक्कर लगाकर धरती घूमने के खेल
से मिलती-जुलती है।
2. सीता की आँखों के आगे अंधेरा कब छा गया?
उत्तर- बेटों ने जब कहा कि वे तीनों हर माह पचास-पचास रुपये देंगे और माँ अपनी रोटी आप बनाएगी, तो सीता की आँखों के आगे अंधेरा छा गया।
3. सीता को कब लगा कि आकाश अनन्त है, धरती बड़ी, रास्ता चौड़ा और चारों ओर खुली हवा है?
उत्तर — सीता ने बेटों – बहुओं की उपेक्षाओं से त्रस्त होकर जब अपने पैरों पर खड़े होने के लिए घर छोड़ा तो उसे लगा कि आकाश अनंत, धरती बड़ी, रास्ता चौड़ा और उसके चारों ओर खुली हवा है।
4. सीता को अपने घर में घुटन क्यों महसूस होती है ?
उत्तर- सीता के तीन बेटे-बहुएँ और पोता-पोतियों से भरा घर अजनबी हो गया क्योंकि जब उसके पति जीवित थे तब घर का वातावरण सुखद था। लेकिन उनके नहीं रहने पर बेटों की पटती नहीं, बहुएँ चीखती-चिल्लाती हैं। बच्चों को दादी के पास आने नहीं देतीं। सीता एकदम अकेली हो गयी है। बेटे माँ को लेकर आपस में झगड़ते रहते हैं-माँ कब किसके हिस्से रहेगी? इसलिए सीता को अपने ही घर में घुटन महसूस होती है।
5. ‘धरती कब तक घूमेगी’ कहानी की नायिका कौन है?
उत्तर—’धरती कब तक घूमेगी’ कहानी की नायिका तीन बेटों वाली सीता है।
6. ‘धरती कब तक घूमेगी’ कहानी का उद्देश्य क्या है?
उत्तर- प्रस्तुत कहानी का उद्देश्य है पुराने पारिवारिक मूल्यों का आज युग में हो रहे क्षरण का चित्रण | के
7. सीता के प्रति उसके बेटों और बहुओं का व्यवहार कैसा था?
उत्तर—सीता के प्रति उसके बेटों और बहुओं का व्यवहार अत्यन्त उपेक्षापूर्ण था।
8. ‘धरती कब तक घूमेगी’ कहानी के रचयिता कौन हैं? उत्तर धरती कब तक घूमेगी’ कहानी के रचयिता साँवर दइया हैं।
9. साँवर दइया की कहानियों की विशेषता क्या है?
उत्तर- सावर दइया की कहानियों की विशेषता है, राजस्थानी समाज का यथातथ्य वर्णन ।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न |
1. ‘धरती कब तक घूमेगी’ कहानी की सार्थकता स्पष्ट करें।
उत्तर- रचना का शीर्षक क्या हो, यह महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि शीर्षक ही पाठक को पाठ के लिए ललचाता है। अतः यह आकर्षक होना ही चाहिए। साथ ही, यह ऐसा होना चाहिए जो रचना के मूल भाव का द्योतक और संक्षिप्त हो। वैसे, यह बहुत कुछ रचनाकार की रुचि की चीज है। इस प्रकार, इन कसौटी पर कसने से स्पष्ट है कि ‘धरती कब तक घूमेगी’ उपयुक्त शीर्षक है क्योंकि इसमें भारतीय समाज में सदियों से उपेक्षित, लांछित और प्रताड़ित एक विधवा की कथा है। और कब तक चलेगा, यह प्रश्न कहानीकार प्रस्तुत करना चाहता है। साथ ही, यह आकर्षक भी, क्योंकि यह उत्सुकता जगाता है कि ‘धरती कब तक घूमेगी’ में किस धरती की बात है? धरती का घूमना बन्द होने वाला है क्या? हाँ, शास्त्रीय विधान के अनुसार यह सच है कि शीर्षक संक्षिप्त नहीं है, किन्तु बहुत बड़ा भी नहीं है। तात्पर्य यह है कि इस कमी के बावजूद शीर्षक उपयुक्त है।
2. भारत की संयुक्त परिवार को आप उपयोगी मानते हैं या नहीं? तर्क सहित अपने विचार लिखें।
उत्तर— पहले भारत में संयुक्त परिवार प्रथा का प्रचलन था। संयुक्त परिवार का अर्थ है एक परिवार में दादा-दादी, माता-पिता उनके पुत्र-पुत्री और नजदीकी परिवार के बेसहारा लोगों का सामूहिक जीवन परिवार का मुखिया और अन्य समर्थ लोग काम-धाम करते और परिवार का भरण-पोषण होता. दादा दादी बच्चों की देख-भाल करते. माँ-बहनें घर के अन्दरूनी काम या खेती में हाथ बटातीं। परिवार का मुखिया सबके साथ समान व्यवहार करता, सबकी जरूरतें पूरी करता और परिवार सुचारु रूप से चलता। बूढ़े माँ बाप की सेवा की जाती थी। कोई अपने को उपेक्षित नहीं समझता था। न खेत बंटते थे, न आमदनी । लेकिन आज पश्चिम से आई बयार से सब कुछ उलट पुलट गया है। आज परिवार का अर्थ है मियाँ बीबी और बच्चे। इनके सिवा कोई नहीं। माँ बाप कहाँ हैं, कैसी हालत हैं. इसकी कोई चिन्ता नहीं.
कोई खोज खबर नहीं। अन्य रिश्तेदारों की क्या बात? किसी को कोई परवाह नहीं। खेती बँट गई, घर में दीवार खिंच गई। वृद्ध लोगों के आश्रम खुलने लगे। शादी-विवाह में भी आना जाना लोग जंजाल मानने लगे हैं किन्तु इसी बीच हादसा हो जाने पर एकल परिवार की क्या दुर्वस्था होती है, यह किसी से छिपा नहीं है। संयुक्त परिवार में ऐसी समस्या नहीं होती थी, अन्य लोग एक साथ खड़े होते थे। हर मुसीबत का मुकाबला सभी मिल-जुलकर करते थे। इस प्रकार, मेरी दृष्टि में भारत की संयुक्त परिवार प्रथा उपयुक्त थी।
3. सीता का चरित्र चित्रण करें।
उत्तर-सीता, ‘धरती कब तक घूमेगी कहानी की नायिका, भारतीय विधवा है वह तीन बेटों की माँ, तीन बहुओं की सास और अनेक पोते-पोतियों की दादी हैं, फिर भी अकेली है। बेटे उससे बात-चीत नहीं करते, बहुएँ उल्टा सीधा सुनाती हैं, सभी अपने घर में उसे बोझ मानते हैं लड़कों ने महीने महीने भर खिलाने की पाली बाँधी है जहाँ रहती है, रोटी के साथ खोटी बातें मिलती हैं। फिर भी बच्चों को प्यार करती है। अपने ही घर में घुटन अनुभव करती है किन्तु जब बेटे पचास-पचास रुपये देकर स्वयं खाने पकाने के लिए कहते हैं तो सीता का धैर्य छूट जाता है और घर छोड़ देती है।
इस प्रकार, सीता निरंतर उपेक्षा और प्रताड़ना सहनेवाली भारतीय वि या है किन्तु उसकी आत्मा मरी नहीं है, स्वाभिमान नष्ट नहीं हुआ है। वह एक ही झटके में सारें संशय छोड़ घर से निकल पड़ती है।
4. सप्रसंग व्याख्या करें इस समय उसकी आँखों के आगे न तो अंधेरा था और न ही उसे धरती और आकाश के बीच घुटन महसूस हुई।
उत्तर- प्रस्तुत पंक्ति हमारी पूरक पाठ्य पुस्तक ‘वर्णिका’ में संकलित साँवर दइया की ‘धरती कब तक घूमेगी’ कहानी से उद्धृत है। कहानी की नायिका सीता की मनःस्थिति का उल्लेख कहानीकार ने इन पंक्तियों में किया है सीता जब तक अपने बेटों के फैसलों पर निर्भर और उन पर आश्रित थी, उनकी निरंतर उपेक्षा से उसकी आँखों के आगे अंधेरा था और वह अपने ही घर में घुटन अनुभव करती थी। किन्तु पुत्रों की उपेक्षा जब सीमा लाँघ गई, उन्होंने उसे पचास-पचास रुपये देकर अपना खाना पकाने का फैसला सुनाया तो सीता का पुत्र मोह और घर मोह भंग हो गया। उसने घर छोड़ने और अपने पैरों पर खड़े होने का निश्चय कर घर छोड़ दिया तो उसकी आँखों के आगे भविष्य अस्पष्ट नहीं था, कोई बंधन नहीं था। वह मुक्त नारी थी और उसे किसी प्रकार की दुविधा नहीं थी। कहने का तात्पर्य यह है कि एक बार अपने पर विश्वास कर लक्ष्य निर्धारित कर लेने पर मार्ग सहज हो जाता है।
5. सीता अपने ही घर में क्यों घुटन महसूस करती है ?
उत्तर- सीता के तीन बेटे, बहुएं और पोते-पोतियाँ हैं। मात्र बच्चों का छोड़कर उससे किसी को लगाव नहीं है। बच्चे भी जब आकर उसके पास खेलते-कूदते हैं तो बहुएँ चीखती-चिल्लाती हैं। कोई बेटा पास आकर उसका हाल-चाल नहीं पूछता, न कभी कोई आकर बैठता है। बहुएँ अक्सर जली कटी सुनाती हैं। तीनों बेटों ने तय कर लिया है कि सीता बारी-बारी से हर एक के यहाँ रहेगी और उसके यहाँ ही खाएगी। इसी कारण सीता को अपने ही घर में घुटन महसूस करती है।
6. पाली बदलने पर अपने घर दादी माँ के खाने को लेकर बच्चे खुश होते हैं, जबकि उनके माता-पिता नाखुश बच्चों की खुशी और माता-पिता की नाखुशी के कारणों पर विचार करें।
उत्तर—विधवा सीता को उसके बेटों ने बाँट लिया है। ताना बारी-बारी
से एक-एक महीने सीता को खिलाते हैं, सीता उन दिनों उनके यहाँ काम-धाम भी कर देती है। बेटों ने भले अपनी माँ को बाँट लिया है, उससे लगाव नहीं रखते किन्तु सीता ने पोते-पोतियों को नहीं बाँटा है। वह सबको समान रूप से प्यार करती है। इसलिए बच्चे उससे हिले-मिले रहते हैं। खासकर इस बात से अधिक प्रसन्न होते हैं कि दादी अपनी थाली में उन्हें खिलाती है, उन्हें देखकर खुश होती है और डॉट-डपट नहीं करती। दूसरी ओर उनके माता-पिता सीता की बारी उनके यहाँ आते ही नाखुश हो जाते हैं क्योंकि उनका खर्च बढ़ जाता है और उनके बच्चे अपनी दादी के लाड़-प्यार के आगे अपने माता-पिता की जल्दी नहीं सुनते।
Class 10,hindi subjective chapter – 5 धरती कब तक घूमेगी
Daily live | Link-1 Link- 2 |
Join PDF group | Click Here |
All subject | Click Here |